ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट के जिहादी। प्रकोष्ठ में राष्ट्रपति शी जिनपिन
अफगानिस्तान में रोज बदलती परिस्थितियों और सिंक्यांग की सीमा पर जिहादी धमक से चीन में कूटनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है
चीन के लिए उसकी सरहदों पर एक नया संकट उठ खड़ा हुआ है जिसे लेकर बीजिंग में नीतिकारों की हलचल बढ़ गई है। ताजा समाचारों के अनुसार, इस्लामी जिहादी जिनपिन के लिए एक बड़ा सरदर्द बनते जा रहे हैं। चीन को लगता है कि अफगानी आतंकवादियों के उकसावे पर अब सिंक्यांग प्रांत में जिहादी हरकतों में बढ़ोतरी हो सकती है।
इस बीच एक और खबर आई है अफगानिस्तान से। चीन ने अब तक वहां कार्यरत अपने विशेष दूत को वापस बुलाकर उसकी जगह नए कूटनीतिक को भेजा है। चीन के विदेश विभाग का कहना है कि अफगानिस्तान में अब तक रहे विशेष दूत ल्यू जियान की जगह युई शियाओ यांग दू का काम देखेंगे। बताते हैं, अफगानिस्तान से अमेरिकी और अन्य पश्चिमी देशों की सेनाओं के लौटने के चलते चीन वहां बन रही स्थितियों पर बारीक नजर रखे है। अफगानिस्तान में तालिबानी हत्यारे सूबों पर कब्जे करते जा रहे हैं हालांकि कई जगह उन्हें अफगान सेनाओं के जबरदस्त प्रतिरोध का सामना करने के बाद उलटे पैर लौटना पड़ा है। लेकिन अभी भी एक बड़े हिस्से में तालिबानी हमले तेज होते जा रहे हैं। पूरा अफगानिस्तान इस समय तलवार की धार पर है। राष्ट्रपति अशरफ गनी इस हालत में पाकिस्तान की एक बड़ी भूमिका मानते हैं और उन्होंने पिछले दिनों अनेक अवसरों पर पाकिस्तान को तालिबानी जिहादियों को शह देने से बाज आने को कहा है। लेकिन अफगानिस्तान में मौजूदा असमंजस के हालात से चीन परेशान है और यह उसके बयानों में झलका भी है।
सिंक्यांग से आतंकी गतिविधियों को संचालित करने के लिए कुख्यात 'ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट' के जिहादी बड़ी तादाद में चीन की सरहद से सिर्फ 90 किलोमीटर दूर डेरा डाल चुके हैं। इन्हीं खबरों के बाद, बताते हैं, राष्ट्रपति शी जिनपिन ने रणनीति बदली है और अफगानिस्तान में अपना विशेष दूत बदलने का फैसला किया है।
सूत्रों के अनुसार, सिंक्यांग से आतंकी गतिविधियों को संचालित करने के लिए कुख्यात 'ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट' के जिहादी बड़ी तादाद में चीन की सरहद से सिर्फ 90 किलोमीटर दूर डेरा डाल चुके हैं। इन्हीं खबरों के बाद, बताते हैं, राष्ट्रपति शी जिनपिन ने रणनीति बदली है और अफगानिस्तान में अपना विशेष दूत बदलने का फैसला किया है। आज हालत यह है कि चीन ने अफगानिस्तान में अपनी कूटनीतिक कवायद बढ़ा दी है।
सिंक्यांग में दिखेगा असर
चीन का यह कदम ऐसे समय पर उठा है जब लड़ाई में उलझे अफगानिस्तान में गिनती के अमेरिकी सैनिक बचे हैं, शेष वापस लौट चुके हैं। इन हालात का बेशक पहले से संवेदनशील रहे सिंक्यांग प्रांत पर गंभीर असर पड़ सकता है। चीन पहले से सिंक्यांग में उइगर मुस्लिमों को अपने लिए खतरनाक मानता है, ऐसे में 'ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट' के आतंकवादी उसके लिए वहां सरदर्द की वजह बन सकते हैं। बीजिंग में विदेश विभाग के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने बताया है कि अफगानिस्तान में अब तक रहे विशेष दूत ल्यू जियान की जगह जिन युई शियाओ यांग को भेजा जा रहा है वे पहले कतर, जॉर्डन और आयरलैंड में कम्युनिस्ट चीन के राजदूत का कार्यभार संभाल चुके हैं। अब तक विशेष दूत रहे ल्यू अफगानिस्तान से पहले मलेशिया तथा पाकिस्तान में चीन के राजदूत रह चुके हैं। वे पिछले साल ही अफगानिस्तान में विशेष दूत के नाते नियुक्त हुए थे।
फिलहाल की जानकारी के अनुसार, तालिबान ने ईरान, पाकिस्तान तथा चीन के सीमांत छोर पर कब्जा कर लिया है। खबर यह भी है कि ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट के जिहादियों की एक बड़ी तादाद अफगानिस्तान के बडाकख्शान सूबे में जमा है और इसी सूबे की सरहद का 90 किमी का भाग चीन के सिंक्यांग से सटा है। इसी सिंक्यांग की सरहद पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू-कश्मीर तथा ताजिकिस्तान से भी सटी है।
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