फेक न्यूज:पहरेदार का पर्दाफाश
May 15, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम विश्लेषण

फेक न्यूज:पहरेदार का पर्दाफाश

by Ambuj Bharadwaj
Jul 6, 2021, 04:18 pm IST
in विश्लेषण
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

2014 में भारतीय राजनीति में नए युग के शुभारंभ के बाद कई शक्तियां बिलबिला गईं। उन्होंने बिलबिलाहट में भारतीय समाज में जहर घोल कर नए सत्ता प्रतिष्ठान की छवि और साख को धूमिल करने का षड्यंत्र रचा। इसके लिए आड़ ली गई तथ्यान्वेषण की। इसका अगुआ बना आॅल्ट न्यूज और उसका संस्थापक मोहम्मद जुबेर। परंतु यह लगातार दिखा कि आॅल्ट न्यूज और जुबेर की सूचनाएं हमेशा फॉल्ट (गड़बड़) लाइन पर रहीं। उनका उद्देश्य सत्य के उद्घाटन की बजाए आख्यान (नैरेटिव) सेट करना रहा

वर्ष 2014 भारतीय राजनीति में एक नए युग के शुभारंभ का वर्ष था। शुभारंभ था भारतीय राजनीति के एक लोकतंत्रवेशी राजवंश से विरत होने का, शुभारंभ था इस मिथक के टूटने का कि कांग्रेस के अलावा इस देश में किसी अन्य दल को अकेले बहुमत नहीं मिल सकता। शुभारंभ था भारत की उस प्राचीन परंपरा के पुनरोदय का जिसमें योग्यता सर्वोपरि थी और वंश-कुल की बजाय योग्यता के आधार पर कोई भी शासन प्रमुख चुना जा सकता था। शुभारंभ था लोकतंत्र में लोक के प्रमुख हो जाने का और शुभारंभ था लोक के सामने शासन की पारदर्शिता का। शुभारंभ था उस स्वाभिमान और पराक्रम की पुनर्स्थापना का जो परतंत्रता, चाहे मुगलों के हो या अंग्रेजों के या उसके बाद राजवंश बन बैठे परिवार द्वारा हो, के कारण कई सौ वर्ष से दबी पड़ी थी। शुभारंभ था भारत के परम वैभव संपन्न देश बनने के मार्ग पर आगे बढ़ने का, शुभारंभ था देश को पुन: विश्वगुरु बनाने की दिशा में आगे बढ़ाने का। कई अर्थों में एक नयी स्वतंत्रता मिली, 1947 में राजनीतिक-प्रशासनिक-भौगोलिक स्वतंत्रता मिली, 2014 में लोक मानस स्वतंत्र हुआ।

हित पर चोट होने से कुलबुलाहट
परंतु इस शुभारंभ से उन कुछ लोगों के लिए बहुत कठिनाई हुई जो अब तक शासन को नियंत्रित करते थे और लोक को उपेक्षित रख उन्हें लोकतंत्र का जमूरा बनाये बैठे थे। एक बहुत बड़ा संजाल था जो छद्म उपायों से सत्ता की मलाई काट रहा था। इसमें कुछ राजनीतिक दल थे, कुछ सामुदायिक-साम्प्रदायिक संरचनाएं थीं, कुछ नागरिक समाज संगठन थे, कुछ समाचार संस्थान थे, कुछ वैदेशिक शक्तियां थीं। यह संजाल स्वहित के लिए देशहित को बेचने को तैयार था, नियम-कानून अर्थहीन हो गए थे, एक अजीब-सी अराजकता थी, अबूझ से मानक और स्थापनाएं गढ़ी गई थीं जो देखने-सुनने में बहुत भली जान पड़ती थीं परंतु इससे वाकई देशहित होगा, यह आकलन करना कठिन था और लोक स्वतंत्रता के पश्चात जहां खड़ा था, वहीं ठिठका यह तमाशा देख रहा था। जब हित पर कुठाराघात हुआ तो अवश्यंभावी था कि वे शक्तियां कुलबुलातीं। वे कुलबुलार्इं।

