आलोक गोस्वामी
सांसदों की मांग, ब्रिटिश सरकार उइगरों का दमन करने वाले चीन में 2022 को होने वाले शीतकालीन ओलंपिक खेलों का बहिष्कार करे|
ब्रिटेन के सांसदों के एक प्रभावशाली दल ने मांग की है कि जॉनसन सरकार बीजिंग में 2022 के शीतकालीन ओलंपिक खेलों का राजनीतिक बहिष्कार करे। सांसदों का कहना है कि चीन सरकार पर सिंक्यांग प्रांत में उइगरों और अन्य जातीय समूहों के नरसंहार के खिलाफ दबाव बनाना जरूरी है। सांसदों ने सरकार से अपील की है कि उइगरों के शोषण पर चीन को जिम्मेदार ठहराया जाए।
कंजर्वेटिव पार्टी के सांसद टॉम के नेतृत्व वाली विदेश मामलों की समिति ने एक रिपोर्ट में कहा कि सिंक्यांग में उइगरों के प्रति हो रहे अत्याचार दिखाते हैं कि यह अंतरराष्ट्रीय पैमाने की समस्या है। इसे कोई भी सभ्य सरकार अनदेखा नहीं कर सकती।
मई 2021 में अमेरिकी सीनेट की अध्यक्ष नैंसी पलोसी ने भी अमेरिकी कांग्रेस में ठीक ऐसी ही अपील की थी। पलोसी ने अमेरिकी सरकार से चीन का कूटनीतिक बहिष्कार करने को कहा था। उन्होंने कांग्रेस में अपने भाषण में सिंक्यांग में उइगरों के दमन का उल्लेख करते हुए चीन को सीधे-सीधे कठघरे में खड़ा किया था।
रपट में कहा गया है कि प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की कंजर्वेटिव सरकार उत्तर-पश्चिम चीन में उइगर तथा अन्य मुस्लिम और जातीय तुर्की भाषाई समूह के अल्पसंख्यकों के खिलाफ बीजिंग की नीतियों को नरसंहार तथा इंसानियत के खिलाफ अपराध घोषित करे। सरकार इस संदर्भ में ब्रिटिश सांसदों के गत अप्रैल में लिए गए फैसले का समर्थन करे। ब्रिटिश सांसदों की समिति ने कई अन्य सिफारिशों के साथ ही यह भी जोड़ा है कि जॉनसन सरकार ओलंपिक खेलों में भाग न ले। उल्लेखनीय है कि ये खेल बीजिंग में फरवरी 2022 में होने हैं।
उल्लेखनीय है कि मई 2021 में अमेरिकी सीनेट की अध्यक्ष नैंसी पलोसी ने भी अमेरिकी कांग्रेस में ठीक ऐसी ही अपील की थी। पलोसी ने अमेरिकी सरकार से चीन का कूटनीतिक बहिष्कार करने को कहा था। उन्होंने कांग्रेस में अपने भाषण में सिंक्यांग में उइगरों के दमन का उल्लेख करते हुए चीन को सीधे-सीधे कठघरे में खड़ा किया था।
29 साल की मिहरिया एर्किन जून, 2019 में जापान की कंपनी नारा टेक्नोलॉजी की अपनी नौकरी छोड़कर सिंक्यांग में रह रहे अपने माता-पिता की कुशलक्षेम लेने आई थी। फरवरी 2020 में उसे अचानक पकड़कर काशगर स्थित यांबुलाक शिविर में ले जाकर कैद कर दिया गया। लेकिन दिसम्बर 2020 में उसकी मौत की खबर सुनकर रिश्तेदार कांप उठे। ऐसे एक नहीं, अनेक उदाहरण हैं चीनी बर्बरता के।
उइगरों के दमन के खिलाफ कई अन्य देशों में भी जागरूकता आ रही है। हाल ही में जापान से अपने माता-पिता से मिलने सिंक्यांग लौटी एक उइगर युवती को एक शिविर में यातनाएं देकर मार देने का खुलासा हुआ है। जीव विज्ञानी 29 साल की मिहरिया एर्किन जून, 2019 में जापान की कंपनी नारा टेक्नोलॉजी की अपनी नौकरी छोड़कर सिंक्यांग में रह रहे अपने माता-पिता की कुशलक्षेम लेने आई थी। फरवरी 2020 में उसे अचानक पकड़कर काशगर स्थित यांबुलाक शिविर में ले जाकर कैद कर दिया गया। लेकिन दिसम्बर 2020 में उसकी मौत की खबर सुनकर रिश्तेदार कांप उठे। ऐसे एक नहीं, अनेक उदाहरण हैं चीनी बर्बरता के जिनको दबाए रखने के लिए चीन विभिन्न देशों के मीडिया को अकूत पैसा खिलाता है।
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