प्रतिरक्षा
भूमध्यसागर में संयुक्त युद्धाभ्यास करते हुए भारत और ग्रीस के युद्धपोत
भूमध्यसागर में भारत के युद्धपोत और ग्रीस की नौसेना के संयुक्त युद्धाभ्यास को नि:संदेह दोनों देशों की साझा शक्ति का असाधारण प्रदर्शन कहा जा सकता है
30 जून को भूमध्य सागर में जो हुआ उसने बेशक, तुर्की और पाकिस्तान की नींद उड़ा दी होगी। इस दिन ग्रीस के पश्चिमी छोर से सटे तुर्की के सनकी रणनीतिकारों के छुपे एजेंडे ने आघात जरूर महसूस किया होगा। तुर्की के साथ पाकिस्तान के साजिशी गठजोड़ को कड़ी चुनौती जरूर मिली होगी। क्योंकि इस दिन भारत के युद्धपोत ने ग्रीस की नौसेना के साथ युद्धाभ्यास कर एक दमदार संकेत दिया अपने बढ़े सामरिक रिश्तों और किसी भी साजिशी कोशिश को असफल करने के संकल्प का।
स्पष्ट है कि पाकिस्तान और उसे शह दे रहे अर्दोगन के तुर्की के समीकरणों को भरपूर जवाब देने के लिए कमर कस ली है भारत ने। तुर्की के खांटी विरोधी यूरोपीय देश ग्रीस के साथ भूमध्य सागर में जबरदस्त नौसैनिक अभ्यास के माध्यम से भारत का यह संदेश पड़ोसी ने एकदम साफ सुना है।
भारत और ग्रीस के इस साझा नौसेना अभ्यास में भारत का आईएनएस तबर शामिल था तो ग्रीस की मध्यम आकार की फ्रीगेट थेमिस्टोकलिस शामिल थी। दोनों देशों का यह संयुक्त युद्धाभ्यास भूमध्य सागर में क्रेट क्षेत्र के दक्षिण-पश्चिम हिस्से में हुआ था।
सिंकदरिया बंदरगाह पहुंचा आईएनएस तबर
ग्रीस की समाचार वेबसाइट पेंटापोस्टग्मा के अुनसार, भारत के युद्धपोत की इजिप्ट की नौसेना के साथ भी युद्धाभ्यास की योजना है। इसीलिए अब आईएएनएस तबर इजिप्ट के सिकंदरिया बंदरगाह पर पहुंच चुका है। पेंटापोस्टग्मा का कहना है कि भारत परमाणु हथियारों से लैस है। ऐसे देश की नौसेना के साथ अभ्यास से ग्रीस को काफी फायदा मिलने की उम्मीद है। सैन्य विशेषज्ञों की मानें तो तुर्की और पाकिस्तान के बीच बढ़ते सामरिक सहयोग और निकटता का मुकाबला करने के लिए भारत और ग्रीस के बीच पिछले कुछ वक्त से आपसी तालमेल बढ़ा है।
ग्रीस को सता रहा तुर्की
अगर पिछले कुछ वर्षों में, भूमध्य सागर के इस हिस्से की बात करें तो ग्रीस तुर्की के दूसरे देशों को सताने की आदत और उसकी ग्रीस के प्रति बेवजह की उग्रता से परेशान है। तुर्की ग्रीस की पश्चिमी सीमा से सटा हुआ है और दूसरे देशों के सीमांत हिस्सों पर उसकी नजरें हमेशा से टेढ़ी रही हैं। पता चला है कि ग्रीस के कुछ इलाकों पर भी तुर्की की टेढ़ी नजर है। यूरोपीय संघ का सदस्य ग्रीस तुर्की को दिखा देना चाहता है कि वह अपनी नफरती मंशा में कभी सफल नहीं होने वाला है।
उल्लेखनीय है कि अभी हाल में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ग्रीस गए थे। दोनों देशों की बातचीत में दोनों पक्षों ने आतंकवाद समेत कई मुद्दों पर चर्चा की थी, जिसे तुर्की, चीन और पाकिस्तान के संदर्भ में देखा जा रहा है। ग्रीस और तुर्की के बीच संबंधों में तनाव गहराया है जबकि भारत के प्रतिद्वंदी चीन और धुर-विरोधी पाकिस्तान के साथ तुर्की की बेहद निकटता है।
द्विपक्षीय वार्ता में भारत और ग्रीस ने पूर्वी भूमध्यसागर में पैदा हो रहे तनाव पर भी विस्तार से चर्चा की थी। यहां तुर्की विशेष आर्थिक क्षेत्र पर अपना दावा करता है जबकि संयुक्त राष्ट्र कानून के तहत जिसे ग्रीस अपना कहता है। इस विवाद में साइप्रस और लीबिया की भी भागीदारी है क्योंकि यहां की विशेष आर्थिक क्षेत्र की वजह से समस्या है, इस पर विवाद है। इस विवाद में भी भारत के प्रति शत्रुतापूर्ण बर्ताव करने वाला पाकिस्तान तुर्की के साथ खड़ा है।
सैन्य विशेषज्ञों के दृष्टि में भारत और ग्रीस के बीच भूमध्यसागर में संयुक्त युद्धाभ्यास की गतिविधि से पाकिस्तान और तुर्की के सावधान होने के आसार हैं, इससे क्षेत्रीय शांति और स्थिरता की तरफ एक कदम बढ़ा जा सकता है।
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