अश्वनी मिश्र
जम्मू—कश्मीर से दो सिख लड़कियों को बंदूक की नोक पर अगवा कर जबरन इस्लाम में कन्वर्जन करने के मामले ने तूल पकड़ा हुआ है। इनमें से एक लड़की को भारी विरोध के बाद परिवार को सौंप दिया गया, जबकि दूसरी अभी भी गिरफ्त में है
जम्मू-कश्मीर स्थित श्रीनगर से दो सिख लड़कियों को बंदूक की नोक पर अगवा कर उनके इस्लाम में जबरन कन्वर्जन मामले ने तूल पकड़ा हुआ है। इनमें से एक लड़की को भारी विरोध के बाद परिवार को सौंप दिया गया, जबकि दूसरी अभी भी गिरफ्त में है। घाटी में इस घटना के बाद से अल्पसंख्यक समुदाय में उबाल है। जगह-जगह इसके विरोध में प्रदर्शन हो रहे हैं तो इसकी आंच नई दिल्ली तक देखी गई। एक तरफ शिरोमणि अकाली दल के नेता मनजिंदर सिंह सिरसा और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने घटना की गंभीरता को शासन-प्रशासन के समक्ष रखा है तो दूसरी ओर सिख संगठन जम्मू-कश्मीर से लेकर दिल्ली तक घटना के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं। इसी कड़ी में जागो पार्टी के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष सरदार मनजीत सिंह के नेतृत्व में सिख समुदाय के सैकड़ों लोगों ने नई दिल्ली में विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने सरकार से मांग की कि सिख लड़कियों को उनके परिवार को वापस सौंपा जाए। घाटी में जबरन कन्वर्जन पर लगाम लगाई जाए।
जबरन कराया इस्लाम कबूल
घाटी का सिख समुदाय रैनावारी मामले को लेकर बेहद आक्रोशित है। आरोप है कि 21 जून को 18 साल की एक सिख लड़की को अगवा किया गया। माता-पिता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने 36 घंटे का समय मांगा, पर लड़की नहीं मिली। लेकिन 26 जून को अचानक लड़की अदालत में हाजिर हो गई। इस दौरान पता चला कि उसका निकाह एक अधेड़ शख्स से करा दिया गया, जिसकी पहले से शादी हो चुकी और बच्चे भी हैं। प्रदर्शनकारी सिख संगठनों का आरोप है कि जबरन कन्वर्जन के इस खेल में नीचे से ऊपर तक मिलीभगत है।
लव जिहाद का मामला
जिस दूसरी लड़की को अगवा किया गया, वह भी श्रीनगर स्थित महजूर नगर की है। इस घटना के बारे में एक स्थानीय गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष संतपाल सिंह बताते हैं कि मुस्लिम अधेड़ने लड़की को प्यार का झांसा देकर फंसा लिया और फिर निकाह करके जबरन इस्लाम कबूल करवा दिया। हमारा समाज मानता है कि यह निश्चित रूप से लव जिहाद का मामला है। इस घटना के संबंध में प्रशासन को जिस तरह की कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए थी, उसके द्वारा नहीं की गई। उन्होंने बताया कि प्रशासन की ओर से लिखित में आश्वासन दिया गया था कि लड़की को खोज कर परिवार के हवाले कर दिया जाएगा, लेकिन कोर्ट का आदेश उनके खिलाफ आ गया है। वे आगे बताते हैं कि सुनवाई के दौरान लड़की के परिजनों को कोर्ट के अंदर तक जाने नहीं दिया गया। कोविड-19 प्रोटोकॉल का बहाना बनाकर उन्हें बाहर ही बैठा दिया गया। जबकि मुस्लिम लड़के के परिजनों को न्यायालय के भीतर जाने दिया गया और लड़की के परिवार के बिना ही उसके बयान दर्ज कर लिए गए।
प्रदर्शनकारियों ने उठाए सवाल
घटना के बाद से कश्मीर घाटी उबल रही है। सिख समाज के लोग अनेक मंचों पर अपनी बात रखकर विरोध दर्ज कराते हुए कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। इसी तरह से श्रीनगर के प्रदर्शन में शामिल गुरुजोत सिंह कहते हैं,‘‘घाटी में एक साजिश के तहत अल्पसंख्यक समाज की लड़कियों को निशाना बनाया जाता है। यह कोई पहली घटना है, ऐसा नहीं है। पिछले कुछ वर्षों में कश्मीर में दर्जनों ऐसी घटनाएं हुई हैं। अकेले बारामूला से ही दर्जनों सिख लड़कियों का जबरन निकाह और कन्वर्जन कराया गया है। और तो और, यहां के मुस्लिम लड़के चंडीगढ़ तक की लड़कियों को प्यार के झांसे में बहला-फुसलाकर लाते हैं और बाद में उनका जबरन कन्वर्जन कराते हैं।’’ इसी तरह पुलवामा के रहने वाले प्रदर्शनकारी तजिंदर सिंह कहते हैं,‘‘घाटी में लव जिहाद के मामले दिनोदिन बढ़ रहे हैं। हमारी बहन-बेटियां सुरक्षित नहीं हैं। उन्हें बाहर भेजते हमारा दिल घबराता है कि कब, क्या हो जाए! क्योंकि एक कट्टरपंथी समूह है, जिसका यही काम है-हिन्दू और सिख लड़कियों को पहले प्रेमजाल में फंसाना और फिर उनका इस्लाम में कन्वर्जन कराना।’’ वे आगे कहते हैं,‘‘सिख समाज दूसरे समुदाय की लड़कियों की रक्षा करता है, पर हमारे समाज की बेटियां जब खतरे में हैं, तो घाटी के बहुसंख्यक मुस्लिमों में से किसी एक ने भी आवाज नहीं उठाई है।’’
घटना से कराया अवगत
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने इस मामले के संबंध में राज्य के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से हस्तक्षेप की मांग की है। मुलाकात के दौरान उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में भी उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की तर्ज पर लव जिहाद का कानून बनाया जाए। तो दूसरी तरफ केंद्र सरकार ने भी मामले को गंभीरता से लिया है। सिरसा ने कहा कि उनकी गृह मंत्री अमित शाह से फोन पर बात हुई। इस दौरान उन्हें पूरी घटना से अवगत कराया और घाटी में सिखों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई। साथ ही यह भी बताया कि एक सोची-समझी साजिश के तहत अल्पसंख्सक लड़कियों का कन्वर्जन कराया जा रहा है। इस दौरान गृहमंत्री ने अगवा की गईं बेटियों को उनके स्वजनों के पास सुरक्षित पहुंचाने का अश्वासन दिया है।
चार बेटियों को किया अगवा
हाल के दिनों में कश्मीर से चार सिख बेटियों को बंदूक की नोक पर अगवा किया जा चुका है। दरअसल इस बात का खुलासा तब हुआ जब दो लड़कियों के जबरन कन्वर्जन मामले ने तूल पकड़ा। ऐसे में तब पता चला कि पिछले एक महीने में ही जबरन चार सिख लड़कियों को अगवा करके उनका कन्वर्जन कराया गया है। इसमें से एक लड़की की तो परिवार में वापसी हो गई, पर बाकी तीन लड़कियों का अभी तक कुछ पता नहीं चल पाया।
सैकड़ों लड़कियों को बनाया निशाना
लव जिहाद और जबरन कन्वर्जन के मामलों को करीब से देखने वाले राज्य के एक वरिष्ठ अधिवक्ता बताते हैं कि हाल के सिर्फ दो वर्ष में ही 10 से अधिक सिख लड़कियों को जबरन कन्वर्ट करके उनका निकाह करा दिया गया। वे नाम न छापने की शर्त पर आगे बताते हैं,‘‘दस से पंद्रह साल में करीब 80 से अधिक सिख लड़कियों का जबरन कन्वर्जन कराया जा चुका है। ये सभी लड़कियां घाटी की अलग-अलग जगहों की हैं। इसमें बारामूला में सबसे अधिक लड़कियां हैं। इसके अलावा दर्जनों मामले तो ऐसे हैं, जो दबे ही रह जाते हैं। न तो उनकी रिपोर्ट होती है और न ही प्रशासन उनके परिजनों की सुनता है। इन्हें डरा-धमकाकर चुप करा दिया जाता है। अंतत: परिवार हाथ पटककर रहजाता है।’’
दरअसल राज्य में सिख समाज की बहन-बेटियों के साथ-साथ हिन्दू बेटियां भी जिहादियों के निशाने पर हैं। जिहादी हिन्दू और सिख लड़कियों को समान रूप से निशाना बनाते हैं। बारामूला के अमरजीत सिंह इन सब मामलों को करीब से देखते आ रहे हैं। वह बातचीत के क्रम में बताते हैं कि हाल के कुछ वर्षों में अकेले बारामूला से ही दो दर्जन से अधिक लड़कियों को बहला-फुसलाकर उनका निकाह कराया गया और फिर मुसलमान बना दिया गया। वे कहते,‘‘दरअसल घाटी में एक समूह है जो दूसरे मत-पंथ की लड़कियों को इस्लाम में लाने और निकाह आदि में सहयोग करता है। यह कट्टरपंथी समूह सामाजिक संगठनों से लेकर न्यायालय तक में सक्रिय रहता है। प्रशासन की बात करें तो इसमें भी एक वर्ग ऐसा है जो अंदर ही अंदर इनकी मदद करता है। और हम लोग सिर्फ विरोध प्रदर्शन दर्ज कराकर रह जाते हैं।’’
अगर कानून बन जाता है तो…
