गत दिनों जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में हिन्दी की प्रोफेसर पूनम कुमारी ने उत्तर प्रदेश को लेकर आनलाइन एक विचार श्रृंखला की शुरुआत की है। इसमें उत्तर प्रदेश की कानून—व्यवस्था, महिला सशक्तिकरण, चिकित्सा, कारोबार आदि विषयों पर हर 15वें दिन एक गोष्ठी आयोजित होगी। इसकी पहली कड़ी की शुरुआत 10 जुलाई को हुई। इसका विषय था—'उत्तर प्रदेश में कानून—व्यवस्था अतीत की नजर से वर्तमान का आंकलन।' इसके वक्ताओं ने योगी सरकार की कानून—व्यवस्था की बड़ी प्रशंसा की।
दिल्ली विश्वविद्यालय में काूनन के सहायक प्रोफेसर डॉ. सिद्धार्थ मिश्रा ने कहा कि पिछली सरकारों में कानून—व्यवस्था में ढिलाई का कारण प्रतिबद्धता में कमी और उदासीनता थी। लेकिन वर्तमान योगी सरकार ने अपराध को बिल्कुल सहन न करने की नीति अपनाई है। यही नहीं, सरकार ने महिला सुरक्षा पर जोर दिया है, जो प्रशंसनीय है। उन्होंने यह भी कहा कि अवैध कत्लखानों के विरुद्ध कार्रवाई, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों को न्याय दिलाने वाले कानून के प्रति योगी सरकार के कदम व्यवस्था को ठीक करने वाले हैं।
मुम्बई के कारोबारी सौरभ कुमार अखौरी ने कहा कि अगर शासक की दृष्टि सही और इच्छाशक्ति मजबूत हो तो प्रजाहित में कार्य होते हैं। उन्होंने 1986 के उत्तर प्रदेश गुंडा कानून का उदाहरण देते हुए बताया कि आतंकवाद, हिंसा, फिरौती, राज्य की शांति और संपत्ति नष्ट करने की कोशिश इन सभी मुद्दों पर पहले भी कानून थे, पर इच्छाशक्ति की कमी के कारण पहले की सरकारें कानून—व्यवस्था ठीक करने में उतनी सफल न हो सकीं। वर्तमान योगी सरकार ने मजबूत इच्छाशक्ति से इन सभी कानूनों को लागू किया है। इसका लाभ भी मिल रहा है।
कार्यक्रम संयोजक डॉ. पूनम कुमारी ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने कानून—व्यवस्था को बहुत हद तक ठीक कर दिया है। इसका अनुभव सब लोग कर भी रहे हैं।
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