तथ्यान्वेषण की आड़ में भारत विरोधी आख्यान
और, प्रारंभ हुआ एक नया दौर, देश के प्रतिष्ठानों की प्रतिष्ठा को धूमिल करने का, इन्हें सहन नहीं हुआ कि एक राजवंश के सामने लोक का एक व्यक्ति (नरेंद्र मोदी) लोक द्वारा पसंद किया जाए। लोक का यह व्यक्ति राजवंश के दरबारियों के हित में नहीं, अपितु लोक के हित में कार्य करने को उन्मुख और संकल्पित था। लोक के इस व्यक्ति की छवि को धूमिल करने की चेष्टा में शुरू हुआ एक कुचक्र, षड्यंत्रों का सिलसिला। इसमें शस्त्र बने समाचार। देश में घटी घटनाओं का उलट आख्यान स्थापित करना इनका काम हो गया। इस कार्य के लिए पूरे विधि-विधान से नये संस्थान बने, इनका दावा था कि ये झूठ को उजागर करेंगे और सत्य की स्थापना करेंगे। आड़ बनाया गया तथ्यान्वेषण को।

परंतु यह आड़ ही थी, इनका असल काम घटना पर भारत की अस्मिता के विरुद्ध और विरोधी शक्तियों के संजाल के पक्ष में आख्यान (नैरेटिव) स्थापित करना है। इसी उद्देश्य के अंतर्गत कभी सेना पर उंगली उठाई गई, कभी न्यायपालिका पर चोट की गई। भारत की परंपराओं से मानो इनका पुराना वैर है। भारत की विभिन्न परंपराओं को बार-बार कठघरे में खड़ा करना, बहुत सफाई से दिखने में भले मालूम पड़ने वाले मुद्दे उठाकर भारत के हितों पर चोट करना इनका शगल बन गया है। ऐसे अनेक मुद्दे आए जब इस षड्यंत्रकारी गैंग के सदस्यों को झूठ की बुनियाद पर नफरत के महल को खड़ा करने का प्रयास करते देखा गया। हम उन सभी झूठ को निरंतर पूरी तत्परता के साथ उजागर करते आए हैं। इस कड़ी में एक नाम है कुख्यात सीरियल फेक न्यूज स्प्रेडर आॅल्ट न्यूज और उसके संस्थापक मोहम्मद जुबेर के बारे में जिसने हाल ही में गाजियाबाद में एक तांत्रिक की पिटाई के मामले को साम्प्रदायिक रंग देने का अभियान चलाया। दरअसल, यह आॅल्ट न्यूज नाम का है, इसका काम परदे के पीछे फॉल्ट न्यूज गढ़ना और इसके जरिए समाज में विद्वेष फैलाना और विभाजन कराना है।

फैक्ट चेक बनाम फेक फैक्ट
फैक्ट चेक के नाम पर 9 फरवरी, 2017 को बने आॅल्ट न्यूज को प्रतीक सिन्हा और मोहम्मद जुबेर ने बनाया था। लेकिन इसके द्वारा किए गए कार्यों को देखेंगे तो पाएंगे कि यह कोई फैक्ट चेक करने की संस्था नहीं अपितु फेक फैक्ट (छद्म तथ्य) फैलाने वाली संस्था है। प्रारंभिक दिनों से ही आॅल्ट न्यूज से जुड़े मोहम्मद जुबेर को कई बार झूठी खबरें फैलाते पकड़ा गया है। ट्विटर पर इसके लगभग सवा तीन लाख फॉलोअर्स हैं। अक्सर यह ट्विटर पर ही फर्जी खबरें फैलाता है। हाल ही में गाजियाबाद के लोनी कस्बे में एक मुस्लिम तांत्रिक की कुछ लड़कों ने पिटाई कर दी। पिटाई के वीडियो को जुबेर ने अपने ट्विटर पर ट्वीट करने से पहले म्यूट कर दिया और आरोप लगाया कि मुस्लिम बुजुर्ग को ‘जय श्रीराम’ न बोलने पर हिंदू युवकों ने पीटा। देखते ही देखते यह खबर फैल गयी। वामपंथियों को मानो मुद्दा मिल गया हो! षड्यंत्रकारी गैंग की तरफ से अनेक मनगढ़ंत आरोप लगाए जाने लगे। लेकिन कुछ ही समय बाद खबर फर्जी निकली। जांच में पता चला कि दरअसल वह बुजुर्ग तांत्रिक था। उसने कुछ मुस्लिम युवाओं को एक ताबीज के बहाने घरेलू समस्या से छुटकारा पाने का झांसा दिया था। जब उस ताबीज का कोई असर नहीं दिखा तो उन युवकों ने उस बुजुर्ग तांत्रिक की पिटाई कर दी। इस मामले में आॅल्ट न्यूज और मोहम्मद जुबेर का झूठ पकड़े जाने के बाद अब चारों तरफ विरोध होना शुरू हो गया है। पुलिस ने जांच प्रारंभ कर केस दर्ज कर लिया है।

