कन्नूर के पिनरई पर कन्नूर के ही सुधाकरन ने एक बड़ा आरोप लगाते हुए मार्क्सवादी नेता की पृष्ठभूमि का किया खुलास
केरल कांग्रेस के मुखिया के. सुधाकरन ने एक बयान दिया है जिसे लेकर प्रदेश में राजनीतिक माहौल एक बार फिर गरमाया है। 19 जून को कोच्चि में एक प्रेस वार्ता में सुधाकरन ने कहा कि 1969 में रा.स्व.संघ कार्यकर्ता वडिक्कल रामकृष्णन की हत्या कथित तौर पर पिनरई विजयन ने की थी। अपनी बात को साबित करने के लिए सुधाकरन ने एफआईआर की प्रति भी दिखाई। उनका कहना था कि इस मामले में तब दर्ज हुई एफआईआर में पिरई विजयन का नाम है।
केरल कांग्रेस के अध्यक्ष ने साफ कहा कि कन्नूर में वह पहली राजनीतिक हत्या थी। इधर हाल के दिनों में, सुधाकरन के अनुसार, माकपा कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस के 28 से ज्यादा कार्यकर्ताओं की हत्या की है। उनका तो यह भी कहना है कि कम्युनिस्टों ने उनकी हत्या की भी तीन बार कोशिश की है।
केरल के मुख्यमंत्री की 'आपराधिक पृष्ठभूमि' के बारे में सुधाकरन ने आगे कहा कि विजयन पर उनके खुद के अंगरक्षक बाबू की कथित हत्या का आरोप है। उनके अनुसार पिनरई की कभी बाबू के साथ खूब छनती थी, लेकिन बाद में रिश्तों में दरार आ गई, उसी का नतीजा निकला उसकी हत्या। आरोपों की झड़ी लगाते हुए, सुधाकरन का कहना था कि बीड़ी बनाने वाले कैंडोथ गोपी की मौत के पीछे भी मुख्यमंत्री कथित जिम्मेदार थे।
गोपी ने बयान दिया था, कि वे बीड़ी मजदूरों का कंपनी के प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा निकाल रहे थे, तभी पिनरई के नेतृत्व में हथियारबंद मार्क्सवादियों का एक दल आया और मजदूरों पर टूट पड़ा।
मार्क्सवादी नेता व मुख्यमंत्री पिनरई विजयन और केरल कांग्रेस के मुखिया सुधाकरन का दरअसल यह पलटवार था पिनरई पर। सुधाकरन की यह प्रेस कांफ्रेंस पिनरई की ठीक एक दिन पहले हुई प्रेस कांफ्रेंस में लगाए गए इस आरोप जवाब था कि कांग्रेस के नए बने प्रदेश अध्यक्ष ने कभी उनके बच्चों के अपहरण की योजना बनाई थी। सुधाकरन ने इस पर भी चुटकी ली, कहा कि अगर पिनरई को पता था कि उन्होंने ऐसी योजना बनाई थी तो पुलिस को सूचित क्यों नहीं किया, उनके उस दोस्त का नाम पुलिस को क्यों नहीं बताया जिसने सुधाकरन के उसमें शामिल होने की जानकारी उन्हें दी थी?
दरअसल पिनरई और सुधाकरन के बीच वाक्युद्ध कोई नई बात नहीं है। दोनों के बीच ऐसा कई बार हुआ है। असल में दोनों कन्नूर के एक ही कालेज से पढ़े हैं, कन्नूर से ही दोनों ने अपना राजनीतिक करियर शुरू किया था। पिछले विधानसभा चुनावों में कम्युनिस्टों के हाथों केरल में कांग्रेस की दुर्दशा को देखते हुए सुधाकरन को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर हालत सुधारने की कवायद है। और अब धुर विरोधी एक-दूसरे से नंबर बढ़ाए रखने की होड़ में हैं।
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