पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में एक स्कूली किताब से पाकिस्तान की 'नामी विभूतियों' के अध्याय से नोबल पुरस्कार प्राप्त मलाला यूसुफजई का चित्र और विवरण हटाने की मांग तेज होती जा रही है। सुनने में आया है कि पाठ्यक्रम में अल कायदा के सरगना, 9 सिम्बर 2011 को अमेरिका में भीषण आतंकी हमले के दोषी ओसामा बिन लादेन को शामिल किया जाएगा। इससे साफ होता है कि पाकिस्तान में कट्टरपंथी ताकतें कितनी प्रभावी होती जा रही हैं। आतंकी तत्व किस हद तक आम पाकिस्तानी की सोच को प्रभावित कर रहे हैं!
मलाला को लेकर यूं भी कभी पाकिस्तानी आतंकी तत्व सहज नहीं रहे हैं, उसे धमकियां मिलती रही हैं। उसके अपने सूबे स्वात घाटी में ऐसे लोगों की अच्छी-खासी संख्या है जो मलाला का नाम तक नहीं सुनना चाहते। उनके लिए स्कूली किताब में उस पर अध्याय होना बर्दाश्त से बाहर की बात है। यही वजह है कि किताब से मलाला का नाम हटाने का आवाज बुलंद होती जा रही है।
पिछले दिनों सिंध सूबे की सरकार ने वहां के एक सरकारी स्कूल का नाम मलाला के नाम पर रखने का फैसला किया। यह स्कूल है 'सेठ कुवरजी खीमजी लोहाना गुजराती स्कूल'। इसी स्कूल का नाम बदल दिया गया है और अब इसका नाम है 'मलाला यूसुफजई सरकारी गर्ल्स सेकेंडरी स्कूल'। कराची के मिशन रोड पर स्थित इस स्कूल का नाम बदलने के फौरन बाद से विरोध होने लगा है।
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्कूल की एक किताब में 'पाकिस्तान के महत्वपूर्ण लोग' नाम का अध्याय है। इसी में मलाला का बढ़—चढ़कर बखान किया गया है। बस, यही चीज कट्टर मजहबी तत्वों को रास नहीं आ रही है। वहां लोग प्रधानमंत्री इमरान खान को टैग करके ट्विटर पर स्कूली किताबों से मलाला का विवरण हटाने लगातार मांग कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर एक आदमी ने किताब की फोटो साझा की है, इसमें अल्लामा इकबाल, चौधरी रहमत अली, लियाकत अली खान, मोहम्मद अली जिन्ना, बेगम राणा लियाकत अली और अब्दुल सत्तार ईधी के साथ मलाला का चित्र और बखान है।
कई लोगों ने सोशल मीडिया पर पंजाब सूबे की हुकूमत से मलाला को स्कूली किताब से तुरंत हटाने की मांग की है। हालांकि अभी पंजाब सूबे की सरकार ने सोशल मीडिया पर मलाला को लेकर हो रहे विरोध पर कुछ भी नहीं कहा है, लेकिन लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है।
बदल दिया स्कूल का नाम
इसी से मिलती-जुलती एक और खबर से पर्दा हटा है। पिछले दिनों सिंध सूबे की सरकार ने वहां के एक सरकारी स्कूल का नाम मलाला के नाम पर रखने का फैसला किया। यह स्कूल है 'सेठ कुवरजी खीमजी लोहाना गुजराती स्कूल'। इसी स्कूल का नाम बदल दिया गया है और अब इसका नाम है 'मलाला यूसुफजई सरकारी गर्ल्स सेकेंडरी स्कूल'। कराची के मिशन रोड पर स्थित इस स्कूल का नाम बदलने के फौरन बाद से विरोध होने लगा है। यहां के लोगों ने नाम बदलने के सरकार के फैसले का जबरदस्त विरोध किया है। उधर कराची के मानवाधिकारी कार्यकर्ता कपिल देव ने अपने ट्विट में लिखा है कि सिंध सरकार भले किसी और सरकारी स्कूल का नाम बदलकर मलाला रख दे, लेकिन सेठ कुवरजी खिमजी लोहाना स्कूल से उनका इतिहास जुड़ा है, इसलिए इतिहास से छेड़छाड़ न की जाए, स्कूल का नाम न बदला जाए। पाकिस्तान में रह रहे हिंदुओं का कहना है कि मलाला का नाम किसी और स्कूल को दे दें, लेकिन मलाला के बहाने यहां के हिंदुओं का इतिहास मिटाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।
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