भाजपा ने उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर मंगलवार को आरोप लगाया कि अपने कार्यकाल में उन्होंने सिलसिलेवार बम धमाकों में शामिल खूंखार आतंकियों के खिलाफ मुकदमे वापस लिए। ये आतंकी 7 मार्च, 2006 को वाराणसी के संकट मोचन मंदिर और कैंट रेलवे स्टेशन पर सिलसिलेवार विस्फोटों में शामिल थे।
उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने आरोप लगाया कि अखिलेश यादव ने यूपी में सीरियल बम धमाकों में शामिल आतंकवादियों के खिलाफ मामले वापस ले लिए। यही नहीं, अखिलेश ने अपने कार्यकाल के दौरान आईबी अधिकारियों सहित प्रदेश के अधिकारियों के खिलाफ मामले भी दर्ज करवाए। सिद्धार्थ सिंह ने बाकायदा दस्तावेज साझा करते हुए अखिलेश यादव ये बातें याद दिलाईं। उन्होंने कहा, "अखिलेश यादव वही मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने उत्तर प्रदेश के सीरियल बम विस्फोट में शामिल आतंकवादियों के खिलाफ मामले वापस ले लिए थे। आप उस पार्टी के हैं, जो आतंकवादियों के साथ खड़ी है।"
बता दें कि रविवार को अखिलेश यादव में अलकायदा से जुड़े दो आतंकियों की गिरफ्तारी पर कहा था कि उन्हें राज्य पुलिस और भाजपा सरकार की कार्रवाई पर भरोसा नहीं है। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का यह वीडियो सुर्खियों में है, जिसमें वह ये बात कहते दिख रहे हैं। हालांकि सपा ने आरोप लगाया कि उनके वीडियो को गलत तरीके से संपादित करके फैलाया जा रहा है। सपा 15 जुलाई को प्रदेश भर में प्रदर्शन करेगी। तहसील मुख्यालय पर होने वाले प्रदर्शन के बाद राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन सौंपा जाएगा। प्रदर्शन के दौरान बढ़ती महंगाई, नौजवानों की बेरोजगारी, बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था, हत्या सहित अन्य अपराधिक घटनाओं का विरोध किया जाएगा।
अखिलेश के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए उत्तर प्रदेश के मंत्री मोहसिन रजा ने कहा, ‘‘इस तरह के बयान की उम्मीद समाजवादी पार्टी से ही की जा सकती है। अखिलेश यादव को आतंकवादियों पर भरोसा है, अपने राज्य की पुलिस पर नहीं। जब वह सरकार में थे तो उन्होंने कहा कि आतंकवादी निर्दोष हैं। योगी सरकार में यूपी पुलिस का मनोबल बढ़ा है।’’
14 मुकदमे वापस लिए थे
अखिलेश सरकार में 2013 में सात जिलों में खूंखार आतंकवादियों के खिलाफ दर्ज कुल 14 मामले वापस ले लिए गए थे। इसमें वाराणसी, गोरखपुर, बिजनौर, रामपुर और बाराबंकी में एक-एक, लखनऊ में आठ तथा कानपुर नगर में तीन खूंखार आतंकियों के मामले शामिल थे। अखिलेश सरकार द्वारा संकट मोचन मंदिर ब्लास्ट में शामिल आतंकियों के खिलाफ केस वापस लिए जाने के बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने नाराजगी जताते हुए सपा सरकार से जवाब भी मांगा था। न्यायालय ने कहा था, ‘‘क्या अखिलेश सरकार कल इन आरोपियों को पद्म भूषण से सम्मानित करेगी। कौन तय करेगा कि आतंकवादी कौन है? जब मामला अदालत में है, तो अदालत को फैसला करने दें। सरकार कैसे तय कर सकती है कि आतंकवादी कौन है?’’
बता दें कि 7 मार्च, 2006 को वाराणसी संकट मोचन मंदिर में हुए बम धमाकों में 18 लोग मारे गए थे और सैकड़ों घायल हुए थे। अखिलेश सरकार ने महानिदेशक नागरिक सुरक्षा बृजलाल, पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह और 42 पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया था।
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