इस्लाम का एक पक्ष है कि किसी का जबरन कन्वर्जन कराना पाप है। पर दूसरी तरफ उसी इस्लाम से निकले कठमुल्ले ‘दीन में आने की दावत’ सभी को देते फिरते हैं और इसे अल्लाह का काम मानते हैं। हाल ही में उत्तर प्रदेश की एटीएस द्वारा पकड़े गए कन्वर्जन के षड्यंत्रकारी उमर का एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ। जिसमें वह इस्लाम का चेहरा बेनकाब करते हुए बताता है कि कैसे उसने हिन्दू एवं अन्य मत-पंथ के लोगों का कन्वर्जन करके अल्लाह का काम किया है। हालांकि गिरफ्तार होने के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस अब उसकी सेवा कर रही है। पर उसके बयान ने इस्लाम के दोहरे चेहरे को बेनकाब कर दिया है।
वैसे दूसरे मत-पंथ के लोगों का तलवार की नोक पर कन्वर्जन कराना इस्लामियों का पुराना शगल है और इसमें रत्तीभर भी कमी नहीं आई है। यही कारण रहा कि उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में लव जिहाद के खिलाफ कानून बनाने की जरूरत आन पड़ी। अब जम्मू-कश्मीर से भी ऐसे ही कानून की मांग उठी है। अगर कानून बन जाता है तो जबरन कन्वर्जन अपराध की श्रेणी में आ जाएगा और आरोपी को 10 साल तक की सजा हो सकेगी। अगर किसी तरह बहकावे में लेकर लड़की का विवाह करा भी दिया जाता है तो कानून बन जाने के बाद उस विवाह को रद्द करा दिया जाएगा। कानून बनने से पीड़ित के रिश्तेदार भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
सोशल मीडिया में घिरे सिरसा
एक तरफ दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा कश्मीर में लव जिहाद का शिकार हुई लड़कियों को अगवा कर जबरन कन्वर्ट करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे थे तो दूसरी ओर सोशल मीडिया पर उनके लव जिहाद से जुड़े दो वीडियो तेजी से वायरल हो रहे थे। एक वीडियो में सिरसा लव जिहाद और परोक्ष रूप से हिन्दू धर्म का मखौल उड़ाते दिखाई दिए तो दूसरे में जबरन कन्वर्जन पर उत्तर प्रदेश की तर्ज पर लव जिहाद के खिलाफ कानून बनाने की मांग करते नजर आए। इन दोनों वीडियो में सिरसा के दोहरे रवैये को आसानी से देखा-समझा जा सकता है। पहले वीडियो में वह कहते हैं,‘‘…किसी का धर्म इतना कमजोर क्यों है कि उसको कानून का सहारा लेकर अपना धर्म बचाना पड़े। ऐसा धर्म ही क्यों है? ऐसा धर्म होना ही पाप है। …अगर किसी का धर्म इतना ही कमजोर है कि पुलिस का सहारा लेना पड़ रहा है तो मैं इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं कर सकता..।’’ तो दूसरे में कश्मीर की अगवा लड़कियों के संदर्भ में कहते हैं,‘‘…हमारी बच्चियों को बंदूक की नोक पर अगवा किया गया, उनका निकाह पढ़ा गया और पचास-पचास साल के आदमी के साथ पढ़ा गया। उसके बाद कोर्ट के अंदर उनके मां-बाप तक को जाने नहीं दिया गया। हमारे नौजवानों ने जब लोगों को एकत्र कर प्रदर्शन शुरू किया, तो एक बेटी को हमारे हवाले किया गया। पर एक बेटी अभी भी उनकी गिरफ्त में है। यह जबरन कन्वर्जन और निकाह है। यह लव जिहाद है। हम केंद्र सरकार से आग्रह करते हैं कि ऐसे तत्वों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जाए। और जिस तरह से उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के अंदर कानून हैं, उस तरीके के कानून को लागू किया जाए। साथ ही हमारी चार बच्चियों को पिछले एक महीने में बंदूक की नोक पर अगवा करके उनका जबरन कन्वर्जन और निकाह कराया गया है, उनको भी वापस किया जाए।’’
बहरहाल, सिरसा को पता ही होगा कि बेटियां सबकी साझी होती हैं। उन्होंने कुछ दिन पहले लव जिहाद का मखौल उड़ाया था। पर आज वे खुद सवालों के घेरे में हैं। सोशल मीडिया पर उनकी भद्द पिट रही है। उनसे लोग तरह-तरह के सवाल पूछ रहे हैं। यकीनन अब उनसे जवाब देते नहीं बन रहा है और वे छटपटा रहे है।
हाल के वर्षों में सिख लड़कियों के कन्वर्जन के कुछ मामले
सनी कौर(बारामूला)
क्षमित कौर(बारामूला)
सुमित कौर(बारामूला)
परमवीर कौर (बारामूला)
पूनम (बारामूला)
अवनीति कौर(श्रीनगर)
अमीत कौर (श्रीनगर)
अंजू (रैनावारी)
अरविनपाल कौर (पुलवामा)
दमनमीत कौर(श्रीनगर)
मनमीत कौर (श्रीनगर)
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