आलोक गोस्वामी
जुल्फी बुखारी पिछले साल नवम्बर में इजराएल क्यों गए थे? वहां मोसाद प्रमुख से क्या चर्चा करके आए? इन सवालों पर गर्माने वाली है पाकिस्तानी की राजनीति
पाकिस्तान से एक हैरान करने खबर सामने आई है। पता चला है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के तत्कालीन विशेष सलाहकार जुल्फी बुखारी अभी इजराएल गए थे। वे वहां मोसाद के प्रमुख से मिले थे। यह खबर हैरान करने वाली इसलिए है क्योंकि सार्वजनिक तौर पर पाकिस्तान इजराएल कोई वास्ता न रखने की कसमें खाता है। लेकिन अब इस खुलासे ने पाकिस्तानी 'कप्तान' की करनी जगजाहिर कर दी है। माना जा रहा है कि बुखारी की मोसाद प्रमुख से बातचीत को लेकर पाकिस्तान में सियासी माहौल गर्मा सकता है और कट्टरपंथी तत्व सरकार पर हमलावर हो सकते हैं।
जानकारी मिली है कि बुखारी पिछले साल नवम्बर में इजराएल जाकर वहां के विश्व प्रसिद्ध गुप्तचर संगठन मोसाद से 'सलाह-मशविरा' करने गए थे। इमरान के उस वक्त के विशेष सलाहकार और मोसाद प्रमुख बीच गुपचुप हुई इस मुलाकात की खबर इजराएल के अखबार 'हयोम' ने प्रकाशित की थी। बताते हैं, इजराएल की फौज के जोर देने पर खबर से पाकिस्तान का नाम हटा दिया गया था। अखबार ने छापा था कि दोनों के बीच मुलाकात ऐसे वक्त पर हुई जब अरब के देश इजराएल के साथ अपने संबंधों को पटरी पर लाने की कोशिश कर रहे थे। उधर जियो न्यूज ने इस बारे में खबर दी कि यह चर्चा तब तेज हुई जब बुखारी के तेल अवीव हवाई अड्डे पर वहां के अधिकारियों से बात करने की एक अखबार ने खबर छापी थी। पाकिस्तान के अंग्रेज दैनिक डॉन ने हालांकि 28 जून को बुखारी के इस यात्रा की खबर से कन्नी काटने की बात छापी है। ये वही बुखारी हैं जिन्होंने एक घोटाले में नाम आने के बाद अभी मई 2021 में प्रधानमंत्री के विशेष सलाहकार का पद छोड़ा है।
पता चला है कि बुखारी और मोसाद प्रमुख के बीच उस बातचीत में इजराएल के साथ संबंध बहाली पर विस्तार से चर्चा हुई थी। अमेरिकी दबाव के संदर्भ में तब इमरान ने कहा था कि पाकिस्तान कभी भी 'जायोनिस्ट' के साथ कभी रिश्ता नहीं रखेगा। इमरान खान ने कहा था कि संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन और तमाम दूसरे अरब देशों के इजराएल को मान्यता दे देने पर, अब इस्लामाबाद पर ऐसा करने का अमेरिका दबाव डाल रहा है।
लेकिन, खबर है कि नवम्बर की उस बातचीत के खुलासे के बाद पाकिस्तान की सियासत में गर्मागर्मी बढ़ सकती है। इस बीच इमरान का एक और बयान गौर करने लायक है कि अमेरिका उस पर इजराएल से संबंध बहाल करने का दबाव बना रहा है। सबसे पहले इजराएल के संयुक्त अरब अमीरात के साथ रिश्ते दुबारा कायम हुए थे। उसके बाद बहरीन, मोरक्को और सूडान भी इजराएल के निकट आए थे। इस सबमें अमेरिका के तत्कालीन विदेश मंत्री पोम्पियो की बड़ी भूमिका बताई गई थी। पता चला है कि बुखारी और मोसाद प्रमुख के बीच उस बातचीत में इजराएल के साथ संबंध बहाली पर विस्तार से चर्चा हुई थी। अमेरिकी दबाव के संदर्भ में तब इमरान ने कहा था कि पाकिस्तान कभी भी 'जायोनिस्ट' के साथ कभी रिश्ता नहीं रखेगा। इमरान खान ने कहा था कि संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन और तमाम दूसरे अरब देशों के इजराएल को मान्यता दे देने पर, अब इस्लामाबाद पर ऐसा करने का अमेरिका दबाव डाल रहा है। लेकिन इमरान का कहना था कि इस्लामाबाद तब तक इजराएल को मान्यता नहीं देगा जब तक कि बेहद पुराने फिलिस्तीन का विषय नहीं सुलझा लिया जाता। इजराएल को मान्यता देने के पीछे बस यही एक शर्त रखी थी उन्होंने।
लेकिन अब बुखारी की इजराएल यात्रा के सूत्र खुल जाने के बाद सत्ता और विपक्ष के बीच जमकर सवाल-जवाब होने का अनुमान लगाया जा रहा है। यह देखना और दिलचस्प होगा कि पाकिस्तान में बैठे हाफिज सईद, मसूद अजहर और सलाहुद्दीन सरीखे आतंकी सरगना इस पर क्या तकरीरें देते हैं!
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