शिअद प्रमुख सुखबीर बादल
आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए विपक्षी ताकतें भाजपा काट ढूंढ रही हैं। इसी उपक्रम में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की अगुवाई में सभी दलों को इकट्ठा करने की एक मुहिम चल रही है। लेकिन अभियान शुरू होते ही शिरोमणि अकाली दल इस मुहिम को पलीता लगा रहा है। अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल ने सभी क्षेत्रीय दलों से एक गठबंधन बनाने का आह्वान किया है ताकि 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा का मुकाबला साथ मिलकर किया जा सके।
सुखबीर ने कहा कि क्षेत्रीय ताकतों को एकजुट होने की जरूरत है, क्योंकि ये जमीन से जुड़ी हुई हैं और लोगों की बेहतर समझ रखती हैं। हम विभिन्न दलों से बात कर रहे हैं। 2024 के आम चुनाव से पहले क्षेत्रीय दलों को एक साथ आना चाहिए और मोर्चा बनाना चाहिए। मुझे विश्वास है कि 2024 से पहले यह मोर्चा बहुत मजबूत ताकत के रूप में उभरेगा। लेकिन इस गठबंधन को तीसरा मोर्चा नहीं, बल्कि दूसरा मोर्चा कहा जाएगा, क्योंकि कांग्रेस अब अखिल भारतीय पार्टी नहीं है।
ममता का रास्ता तो नहीं काट रहे!
सुखबीर बादल का यह बयान ममता बनर्जी के विपक्षी दलों तक पहुंच बनाने के प्रयास के बाद आया है। ममता ने 21 जुलाई को कोलकाता में तृणमूल कांग्रेस की वार्षिक शहीद दिवस रैली के दौरान पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा था, ‘भाजपा भारत को अंधेरे में ले गई। जब तक देश से भाजपा नहीं हटती, तब तक सभी राज्यों में ‘खेला’ लेगा। खेला आबार होबे यानी खेल फिर से होगा, आर जेटा होबे (और हम जीतेंगे)।’
ममता का यह संदेश विपक्षी दलों, विशेष कर क्षेत्रीय दलों के लिए था कि वे अपने मतभेदों को सुलझा कर 2024 की तैयारी शुरू करें। शहीद दिवस पर उनके भाषण को गुजरात, उत्तर प्रदेश, पंजाब, त्रिपुरा सहित कई राज्यों में प्रसारित किया गया था। दिल्ली और विपक्षी दलों के वरिष्ठ नेता दिल्ली के कांस्टिट्यूशन क्लब में मौजूद थे, जहां से उनके भाषण का सीधा प्रसारण किया गया था।
किसानों पर डोरे डाल रहे बादल
बादल ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि शिअद ने तीन विवादित कृषि कानून को लेकर भाजपा के साथ अपना दशकों पुराना गठबंधन तोड़ दिया। अगले साल पंजाब विधानसभा चुनाव में इस मुद्दे पर पार्टी का जोर रहेगा। उन्होंने कहा कि शिअद नए और युवा चेहरों पर बड़ा दांव लगाएगी और अगले साल शुरुआत में पंजाब में होने वाले विधानसभा चुनावों में अधिक से अधिक महिलाओं को उम्मीदवार बनाने की कोशिश करेगी।
सुखबीर ने कहा, शिअद किसानों पार्टी है और उनके मुद्दे हमारी विचारधारा की जड़ है। इसलिए चाहे कुछ भी हो जाए। हमें जो भी कीमत चुकानी पड़े, हम इन कानूनों को पंजाब में लागू नहीं होने देंगे। दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर बादल ने कहा कि अगर पार्टी सत्ता में आती है तो यह उन सभी किसानों के परिवारों को सरकारी नौकरी देगी, जिन्होंने इस दोरान अपनी जान गंवाई। साथ ही, उनकी सरकार मृतक किसानों के बच्चों को मुफ्त शिक्षा तथा कम उम्र में मरने वालों के माता-पिता को पेंशन मुहैया कराएगी। बादल का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब पंजाब में विधानसभा चुनाव को लेकर शिअद के साथ गठबंधन को लेकर बातचीत से आम आदमी पार्टी के पंजाब सह प्रभारी राघव चड्ढा ने इनकार किया।
शिअद और आआपा की खिचड़ी
पंजाब में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर शिअद और आआपा के बीच संभावित गठजोड़ के कयास लगाए जा रहे थे। कहा जा रहा था कि दोनों दलों के बीच गठबंधन को अंतिम रूप दिया जा चुका है। इस समझौते के तहत 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में आआपा उसे 20 सीटें देगी। लेकिन रविवार को राघव चड्ढा ने यह तमाम अटकलों पर विराम लगा किया कि शिअद के साथ गठबंधन पर न तो कोई फैसला लिया गया है और न ही इस संबंध में कोई बातचीत हो रही है। इस पर शिअद ने तत्काल प्रतिक्रिया देते हुए चड्ढा के बयान को ‘राजनीतिक रूप से अपरिपक्व’ करार दिया गया। एक खबर के मुताबि, शिअद के वरिष्ठ नेता बीर देविंदर सिंह ने कहा कि उनकी पार्टी आआपा के साथ गठबंधन की भीख नहीं मांग रही है। साथ ही, कहा, ‘मुझे लगता है कि चड्ढा का बयान राजनीतिक रूप से बहुत अपरिपक्व है। किसी गठबंधन पर हमारी पार्टी की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है और आआपा नेता ने टीवी चैनल पर ऐसी प्रतिक्रिया दी।’ इससे पूर्व, अप्रैल में भी आआपा ने पंजाब के पूर्व वित्त मंत्री परमिंदर सिंह ढींढसा के बयान का खंडन किया था। उन्होंने कहा था कि अगले साल होने वाले चुनावों के मद्देनजर संभावित गठबंधन को लेकर दोनों दलों के बीच चंडीगढ़ में बातचीत हुई थी।
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