गत दिनों कोलकाता उच्च न्यायालय ने स्पष्ट कहा कि चुनाव बाद हुई हिंसा की सारी घटनाओं की एफआईआर दर्ज हो। इसके बाद लोग शिकायत दर्ज कराने के लिए आगे भी आ रहे हैं, लेकिन पुलिस उन्हें ऐसा करने से रोक रही है। यह कहना है राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) का।
इन दिनों राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) का जांच दल पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा से प्रभावित लोगों के पास जाकर पूछताछ कर रहा है। इस दौरान लोग बता रहे हैं कि पुलिस उन्हें एफआईआर दर्ज करने से रोक रही है। यह बात एनएचआरसी जांच दल के सदस्य और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष आतिफ रशीद ने कही है। बता दें कि जांच दल 8 जुलाई को मुर्शिदाबाद जिले के हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा कर रहा था। इस दल में लतीफ भी थे। दौरे के बाद उन्होंने मुर्शिदाबाद के पुलिस अधीक्षक (एसपी) के साथ बैठक की। बैठक में उन्होंने एसपी से शिकायत की कि जनता पुलिस से डरी हुई है। बैठक के बाद उन्होंने मीडिया को बताया कि पीड़ितों की गलती केवल इतनी है कि उन्होंने विधानसभा चुनाव में भाजपा को वोट दिया है। रशीद ने दावा किया कि पुलिस पीड़ितों को शिकायत दर्ज न करने की धमकी भी दे रही है।
इससे पहले लतीफ 29 जून को कोलकाता के जादवपुर भी गए थे। वहां उन पर भी हमले का प्रयास हुआ था। इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि पश्चिम बंगाल में कानून—व्यवस्था का क्या हाल है।
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