आलोक गोस्वामी
सांप्रदायिक हिंसा, आतंकी गतिविधियों को पैसा देने और देशविरोधी तत्वों को समर्थन देने के आरोपों में घिरे वाले पापुलर फ्रंट आफ इंडिया के साथ खड़ा ट्विटर!
सोशल मीडिया की भारत में अब काफी विवादित हो चुकी कंपनी, ट्विटर ने एक और शरारत की है। उसने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की कर्नाटक इकाई के ट्विटर हैंडल को 'सत्यापित' कर दिया है। उसके इस कदम का तीखा विरोध हो रहा है। ट्विटर पर सक्रिय नामी हस्तियों ने इस फैसले के विरोध में ट्विटर पर दोहरे मापदंड अपनाने से लेकर उसकी निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं।
पीएफआई को कौन नहीं जानता। उसकी कट्टरपंथी हरकतें, देश विरोधी गतिविधियां और हिन्दू संगठनों के विरुद्ध मजहबी उन्माद को भड़काने के अनेक उदाहरण सामने हैं, लेकिन तब भी ट्विटर उसे 'सत्यापित' करके उसकी इकाई के हैंडल पर 'नीला टिक' देता है तो कंपनी की मंशा और साफ हो जाती है।
केरल में मुस्लिमों को उकसाने और हिन्दू संगठनों के खिलाफ बेमतलब माहौल बनाने में यह संगठन हमेशा आगे रहा है। दक्षिण के अन्य राज्यों में भी इस संगठन ने अपनी जड़ें फैलाई हुई हैं। उल्लेखनीय है कि कट्टर इस्लामिक संगठन पीएफआई को भारत में आतंकवादी हमले कराने तथा देश में बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक उपद्रव भड़काने के गंभीर आरोप लगे हैं। इसी संगठन की कर्नाटक इकाई के फिलहाल ट्विटर पर 16 हजार से अधिक फॉलोअर हैं। लेकिन ऐसे संगठन को सत्यापित करने की ट्विटर की हरकत के मायने आसानी से समझे जा सकते हैं।
ट्विटर की शरारत
यह वही ट्विटर है जिसने कुछ दिन पहले उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडु के हैंडल से इस बहाने 'नीला टिक' हटा दिया था कि 'उन्होंने पिछले छह माह से उस पर अपनी कोई उपस्थिति दर्ज नहीं कराई है'। भारी विरोध के बाद कुछ घंटों के अंदर उसने पहले वाली स्थिति बहाल की। ट्विटर ने रा.स्व.संघ के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों के हैंडल से 'नीला टिक' हटा दिया, लेकिन बाद में उसे बहाल कर दिया। यही ट्विटर भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा और पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के 'कांग्रेस टूलकिट' मामले में ट्वीट पर 'मैनिप्यूलेटिड' लिखने की हिमाकत करता है, लेकिन हिन्दूफोबिक, देश विरोधी, फर्जी ट्वीट करने वालों को जस का तस छोड़ देता है।
सोशल मीडिया प्लेटफार्म के संदर्भ में हाल में भारत सरकार द्वारा कुछ कायदे तय करने के कदम का विरोध सिर्फ ट्विटर ने किया था। पहले उसने इन भारतीय कानूनों को मानने से इंकार कर दिया, लेकिन जब सरकार सख्त हुई तो कायदे मानने को राजी हुआ।
कट्टर इस्लामी गुट पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया किस तरह देश विरोधी ताकतों को खाद—पानी देता आ रहा है, वह कोई छुपा तथ्य नहीं है। राजधानी दिल्ली में शाहीन बाग और अन्य स्थानों पर सीएए के विरोध में तीन महीने से अधिक चले धरने को पैसे की मदद देने में एजेंसियों की जांच में पीएफआई का नाम उजागर हुआ ही था। जनवरी 2020 में उत्तर प्रदेश में योगी सरकार द्वारा सीएए विरोधी दंगों में पीएफआई द्वारा की गई हिंसा के चलते इस पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी।
दक्षिण में उपद्रवी गतिविधियां
केरल में मुस्लिमों को उकसाने और हिन्दू संगठनों के खिलाफ बेमतलब माहौल बनाने में यह संगठन हमेशा आगे रहा है। वहां इस संगठन ने अपने स्थापना दिवस पर एक रैली निकाली थी, इसमें रा.स्व.संघ के गणवेश पहने कुछ युवक जंजीरों से जकड़े दिखाए गए थे। रैली में 'अल्लाहू अकबर' जैसे नारे लगाए गए थे। दक्षिण के अन्य राज्यों में भी इस संगठन ने अपनी जड़ें फैलाई हुई हैं। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि कट्टर इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया को भारत में आतंकवादी हमले कराने तथा देश में बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक उपद्रव भड़काने के गंभीर आरोप लगे हैं। इसी संगठन की कर्नाटक इकाई के फिलहाल ट्विटर पर 16 हजार से अधिक फॉलोअर हैं। लेकिन ऐसे संगठन को सत्यापित करने की ट्विटर की हरकत के मायने आसानी से समझे जा सकते हैं।
ट्विटर की इस हरकत से ठीक पहले, 15 जून 2021 को ही भारत के आयकर विभाग ने पीएफआई के 80 जी वाला पंजीकरण रद्द कर दिया था। आयकर विभाग का कहना है यह संगठन तमाम समुदायों में सद्भावना और भाईचारे को खत्म कर रहा है।
ट्विटर ऐसे कट्टरपंथी संगठन की एक तरह से 'छवि' उजली दिखाने का ही काम कर रहा है। भारत में बस इसी बात को लेकर ट्विटर की इस हरकत का बड़े पैमाने
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