14 जुलाई को अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमावर्ती शहर चमन में तालिबान के पाकिस्तानी समर्थक
अफगानिस्तान लगातार पाकिस्तान से अपील कर रहा है कि वह युद्धग्रस्त देश में आतंकियों को भेजना और उन्हें समर्थन देना बंद करे। लेकिन पाकिस्तान खुलकर तालिबान का समर्थन कर रहा है। अब उसने 10 हजार से अधिक आतंकियों को अफगानिस्तान में भेजा है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने इन अपने आतंकियों से कहा है कि वह अफगानिस्तान में भारत की सहायता से तैयार अवसंरचनाओं को ध्वस्त करे। तालिबान और पाकिस्तान के बीच गठजोड़ का आलम यह है कि अफगानिस्तान के स्पिन बोल्डक इलाके में तालिबान के झंडे के साथ पाकिस्तानी झंडा भी लहरा रहा है।
अफगानिस्तान में बीते दो दशकों में भारत ने शिक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में 3 अरब डॉलर से अधिक का निवेश कर यहां बुनियादी ढांचे का विकास किया है। इनमें 2015 में बनी अफगान संसद भवन और डेलारम-जरांज सलमा बांध के बीच 218 किलोमीटर लंबी सड़क भी शामिल है। इसके अलावा, हाल ही में भारत ने काबुल में पेयजल उपलब्ध कराने के लिए शहतूत बांध सहित कई अन्य परियोजनाओं में 35 लाख डॉलर के निवेश की घोषणा की थी।
भारत के सहयोग से अफगानिस्तान में चल रहे विकास कार्यों से पाकिस्तान चिढ़ता है। वह अफगानिस्तान में भारत के बढ़ते दखल को रोकने के लिए हर संभव प्रयास करता है। अब उसने आतंकियों की खेप भेजी है। खबरों के मुताबिक, आईएसआई ने पाकिस्तानी आतंकियों को खास तौर से अफगानिस्तान में भारत द्वारा विकसित अवसंरचनाओं को ध्वस्त करने के निर्देश दिए हैं।
यानी वह युद्धग्रस्त देश में भारत द्वारा किए गए अब तक के कार्यों को पूरी तरह तहस-नहस करना चाहता है। पाकिस्तान की सहायता से हक्कानी आतंकी नेटवर्क अफगानिस्तान में भारत के खिलाफ काम कर रहा है। अभी कुछ दिन पहले ही तालिबान के बढ़ते वर्चस्व के बीच भारत ने अपने 52 राजनयिकों और अधिकारियों को अफगानिस्तान से बुला लिया था।
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