खुल रही है सच्चाई
इन उद्धरणों और कई अन्य प्रमाणों से स्पष्ट है कि एक विशेष षड्यंत्र के तहत मोहम्मद जुबेर अपने न्यूज प्लेटफार्म आॅल्ट न्यूज का प्रयोग फर्जी खबरों को फैलाने में करता है। इन लोगों को अक्सर चीन और पाकिस्तान की वकालत करते देखा गया है। लेकिन अब धीरे-धीरे इन लोगों की सच्चाई का पता चल रहा है। दिल्ली विश्वविद्यालय के पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले छात्र कायम मेहंदी ने जुबेर के गाजियाबाद की खबर को तोड़-मरोड़ कर सांप्रदायिक रंग देने को लेकर चिंता व्यक्त की है। बकौल कायम गाजियाबाद की घटना देश की गंगा-जमुनी तहजीब को कलंकित करने की साजिश थी। तथाकथित पत्रकार इस देश की एकता और अखंडता के खिलाफ षड्यंत्र रच रहे हैं। भाजपा सरकार में अब तक न तो कोई बड़ा दंगा हुआ, न ही कोई आतंकवादी घटना। बस इन्हीं कारणों से बौखलाए ये लोग अब देश के आपसी भाईचारे को तोड़ना चाहते हैं। मगर प्रशासन की सूझबूझ के कारण यह लोग विफल हो गए। ऐसी फेक न्यूज फैलाने वाले षड्यंत्रकारी पत्रकारों के खिलाफ सरकार को कठोर से कठोर कार्रवाई करनी चाहिए।ल्ल

यह पहला मौका नहीं है जब जुबेर को झूठी खबरें फैलाते पकड़ा गया। आइए! सिलसिलेवार तरीके से करते हैं जुबेर के झूठ की पड़ताल

झूठ-1 : प्रधानमंत्री मोदी ने जिस दिन कोरोना की पहली लहर के दौरान देशवासियों से दीया जलाने की अपील की थी, उसी दिन जुबेर ने सोलापुर एयरपोर्ट पर आग लगने की झूठी खबर फैलाई। यह दीया जलाने की भावना को तोड़ने के लिए थी। बाद में जुबेर ने माफी मांगी।

झूठ-2 : जुबेर ने ट्वीट कर कहा कि मन की बात कार्यक्रम के दौरान पीएमओ इंडिया यूट्यूब चैनल पर कमेंट सेक्शन को बंद कर दिया गया था, ताकि छात्र कमेंट ना कर पाएं। सच यह है कि पीएमओ इंडिया यूट्यूब चैनल पर पिछले कई वर्षों से कमेंट सेक्शन को बंद रखा गया है। वही मन की बात कार्यक्रम नमो एप्प और बीजेपी यूट्यूब चैनल पर भी चल रहा था जहां आसानी से कमेंट किए जा सकते थे।

