यूनिवर्सिटी ऑफ केंट का दावा, शोध से हुआ खुलासा। वुहान लैब को नोबल पुरस्कार दिलाकर उसकी धूमिल होती छवि को चमकाने की जुगत में लगा चीन फिर घिरा
कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर अनेक वैज्ञानिक शोध सामने आ चुके हैं और ज्यादातर ने उंगली उठाई है चीन की वुहान लैब पर। यहां तक कि खुद चीन के विशेषज्ञों ने दावा किया है कि वुहान लैब में जिंदा चमगादड़ों पर शोध के दौरान शायद कोरोना वायरस लीक हुआ था। इन तमाम विशेषज्ञों के आकट्य सबूतों के चलते चीन दुनिया के निशाने पर है। लेकिन हाल में एक ताजा अध्ययन सामने आया है जिसमें तथ्यों के आधार पर दावा किया गया है कि चीन से ही वायरस लीक हुआ है और वह भी अक्तूबर 2019 की शुरुआत में। वहीं से कोरोना वायरस फैलना शुरू हुआ और नवंबर आते आते ये तेजी से फैलने लगा।
रायटर के हवाले से प्राप्त समाचार के अनुसार, कोरोना वायरस महामारी कई म्यूटेंट के जरिए नए नए रूप में सामने आ रही है। दुनिया के सभी देश महामारी से जूझ रहे हैं। ऐसे में वैज्ञानिक और शोधकर्ता वायरस की उत्पत्ति को लेकर भी नई जानकारियों सामने ला रहे हैं, जिनमें दोषी कोई निकलता है तो वह है चीन। वुहान लैब को लेकर अब तक कई रिपोर्ट सामने आई हैं, जिनमें कहा गया है कि वायरस इसी लैब में 'जानबूझकर' बनाया गया है। इस बीच, चीन और कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर यूनिवर्सिटी ऑफ केंट के शोधकर्ताओं ने नया अध्ययन सामने रखा है। शोध में दावा किया गया है कि चीन में अक्तूबर 2019 के शुरू में ही कोरोना से संक्रमण का पहला मामला देखने में आया था। लेकिन हुआ यह था कि चीन ने दिसम्बर 2019 में अधिकृत घोषणा की थी कि उसके यहां कोरोना संक्रमण देखने में आया है।
यानी पहला मामला सामने के आने के दो महीने बाद चीन ने कोरोना वायरस की जानकारी दी थी। लेकिन तब तक नुकसान तो हो चुका था या जानबूझकर किया जा चुका था। यूनिवर्सिटी ऑफ केंट के शोधकर्ताओं ने संरक्षण विज्ञान पद्धति से अनुमान लगाया गया है कि चीन में सार्स—सीओवी2 अक्तूबर 2019 के शुरू से लेकर नवंबर 2019 के बीच फैला। अध्ययन में तारीख तक बताई गई है जब यह रोग तेजी से फैलना शुरू हुआ था। बताया गया है कि इस वायरस के तेजी से फैलने की सबसे संभावित तारीख 17 नवंबर, 2019 थी। लेकिन जैसा देखने में आया, जनवरी, 2020 तक यह महामारी शायद पूरी दुनिया तक पहुंच चुकी थी।
कोरोना का पहला मामला चीन के अनुसार दिसंबर 2019 में सामने आया था। कोरोना का ये केस वुहान की हुआनन सीफूड मार्केट से जुड़ा था। लेकिेन ऐसी संभावनाओं से बाद में इंकार कर दिया गया था। मतलब ये कि कोरोना वायरस पहले से ही चीन में मौजूद था जहां से सीफूड बाजार में पहुंचा।
जानकारों के अनुसार, चीन ने कोरोना वायरस के शुरुआती डाटा को मिटा दिया है जिससे वायरस की उत्पत्ति का पता लगाया जा सकता था। यह डाटा शुरू में संक्रमित व्यक्तियों की जांच से संबंधित था। इस डाटा को वायरस के फैलने का पता लगाने के लिए इस्तेमाल होने वाले अंतरराष्ट्रीय डाटाबेस से हटाया गया था।
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