टीएमसी के गुंडों द्वारा जाधवपुर में इस तरह लोगों के घर तोड़े गए हैं।
कभी पूरी दुनिया में अपनी विद्वता के लिए विख्यात रहा पश्चिम बंगाल अब वैचारिक रूप से बिल्कुल कंगाल हो गया है। वैचारिक विरोधियों को शत्रु मानकर उन पर हमले किए जा रहे हैं। 29 जून को तो सारी हदें टूट गईं। राज्य में हो रही हिंसा की घटनाओं की जांच के लिए गए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के जांच दल में शामिल लोगों पर भी हमले किए गए
गत 29 जून को कोलकाता के जाधवपुर में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के जांच दल पर हमला किया गया। स्थिति को संभालने के लिए केंद्रीय सुरक्षा बलों को लाठी चलानी पड़ी। इस कारण कई लोग घायल भी हुए हैं।
बता दें कि सात सदस्यीय यह जांच दल कोलकाता उच्च न्यायालय के आदेश के बाद गठित हुआ है और इन दिनों पश्चिम बंगाल के अलग—अलग हिस्सोें में हिंसा पीड़ितों से मिलकर उनकी बातें सुन रहा है। इसी क्रम में यह दल 29 जून को जाधवपुर पहुंचा था।
यहां तृणमूल के गुंडों ने भाजपा समर्थक 40 लोगों के घरों को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया है। जिन लोगों के घर तोड़े गए हैं, वे लोग अभी भी पूरी तरह अपने घरों में वापस नहीं आए हैं। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के जांच दल के आने की खबर सुनकर कुछ लोग अपने घर लौटे हैं, इस आस के साथ कि अब उन्हें न्याय मिलेगा। लेकिन सरकारी संरक्षण प्राप्त गुंडों का दुस्साहस देखिए कि उन्होंने उन लोगों पर ही हमला कर दिया, जो हिंसा पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए काम कर रहे हैं।
यानी राज्य सरकार जांच दल के सदस्यों की भी सुरक्षा नहीं कर पा रही है या करना ही नहीं चाहती है। बता दें कि जब कोलकाता उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से हिंसा की घटनाओं की जांच करने के आदेश दिए थे, तो सरकार ने विरोध किया था। यही नहीं, एक पुनर्विचार याचिका भी दायर की थी। लेकिन कोलकाता उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार की बात नहीं सुनी और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को जांच करने को कहा। इसलिए जांच दल में शामिल सदस्यों पर हमला एक तरह से कोलकाता उच्च न्यायालय पर हमला है। इतना होने के बावजूद भाजपा के अलावा और किसी भी राजनीतिक दल के नेताओं ने इस हमले की निंदा नहीं की। ऐसा लगता है कि भाजपा विरोधी नेता भी वैचारिक रूप से कंगाल हो चुके हैं। यदि ऐसा नहीं होता तो वे राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के जांच दल पर हुए हमले की निंदा अवश्य करते। यदि इस तरह के हमले किसी भाजपा शासित राज्य में होता तो ये नेता न जाने कितने दिनों तक यह कहते कि देश में लोकतंत्र नाम की कोई चीज ही नहीं रह गई है।
जांच दल के सदस्य और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष आतिफ रशीद ने ट्वीट कर कहा है कि ये लोग जब हमें मारने की कोशिश कर सकते हैं, तो गरीब और अनुसूचित जाति के लोगों का क्या हाल किया होगा। उल्लेखनीय है कि गुंडों ने अनुसूचित जाति और गरीब लोगों को अपने निशाने पर रखा है। जाधवपुर में जितने भी मकान टूटे हैं, वे सभी इसी वर्ग के लोगों के हैं।
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