झूठ-3 : राम मंदिर भूमि पूजन से पहले न्यूयॉर्क के टाइम स्क्वायर पर प्रभु राम के बिलबोर्ड को लगाए जाने को लेकर भी जुबेर ने फर्जी ट्वीट किया और कहा कि विरोध के बाद टाइम्स स्क्वायर पर नहीं लगेंगे राम के बिलबोर्ड। जबकि बिलबोर्ड लगाया गया था।

झूठ-4 : जुबेर द्वारा संचालित फेसबुक पेज अनआॅफिशियल सुब्रमण्यम स्वामी पर दिल्ली चुनाव के दौरान फेक न्यूज फैलाया गया कि स्ट्रांग रूम से ईवीएम चुराकर भागते पकड़ा गया बीजेपी कार्यकर्ता। बाद में खुद ही खबर को फर्जी बताते हुए जुबेर ने माफी मांग ली परंतु तब तक उद्देश्य पूरा हो गया था।

झूठ-5 : मोहम्मद जुबेर ने कविता कृष्णन के एक फर्जी ट्वीट को रिट्वीट किया जिसमें एक पुरानी तस्वीर को डालते हुए हुए कविता कृष्णन ने कहा था कि मोदी की पुलिस किसानों से आतंकवादी की तरह बर्ताव कर रही है। जबकि वह तस्वीर 2013 की कांग्रेस काल की थी।

झूठ-6 : लिन्चिंग के विरुद्ध चल रहे विरोध प्रदर्शन के दौरान भी जुबेर ने झूठी खबर फैलाकर जहर घोलने की कोशिश की। अनआॅफिशियल सुब्रमण्यम स्वामी पेज से लिन्चिंग किए एक वीडियो को पोस्ट करते हुए उसे 2016 का बताया जबकि वह वीडियो 2012 में यूपीए शासन के समय का निकला।

झूठ-7 : मोहम्मद जुबेर ने 20 फरवरी, 2019 को एक वीडियो ट्वीट करते हुए विश्व हिंदू परिषद पर हिंदुस्तान मुदार्बाद के नारे लगाने के आरोप लगाए जिसे बाद में गोंडा पुलिस ने फर्जी बताते हुए खारिज कर दिया।

झूठ-8 : 6 जून, 2019 को ट्वीट कर भाजपा पर हमला करते हुए अंजू घोष को बांग्लादेशी बताने की कोशिश की जबकि बाद में पश्चिम बंगाल के भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने अंजु घोष का जन्म प्रमाणपत्र भी जारी किया जिससे साफ पता चलता है कि अंजू घोष बांग्लादेशी नहीं हैं।

झूठ-9 : वर्ष 2018 में कठुआ रेप केस में भी फर्जी खबर फैलाई। विशाल जंगोत्रा नाम के युवक पर कई गंभीर आरोप लगाए। बाद में कोर्ट ने विशाल जंगोत्रा को निर्दोष पाया।

झूठ-10 : नोएडा में हुए एक मर्डर के आरोपी सोनू यादव को लेकर जुबेर ने अपने फेसबुक पेज अनआॅफिशियल सुब्रमण्यम स्वामी से विनोद कापड़ी की एक फर्जी खबर को ट्वीट किया। इसमें विनोद कापड़ी ने सोनू यादव का संबंध भाजपा नेताओं से बताया था जबकि आरोपी सोनू यादव कोई और था। आरोपी सोनू यादव का भाजपा से कोई लेना-देना नहीं था जो बाद में जांच में स्पष्ट हो गया।

झूठ-11 : कन्हैया कुमार के एक झूठे ट्वीट को रिट्वीट कर जुबेर ने बेगूसराय की घटना को लेकर झूठी खबर फैलाई। कन्हैया ने आरोप लगाया था कि बेगूसराय में एक मुस्लिम फेरीवाले को पाकिस्तान जाने की बात कहते हुए गोली मार दी गई। जबकि बाद में बेगूसराय के डीएसपी ने साफ किया कि लड़ाई मूल्य के कारण हुई थी। मजहब का कोई एंगल नहीं था।

