अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह
अफगानिस्तान इन खबरों को लेकर काफी गंभीर हो गया है कि पाकिस्तान तालिबान के खुले समर्थन में उतर आया है। देश के पहले उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने इस संदर्भ में पाकिस्तान को चेतावनी दी कि वह तालिबान को समर्थन देना जारी रखता है तो उसे इसकी कीमत चुकानी होगी।
उधर अमेरिका से इसी के आगे सूत्र जोड़ते हुए खबर आई है कि व्हाइट हाउस के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन भी पाकिस्तान पर नाराज हैं। उन्होंने कहा है कि पाकिस्तान पिछले 20 साल से तालिबान को समर्थन देता आया है। बोल्टन ने भी पाकिस्तान को चेताया है कि अगर तालिबान अफगानिस्तान में सत्ता पर काबिज हो गया तो यह पाकिस्तान के लिए भी एक बड़ा खतरा होगा।
अमरुल्लाह सालेह स्पष्ट बोलने वाले राजनेता माने जाते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर उन्होंने पाकिस्तान के लिए ऐसे कड़े शब्दों का उपयोग किया है तो बात सच में गंभीर है। पाकिस्तान को सोचना होगा कि वह दुनिया के इस हिस्से में शांति चाहता है या तालिबान लड़ाकों के पाले में खड़े रहकर अशांति मचाए रखना चाहता है। सालेह ने पाकिस्तान को "भारी कीमत चुकानी पड़ेगी" की चेतावनी गत 27 जून को दी है। एक बयान में उन्होंने कहा है कि पाकिस्तान के पास एक मौका है कि वह शांति वार्ता केे आयोजक के नाते अहम भूमिका निभा सकता है। ऐसा करके वह अफगानिस्तान का भी भरोसेमंद साझीदार बन सकता है। उसके पास यह आखिरी मौका है।
अमरुल्लाह सालेह स्पष्ट बोलने वाले राजनेता माने जाते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर उन्होंने पाकिस्तान के लिए ऐसे कड़े शब्दों का उपयोग किया है तो बात सच में गंभीर है। पाकिस्तान को सोचना होगा कि वह दुनिया के इस हिस्से में शांति चाहता है या तालिबान लड़ाकों के पाले में खड़े रहकर अशांति मचाए रखना चाहता है।
व्हाइट हाउस के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन भी पाकिस्तान पर नाराज हैं। उन्होंने कहा है कि पाकिस्तान पिछले 20 साल से तालिबान को समर्थन देता आया है। बोल्टन ने भी पाकिस्तान को चेताया है कि अगर तालिबान अफगानिस्तान में सत्ता पर काबिज हो गया तो यह पाकिस्तान के लिए भी एक बड़ा खतरा होगा।
संयुक्त राष्ट्र की हाल में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में फिलहाल अलग-अलग 12 आतंकवादी गुट सक्रिय हैं। अन गुटों में करीब 6,500 पाकिस्तानी लोग हैं। यह खुलासा हुआ है अमेरिकी सेना की वापसी के बीच तालिबान और अफगानी सुरक्षा बलों के बीच देखने में आईं झड़पों और अफगानिस्तान में बढ़ती हिंसा के बीच। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट कहती है कि जैशे-मोहम्मद और लश्करे-तैयबा जैसे पाकिस्तानी जिहादी गुट तालिबानी गुटों के साथ मिलकर अफगानी सुरक्षा बलों के विरुद्ध लड़ाई जारी रखे हुए हैं।
अफगानिस्तान के उप राष्ट्रपति ने अपने वक्तव्य में आगे कहा कि पाकिस्तान को छोड़कर सभी देश उनके देश के साथ अच्छे संबंध रखने के इच्छुक हैं। उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान के गृह मंत्री शेख राशिद अहमद ने 27 जून को ही जियो न्यूज को दिए एक साक्षात्कार में खुलकर स्वीकारा था इस्लामाबाद के नामी इलाकों में तालिबानियों के परिवार रह रहे हैं। उनका इस्लामाबाद के अस्पतालों में इलाज भी कराया जाता है। रशीद ने बताया था कि तालिबान परिवार इस्लामाबाद के रावत, लोई बेर, बारा कहुह और तरनोल इलाकों में रहते हैं। अस्पतालों में कभी उनकी लाशें आती हैं, तो कभी वे खुद अपना इलाज कराने आते हैं। ध्यान रहे कि शेख राशिद उसी पाकिस्तान के गृहमंत्री हैं जो अपने यहां तालिबानियों या किसी भी अन्य आतंकी संगठन की मौजूदगी से इनकार करता है।
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