संस्कृति संवाद : राजपद पर निर्वाचन के वैदिक मानदण्ड
May 17, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम संस्कृति

संस्कृति संवाद : राजपद पर निर्वाचन के वैदिक मानदण्ड

by WEB DESK
Jul 15, 2021, 11:21 am IST
in संस्कृति, दिल्ली
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

प्रो. भगवती प्रकाश


वैदिक काल में राजा या राष्ट्र प्रमुख का निर्वाचन योग्यता के आधार पर होता था, इस निर्वाचन में जाति या स्त्री-पुरुष का कोई भेद नहीं था। इसके साथ ही राजा की भूमिका और कर्तव्य भी तय होते थे और वह परिषद के निर्णय मानने को बाध्य होता था

वैदिक काल से सूत्र ग्रन्थों की रचना होने तक राजा का पद योग्यता आधारित एवं जाति निरपेक्ष होने के पर्याप्त विवेचन मिलते हैं। राजा या राष्ट्र प्रमुख के चुनाव, राज्यकर्ता पर निर्वाचित स्वायत्त संस्थाओं के नियन्त्रण, राज्य के निर्णयों में स्वायत्त सभाओं व परिषदों की भूमिका का विवेचन विगत लेखों में किया गया है। यहां ग्रामाधिपों व रत्नियों की सभा में गुणावगुणों के आधार पर राजा का चयन या निर्वाचन और सुयोग्य व्यक्ति का वर्ण निरपेक्षता पूर्वक राजा के पद पर चयन आदि की चर्चा की जायेगी।

वर्णनिरपेक्षता पूर्वक सभी वर्गों के राजाओं के उदाहरण :
जैमिनी पूर्वमीमांसा सूत्र (2/313) की व्याख्या में कुमारिल भट्ट ने लिखा है कि सभी वर्णों, जातियों व वर्गों के लोग शासक होते देखे गये हैं। पाल वंश के साम्राज्य का संस्थापक गोपाल शूद्र था जिसे राजा चुना गया था (पाण्डुरंग वामन 595)। महाभारत शान्ति पर्व के अनुसार, जो भी कोई दस्युओं अथवा डाकुओं से जनता की रक्षा करता है और नियमानुसार दण्डाधिकार धारित कर उसका न्यायपूर्वक निर्वहन करता है, प्रजाजन को उसे राजा मान्य कराना चाहिए।

चीनी यात्री युवान च्यांग (ह्वेनत्सांग) ने 630-645 ईस्वीं में भारत के प्रवास के वृत्तांत में लिखा है कि सातवीं सदी के पूर्वार्द्ध में सिन्ध पर शूद्र राजा का राज्य था (पाण्डुरंग वामन काणे 595)। शुंग, वाकाटक, व कदम्ब आदि ब्राह्मणों के साम्राज्य थे। शास्त्रकारों के अनुसार आपातकाल में वेदज्ञ ब्राह्मण को भी राजा, सेनापति या दण्डाधिपति बनाया जा सकता है (मनुस्मृति 12/100)। विदेशी मुस्लिम आक्रान्ताओं से संघर्ष के दौर में वेदों के भाष्यकार सायणाचार्य विजयनगर साम्राज्य के महामात्य व प्रधान सेनापति थे। वेदों की प्राचीनतम व्याख्याओं में 14वीं सदी का सायण भाष्य सर्वसुलभ है। पूर्ववर्ती व्याख्याएं मुस्लिम आक्रान्ताओं ने नष्ट कर दीं। 16वीं सदी की महीधर की, 19वीं सदी की दयानन्द सरस्वती व बीसवीं सदी की सातवलेकरजी की व्याख्याएं सुलभ हैं।

शासन पर पुरुष वर्ग का ही एकाधिकार नहीं था। तेरहवीं शताब्दी के गंजाक ताम्रपत्र में शुभांकर की मृत्यु पर उसकी रानी एवं उसकी पुत्री के राजपद पर सुशोभित किए जाने का वर्णन है। उनकी पुत्री दण्डी महादेवी को ‘‘परमभट्टारिका महाराजाधिराजयरमेश्वरी’’ की उपाधि भी दी गई थी। पांचवीं सदी से पूर्व रचित रघुवंश (29/55-57) में राज आनिवर्ण की विधवा रानी के राज्यारोहण का वर्णन है।

