चित्रकूट में दीनदयाल शोध संस्थान के कार्यकर्ताओं का मार्गदर्शन करते श्री मोहनराव भागवत
गत 13 जुलाई को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने चित्रकूट स्थित दीनदयाल शोध संस्थान के सभी प्रकल्पों के प्रभारियों और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वावलंबन अभियान का काम देख रहे समाजशिल्पी दंपतियों का मार्गदर्शन किया। वर्तमान बदलती की परिस्थितियों के संबंध में कार्यकर्ताओं द्वारा पूछे गए एक सवाल के उत्तर में उन्होंने कहा कि समय के अनुसार सबको बदलना होता है।
आकांक्षाएं तो पहले भी थीं। यह समाज में चलने वाली मानसिक प्रक्रिया है। कई बातों को तो कोरोना की परिस्थितियों ने बता दिया। ऐसी बातों को पहचानना होगा। उसमें जो शाश्वत है, सत्य है, वही चिरंतन है, वही टिकाऊ है। जो असत्य है, वह सत्य की कसौटी पर टिकने वाला नहीं है। अपने परिवार का पालन- पोषण किस तरह करना, समाज की व्यवस्था किस तरह चले, सृष्टि ठीक रहे, यह एक अपना तरीका अपने पास है, भारत के पास है।
उन्होंने कहा कि ग्रामीण एवं वनवासी क्षेत्रों में संस्कार अभी भी बचे हैं, लेकिन शहरी क्षेत्रों में आधुनिक शिक्षा के कारण कुछ गिरावट आई है। हमें समझना होगा कि संस्कार और शिक्षा दोनों जरूरी हैं। इसीलिए समाज को प्रबुद्ध बनाना चाहिए। उन्होंने आयुर्वेद का उदाहरण देते हुए कहा कि काल की कसौटी पर जो आयुर्वेद में है, वह एलोपैथी में नहीं है। इसका मतलब यह नहीं है कि एलोपैथी ठीक नहीं है, उसका भी एक अपना विशेष महत्व है। इस अवसर पर अनेक गणमान्यजन उपस्थित थे।
टिप्पणियाँ