निक्सन को कट्टरवादी धमकियां इसलिए मिल रही हैं, क्योंकि उन्होंने फेसबुक पर लक्षद्वीप की आयशा सुल्ताना को प्रशासक के लिए अपमानजनक शब्द बोलने की भर्त्सना की थी, आईएसआईएस के जिहाद पर किताब लिखने की मंशा जताई थी
केरल से एक हैरान करने वाली खबर मिली है। वहां एक ईसाई मत के परिवार पर कट्टरपंथियों की धमकियों की बौछार लगी है इसलिए क्योंकि उसने लक्षद्वीप की फिल्म निर्माता आयशा सुल्ताना के विरुद्ध फेसबुक पर पोस्ट लिखी थी। उन्होंने राष्ट्रीय भाव से भरी अपनी पोस्ट में लक्षद्वीप में विकास कार्यों का विरोध करने वाली और प्रशासक के विरुद्ध अपमानजनक बयान देने वाली आयशा की भर्त्सना की थी। लेकिन उस पोस्ट को डालने के फौरन बाद, धमकियों भरे फोन आने लगे। एक मजहबी उन्मादी ने तो बांग्लादेश तक से फोन किया। इससे साफ है कि भारत के ही नहीं, दूसरे मुस्लिम देशों के जिहादी तत्व भी किसी इस्लामवादी की गलती के बावजूद उसके खिलाफ एक शब्द भी सुनते ही लामबंद होने लगते हैं। परिवार ने बताया है कि सुल्ताना की आलोचना करने के कारण उन पर साइबर हमला हुआ। केरल के कोल्लम जिले के कोट्टारक्करा नामक स्थान पर रहने वाला उक्त परिवार भयभीत है और उसने पुलिस और एनआईए के पास शिकायत दर्ज कराई है।
पति निक्सन और उनकी पत्नी दोनों ने वह पोस्ट 9 जून, 2021 को लिखी थी। बताया गया है कि परिवार की महिला ने जिहादी गुट आईएसआईएस के असर पर एक पुस्तक लिखने की बात सार्वजनिक की थी। उनके अनुसार पुस्तक का नाम रखा जाना है ‘आईएसआईएस का उभार–इस्लामी स्टेट के राज’। बस तभी से उस परिवार को अलग-अलग नंबरों से धमकी भरे फोन आने शुरू हो गए। हैरानी की बात है सोशल मीडिया पर धमकियों में उनके दिव्यांग बेटे तक को नहीं छोड़ा गया। निक्सन सहित परिवार के अन्य लोगों ने मीडिया और समाज के सब लोगों से मदद की गुहार की है।
आयशा का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है और इसके पीछे कट्टरपंथी ताकतों का हाथ है। केरल के दोनों प्रमुख मोर्चों एलडीएफ और यूडीएफ ने आयशा की हर तरह से मदद करने की घोषणा की ही थी। लक्षद्वीप के सेकुलर दल और नेता भी उसके समर्थन में मोर्चे निकालते रहे हैं। इधर कांग्रेस के 'युवराज' ने भी आयशा के प्रति समर्थन जताते हुए चिट्ठी लिखी थी। जबकि केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल्ल पटेल ने एक नहीं, अनेक बार विकास कार्यों को लेकर शंकाओं का समाधान किया है। लेकिन विरोध हो रहा है तो बस विरोध के नाम पर।
केरल उच्च न्यायालय ने हाल में प्रशासक के विकास कार्यों के आदेश में पीएएसए अधिनियम पर रोक लगाने संबंधी एक स्थानीय कांग्रेसी नेता नौशाद अली की याचिक खारिज करते हुए कहा था कि योजना अभी प्रस्तावित है, शुरू नहीं हुई है इसलिए कयास बेबुनियाद हैं। न्यायमूर्ति एस.वी. भाटी और न्यायमूर्ति मुरली पुरुषोत्तम की दो सदस्यीय पीठ ने उक्त याचिका की सुनवाई की थी।
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