आलोक गोस्वामी
चीन ने हाल के कुछ महीनों में कई बार ताइवान के आसमान में घुसपैठ करके उसे धमकाने की कोशिश की है। जब भी ताइवान जलडमरूमध्य का विषय उठता है, चीन ऐसे आक्रामक पैंतरे दिखाता है
चीन ताइवान को गीदड़ भभकियां देने में कोई कोताही नहीं बरत रहा है। चीनी नेता और उनका सरकारी मीडिया आएदिन ताइवान को लेकर उग्र बयानबाजियां करता रहा है। लेकिन अब उसके लड़ाकू विमान ताइवान के आसमान में धमक दिखाने पहुंचे थे। हालांकि ताइवान के हवाई क्षेत्र का उसने यह छठी बार उल्लंघन किया है। पता चला है कि चीन की यह घुसपैठ गत 15 जून को हुई थी।
ताइवान के हवाई क्षेत्र में चीनी वायुसेना के 28 लड़ाकू विमान घुसे थे। इससे पहले कभी इतने विमानों ने ताइवान के आसमान में घुसपैठ नहीं की थी। ताइवान के रक्षा विभाग का कहना है कि इस चीनी अभियान में 14 जे-16 और 6 जे-11 विमान थे। इनके अलावा 4 एच-6 बमवर्षक भी ताइवान को घुड़काने के लिए भेजे गए थे। उल्लेखनीय है कि हाल ही में जी7 देशों ने चीन से आह्वान किया था कि वह ताइवान जलडमरूमध्य मुद्दे को शांतिपूर्वक हल करे। इसके संदर्भ में चीन की ये हवाई घुसपैठ कोरी घुड़की ही मानी जा रही है।
ताइवान सरकार की तरफ से इस चीनी हवाई घुसपैठ की जो जानकारी दी गई है वह चौंकाने वाली है। ताइवान ने बताया है कि उसके आसमान में घुसपैइ करने वाले चीनी लड़ाकू विमानों के अलावा परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम बमवर्षक विमान भी शामिल थे।
चीन ने ओढ़ी चुप्पी
हालांकि, अभी तक चीन सरकार या सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स की तरफ से ताइवान के आसमान में हवाई घुसपैठ को लेकर कोई बयान नहीं आया है। लेकिन चीन की यह हरकत अन्य तमाम देश देख रहे हैं और समझ रहे हैं कि शी जिनपिन के नेतृत्व में चीन शांति और सौहार्द जैसे शब्द भूल चुका है। जी7 नेताओं ने 13 जून को चीन को लगभग फटकार लगाते हुए जारी किए संयुक्त बयान जारी किया था कि ताइवान जलडमरूमध्य में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए चीन इस मुद्दे को सुलझाए। लेकिन यह बात भी रिकार्ड में दर्ज है कि ताइवान की तरफ से गत कुछ महीनों में चीनी वायु सेना की उसके आसमान में बार—बार घुसपैठ करने की शिकायत की गई है।
ताइवान की तरफ से एक अहम जानकारी दी गई है कि उसने अपने हल्के लड़ाकू विमान भेजे थे चीन के विमानों का रास्ता रोकने के लिए। साथ ही, ऐसी घुसपैठ पर नजर रखने के लिए उसने मिसाइल तंत्र तैनात किए हुए हैं।
बता दें कि चीन के परमाणु हथियार ले जाने वाले विमान पनडुब्बी रोधी, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध कौशल और शुरुआती चेतावनी देने वाले तंत्र मौजूद हैं।
ताइवान की तरफ से एक और अहम जानकारी दी गई है कि उसने अपने हल्के लड़ाकू विमान भेजे थे चीन के विमानों का रास्ता रोकने के लिए। साथ ही, ऐसी घुसपैठ पर नजर रखने के लिए उसने मिसाइल तंत्र तैनात किए हुए हैं।
चीन की इस ताजा हरकत से साफ है कि वह दक्षिण एशिया में अपनी थानेदारी चलाए रखना चाहता है। भारत के साथ वह अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख सीमा पर बेवजह हिंसक झड़पें करता रहा है। पिछले साल गलवान में उसने घुसपैठ की कोशिश की थी, लेकिन मुंह की खाने के बाद पीछे लौटा था। इसी तरह, उससे पहले डोकलाम में भी उसने ऐसी ही शरारत की थी और तब भी उसे पीछे हटना पड़ा था।
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