राजपद पर चुनाव की सुदृढ़ कसौटी
राजा का पद अनेक कसौटियों या शर्तों और वह कठोर नियमों के अनुशासन के अधीन रहा है। इनमें अधिकारों के स्थान पर कर्तव्यों व उत्तरदायित्वों की प्रमुखता थी। ऋग्वेद तथा अथर्ववेद के सूक्तों में प्रजा द्वारा राजा के निर्वाचन का उल्लेख है। अथर्ववेद के मंत्र (6.88.3) में उल्लेख है कि सभी दिशाओं से आयी प्रजाएं तुझे राज्य के लिए निर्वाचित करती हैं। कदाचित राजा की नियुक्ति समिति करती थी। अथर्ववेद के उक्त मन्त्र 6.88.3 (धुर्रवाय ते समिति: कल्पतामिह) के अनुसार राजा का निर्वाचन सर्वसम्मति से होता था जिसका आधार गुणों में सर्वात्कृष्टता था। (अर्थववेद 20.54.1) राजा के निर्वाचन के पश्चात राज्याभिषेक होता था। राजा के कर्तव्यों के बारे में यजुर्वेद में चार प्रधान कर्तव्य बताये गये हैं-कृषि की उन्नति, श्रेय या जनकल्याण, रयि अर्थात आर्थिक समुन्नति और पोष अर्थात् राष्ट्र की सुदृढ़ता। (यजुर्वेद 9/22)

जन-अपेक्षाओं की पूर्ति की अनिवार्यता
मन्त्र: अस्मे वोऽअस्त्विन्द्रियमस्मे नृम्णमुत क्रतुरस्मे वर्चासि सन्तु व:। नमो मात्रे पृथिव्यै नमो मात्रे पृथिव्याऽइयं ते राड्यन्तसि यमनो ध्रवोऽसि धरुण: कृष्यै त्वा क्षमाय त्वा रय्यै त्वा पोषांय त्वा।। यजुर्वेद 9/22।। …वयं राष्ट्रे जागृयाम पुरोहिता: स्वाहा (यजुर्वेद 9/23)
हम पुर या नगर के हित रक्षक अर्थात् पुरोहित आलस्य त्याग कर पृथ्वी के प्रति सर्वाेच्च आदर व समर्पण-पूर्वक मातृभूमि को नमस्कार अर्पित कर (नमो मातृे पृथिव्यै-मात्रे पृथिव्या नम:) हे राजन, तुम्हें राज्य का संचालक (यन्ता असि) स्वीकार करते हैं। तू राज्य के सभी अंगों का नियामक, ध्रुव की भांति स्थिरतापूर्वक हम सभी के लिए आश्रय बन (यमन: ध्रव: घरूण: असि)। इस राष्ट्र में (इयं ते राड्) कृषि समृद्धि, हम सभी के राष्ट्रजनों योगक्षेम, जगत कल्याण, राष्ट्र के ऐश्वर्य में वृद्धि व प्रजा पालनार्थ तुझे स्वीकारते हैं (त्वा कृष्ये, त्वा क्षेमाय, त्वा रटये, त्व पोषाय)। तुम्हारे तेजोमय शासन में हम (व: वचांसि अस्मे सन्तु) शारीरिक बल सम्पन्न हों,  (इन्द्रिम अस्में अस्तु) सभी प्रकार के ऐश्वर्य, हमें प्राप्त हों और धन व कर्म सामर्थ्य हमें तुम्हारे राज्य में प्राप्त हो (व: वचांसि अस्मे सन्तु)…हम पुर के हित के लिए चिन्तनरत रह कर इस राष्ट्र को जागृत रखते हैं। (9/23)

मन्त्र: परि सेव पशुमान्ति होता राजा न सत्य: समितीरियान: ।
सोमरू पुनान: कलशाँ अयासीत्सीदन्मृगो न महिषो वनेषु।। (ऋग्वेद 9/92/611)

भावार्थ: सत्य की निर्णायक सभा के निर्देश पर शासन रूपी हवन में अपने निजी सुखों की हवि देकर, ज्ञान की आगार सभा की संतुष्टि के लिए दृढ़प्रतिज्ञ राजा के इस राज्य में हम प्रजाजन वैसे ही निर्द्वन्द्व व प्रमुदित होकर अपने जीवन लक्ष्यों को प्राप्त करते रहें जैसे परमात्मा द्वारा विकसित सधन वन में मृग विहार करते हैं।

स्वायत्त व उच्चाधिकार प्राप्त समितियां व उनकी संरचना
वैदिक युग में समिति का कार्य मुख्यतया राजा चुनना, उसके कर्तव्यों का निर्धारण, कर्तव्य पालन न करने पर पदच्युत करना, राज्य से निर्वासन आदि था (आत्वा…मात्वद राष्ट्रमाधि भ्रशत-ऋग्वेद 10.173.1)। प्रायश्चित कर लेने पर पुन: राज्यासीन करना, राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर पूर्ण नियन्त्रण, राज्य में अन्याय व अत्याचार रोकना आदि। इसके लिए समिति में अध्यक्ष के साथ-साथ राजा की उपस्थिति अनिवार्य थी।