झूठ-12 : मोहम्मद जुबेर ने तब्लीगी जमात के मौलाना साद का बचाव करते हुए उसके विवादित वायरल आॅडियो को फेक बताया था जबकि जांच में दिल्ली पुलिस ने आॅडियो को सही पाया।

झूठ-13 : 9 जून, 2020 को जुबेर ने नफरत फैलाने की कोशिश करते हुए दलित लड़के की मंदिर में जाने के कारण हत्या किए जाने का फर्जी ट्वीट किया। जांच हुई तो पता चला कि उस मंदिर में दलित दशकों से आते-जाते रहे हैं। लड़के की हत्या 5000 रुपये का कर्ज नहीं लौटा पाने के कारण हुई थी, मंदिर में जाने के कारण नहीं।

झूठ-14 : जुबेर ने विवेक तिवारी के परिजनों से योगी आदित्यनाथ के मिलने की तस्वीर को लेकर भी झूठी खबर फैलाने की कोशिश की। एक तस्वीर ट्वीट करते हुए उसने मुख्यमंत्री और विवेक के परिजनों के बीच की दूरी को दर्शाया। जबकि दूसरी तस्वीर में उसी परिवार की एक बच्ची के साथ योगी आदित्यनाथ आत्मीयता के साथ मिल रहे हैं जिसे जुबेर ने ट्वीट नहीं किया।

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

बंदरगाह का निरीक्षण करते प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री पिनरई विजयन

व्यापार के खुले नए रास्ते

इलाहाबाद हाई कोर्ट

बहु विवाह का दुरुपयोग कर रहे हैं मुसलमान: इलाहाबाद हाई कोर्ट

Rajnath Singh

ऑपरेशन सिंदूर आतंकवाद के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा जवाब: राजनाथ सिंह

Mark karni to become canadas new PM

कनाडा में भारतीयों के लिए अच्छे दिन! जिन पंजाबियों को मंत्री पद मिला वे अलगाववादी विचारधारा से दूर

PM Shehbaz Sharif

पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ का एक और ड्रामा: टैंक पर चढ़कर की बहादुरी की नकल, बोले -किताब लिखूंगा

प्रतीकात्मक तस्वीर

सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन अधिनियम-2025 की सुनवाई 20 मई तक टाली, कहा-सभी वकील तैयार होकर आएं

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

बंदरगाह का निरीक्षण करते प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री पिनरई विजयन

व्यापार के खुले नए रास्ते

इलाहाबाद हाई कोर्ट

बहु विवाह का दुरुपयोग कर रहे हैं मुसलमान: इलाहाबाद हाई कोर्ट

Rajnath Singh

ऑपरेशन सिंदूर आतंकवाद के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा जवाब: राजनाथ सिंह

Mark karni to become canadas new PM

कनाडा में भारतीयों के लिए अच्छे दिन! जिन पंजाबियों को मंत्री पद मिला वे अलगाववादी विचारधारा से दूर

PM Shehbaz Sharif

पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ का एक और ड्रामा: टैंक पर चढ़कर की बहादुरी की नकल, बोले -किताब लिखूंगा

प्रतीकात्मक तस्वीर

सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन अधिनियम-2025 की सुनवाई 20 मई तक टाली, कहा-सभी वकील तैयार होकर आएं

Indian Railway

पहली बार श्रीनगर पहुंची यात्री ट्रेन, 800 जवानों ने किया ऐतिहासिक सफर

British MP Tahir Ali Accused of financial fraud

बर्मिंघम के पाकिस्तानी मूल के सांसद अब घिरे आर्थिक घोटाले के आरोपों में

Indian Army Operation in Shopian

जम्मू कश्मीर: त्राल में सेना ने तीन और आतंकियों को किया ढेर, दो दिन में 6 आतंकी मारे गए

एक बोनसाई का आत्मभंजन

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies