सब कुछ योजना के अनुसार ही काम चलता रहा तो जल्दी ही भारत की ओर से सीमावर्ती इलाकों में विभ्रम, सुदर्शन और काकरोच तैनात होंगे। विभ्रम, सुदर्शन और काकरोच ये नाम उन ड्रोन के हैं, जिन्हें विकसित करने का काम आईआईटी, कानुपर के विशेषज्ञ कर रहे हैं
इन दिनों जम्मू—कश्मीर में सैन्य ठिकानों पर सीमा पार से ड्रोन के जरिए हमले हो रहे हैं। इनके जरिए विस्फोटक पदार्थ और हथियार भी पहुंचाए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि चीन छोटे ड्रोन तैयार कर पाकिस्तान को बेच रहा है और पाकिस्तान उनका इस्तेमाल भारत के विरुद्ध कर रहा है। सीमा पर भारत की ओर से बड़े—बड़े जहाजों और उसी तरह की अन्य चीजों को रोकने के लिए व्यवस्था की गई है, लेकिन छोटे ड्रोन पर नजर रखने के लिए कोई व्यवस्था नहीं हो पाई है। इसी का लाभ पाकिस्तान उठा रहा है। इसलिए ड्रोन से हमला करना बहुत ही आसान है। इन हमलों के बीच भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), कानपुर से एक बहुत ही सुखद और उत्साहवर्धक खबर आई है। हाल ही में आईआईटी, कानपुर के निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने कहा है कि उनके संस्थान के कुछ विशेषज्ञ विशेष तरह की तकनीक वाले ड्रोन तैयार करने पर तेजी से कार्य कर रहे हैं।
उम्मीद है कि इस संबंध में शीघ्र ही कोई अच्छा परिणाम मिलेगा। कहा जा रहा है कि आईआईटी, कानपुर द्वारा तैयार किए जा रहे ड्रोन दुश्मन के ड्रोन हमलों को रोकने के साथ ही उन पर निगरानी भी कर सकते हैं। यह भी कहा जा रहा है कि नई तकनीक से न केवल हमलावर ड्रोन का ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम (जीपीएस) हैक किया जा सकेगा, बल्कि उसे जाल डालकर पकड़ा भी जा सकेगा। दुश्मन ड्रोन के जीपीएस और संचार व्यवस्था को ध्वस्त कर उसे आगे बढ़ने से रोका जा सकेगा। ड्रोन को दूसरी ओर से मिल रहे सिग्नल को रोकने की कोशिश की जाएगी। इस तकनीेेक से दुश्मन के ड्रोन को उसकी मूल जगह लौटने से भी रोका जा सकता है। यानी वह जहां से उड़ा है, वहां उसे जाने नहीं दिया जाएगा।
उम्मीद है कि इस दिशा में जल्दी काम पूरा होगा, ताकि भारत के दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके।
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