राजा के निर्वाचन व नियामक इन सभाओं में निर्वाचित ग्रामाधिप या ग्रामणियों के अतिरिक्त राजकृत या राज्य-रत्न भी रहते थे। जिन्हें आज के सन्दर्भ में नियामक या शीर्ष संवैधानिक अधिकरणों का प्रमुख कहा जा सकता है। ये सभी राजा के निर्वाचन में भाग लेते थे। शतपथ ब्राह्मण अध्याय 13 में इनकी संख्या 11 बतलायी ेयी है तथा इन्हें एकादश रत्नानि कहा गया है। इनका क्रम है- 1. सेनापति 2. पुरोहित 3. महिषी/ महारानी 4. सूत 5. ग्रामणी/वैश्य 6. क्षत्ता/आय-व्यय-अधिकारी 7. संग्रहीता/कोषाध्यक्ष 8. भागदुध/राजस्व अधिकारी 9. अक्षावाप/आय-व्यय निरीक्षक 10. गोविकर्ता/अरण्यपाल 11. पालागल/सन्देश वाहक। ये रत्नि व सभा मिलकर राजा का चुनाव करते थे। राजा की चुनावकर्ता सभाओं में भद्र लोग राजा के कर्ता, सूत, ग्राम-मुखिया, दक्ष शिल्पी रथकार, कुशल श्रेणियों के प्रतिनिधि यथा धातुकर्मी आदि व अन्य कौशल सम्पन्न लोग होते थे। (अथर्ववेद 3/5/6 एव 7)

मन्त्र: ये राजानो राजकृता: सूता, ग्रामण्यश्च ये। उपस्तीन पर्ण मह्यं त्वं सर्वान कृण्वभितो जनान।। (अथर्ववेद 3/5/7)
वैदिक युगीन राजनीति में सभा और समिति, दो महत्वपूर्ण अंग थे। अथर्ववेद में सभा और समिति को राजा का प्रिय साधन करने वाली कहा गया है। राजा द्वारा सभा और समिति की स्थापना के बाद भी उनके निर्णय राजा पर बाध्यकारी होते थे। सभा के सदस्य को सभ्य, सभेय और सभासद् कहते थे। सभा अध्यक्ष सभापति कहलाता था। सभा का मुख्य कार्य सभी विवादग्रस्त विषयों को निपटाना था। सभा का निर्णय अन्तिम होता था।
 (लेखक गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय, ग्रेटर नोएडा के कुलपति हैं)

Follow Us on Telegram

 

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

मणिपुर में भारी मात्रा में हथियार और विस्फोटक बरामद

एनआईए (प्रतीकात्मक चित्र)

पंजाब में 15 ठिकानों पर NIA की छापेमारी, बब्बर खालसा से जुड़े आतंकियों की तलाश तेज

India And Pakistan economic growth

आतंकवाद और व्यापार एक साथ नहीं चल सकते

नीरज चोपड़ा ने दोहा डायमंड लीग में रचा इतिहास, PM मोदी ने शानदार उपलब्धि पर दी बधाई

उत्तराखंड : अरबों की सरकारी भूमि पर कब्जा, कहां अटक गई फैज मोहम्मद शत्रु संपति की फाइल..?

#ऑपरेशन सिंदूर : हम भांप रहे हैं, वो कांप रहे हैं

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

मणिपुर में भारी मात्रा में हथियार और विस्फोटक बरामद

एनआईए (प्रतीकात्मक चित्र)

पंजाब में 15 ठिकानों पर NIA की छापेमारी, बब्बर खालसा से जुड़े आतंकियों की तलाश तेज

India And Pakistan economic growth

आतंकवाद और व्यापार एक साथ नहीं चल सकते

नीरज चोपड़ा ने दोहा डायमंड लीग में रचा इतिहास, PM मोदी ने शानदार उपलब्धि पर दी बधाई

उत्तराखंड : अरबों की सरकारी भूमि पर कब्जा, कहां अटक गई फैज मोहम्मद शत्रु संपति की फाइल..?

#ऑपरेशन सिंदूर : हम भांप रहे हैं, वो कांप रहे हैं

प्रतीकात्मक तस्वीर

देहरादून : पहलगाम हमले के डॉक्टर तंजीम ने बांटी मिठाइयां, पुलिस ने दर्ज की एफआईआर

पाकिस्तान में असुरक्षित अहमदिया मुसलमान : पंजाब प्रांत में डाक्टर की गोली मारकर हत्या

सीमित सैन्य कार्रवाई नहीं, भारत को चाहिए क्षेत्रीय संतुलन पर आधारित स्पष्ट रणनीति : डॉ. नसीम बलोच

नीरज चोपड़ा

नीरज चोपड़ा ने रचा इतिहास, पहली बार भाला फेंका 90 मीटर के पार, गोल्डन ब्वॉय ने अपना ही रिकॉर्ड तोड़ा

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies