पूजा—पाठ से 'अपराजिता' अभियान का शुभारंभ करते सेवा भारती के कार्यकर्ता
सेवा भारती, दिल्ली ने देह व्यापार में लगी महिलाओं को समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए 'अपराजिता' अभियान शुरू किया है। 15 जुलाई को अभियान का औपचारिक शुभारंभ किया गया। अभियान के अंतर्गत जीबी रोड में देह व्यापार में शामिल महिलाओं की छह से आठ साल की बच्चियों की परवरिश की व्यवस्था की गई है।
सेवा भारती, दिल्ली ने एक और बड़ा काम अपने हाथ में लिया है। इस संस्था ने देह व्यापार में लगीं महिलाओं की बच्चियों को पढ़ाने और उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का निर्णय लिया है। इन बच्चियों के लिए शांति निकेतन (दक्षिणी दिल्ली) में छात्रावास की व्यवस्था की गई है। फिलहाल इस छात्रावास में नौ बच्चियों के रहने की व्यवस्था है। सेवा भारती की योजना के अनुसार भविष्य में शांति निकेतन में ऐसी बच्चियों की संख्या और बढ़ाई जाएगी। प्रारंभिक स्तर पर यहां 100 बच्चियों के रहने और शैक्षणिक सुविधाओं की व्यवस्था की जाएगी। बच्चियों की देखभाल के लिए छात्रावास में महिला केयर टेकर 24 घंटे अपनी सेवाएं देंगी। छात्रावास में बच्चियों को पोषण—युक्त आहार, स्वास्थ्य और शिक्षण सुविधाओं की व्यवस्था की गई है। सेवा भारती दिल्ली के प्रदेश अध्यक्ष रमेश अग्रवाल के अनुसार अपराजिता का उद्देश्य मजबूरी में देह व्यापार में कदम रखने वाली महिलाओं की श्रृंखला को तोड़ना है। हम अपराजिता के जरिए देह व्यापार में शामिल महिलाओं की बेटियों का पालन-पोषण, स्वास्थ्य, शिक्षा और संस्कार प्रदान करेंगे। हमारा प्रयास होगा कि ये बेटियां समाज में प्रेरणा का स्रोत बनें। उन्होंने कहा कि यदि ये बेटियां बड़ी होकर समाज में बदलाव का वाहक बन गईं तो देह व्यापार की समस्या समाप्त हो जाएगी। खेल और प्रेरक कहानियों के जरिए बच्चियों के व्यक्तित्व के विकास पर जोर दिया जाएगा।
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एक अनुमान के अनुसार 1860 में दिल्ली के जीबी रोड इलाके में 14 महिलाओं के साथ देह व्यापार शुरू हुआ। आज यहां लगभग 2800 महिलाएं इस सामाजिक बुराई के साथी जीने को मजबूर हैं।
कोरोना काल में अभिभावकों को खोने वाले बच्चों की मदद
कोरोना काल में अलग-अलग तरह के सेवा कार्य संचालित करने के बाद सेवा भारती, दिल्ली ने एक और मानवीय पहल की है। संवा भारती ऐसे बच्चों की परवरिश में मदद करेगी, जिन्होंने कोरोना काल में अपने मां-बाप खो दिये। सेवा भारती द्वारा लगभग 800 ऐसे बच्चे दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों से चिन्हित किए गए हैं। इनमें 66 बच्चे ऐसे हैं, जिनके माता-पिता दोनों को इस महामारी ने निगल लिया है। सेवा भारती दिल्ली के प्रचार प्रमुख भूपेंद्र के अनुसार संगठन का प्रयास है कि इन बच्चों का पालन-पोषण उनके परिवार जन और रिश्तेदारों के यहां हो। ये बच्चों के चाचा, बड़े पिता, मामा हो सकते हैं। सेवा भारती ऐसे बच्चों के सामने आने वाले आर्थिक व अन्य संकटों को दूर करेगी। यदि बच्चों की शिक्षा की उचित व्यवस्था नहीं हो पाती है तो उन्हें सेवा भारती द्वारा संचालित दो छात्रावास में रखा जा सकता है। सेवा भारती द्वारा दिल्ली में दो छात्रावास चलाए जा रहे हैं। एक छात्रावास गोपालधाम के नाम से कक्षा एक से पांच तक के छात्रों के लिए है। दूसरे छात्रावास सेवाधाम में कक्षा छठी से 12वीं तक के बच्चों की शिक्षा और पालन-पोषण का प्रबंध है। ये दोनों ही छात्रावास मंडोली में स्थित है। सेवाधाम में कोरोना काल के पहले तक 300 से अधिक बच्चे रहकर पढ़ाई करते थे। वहीं, गोपालधाम में 15 बच्चे थे।
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