केरल उच्च न्यायालय में कल दो बड़े फैसले हुए, एक तो आयशा की गिरफ्तारी पर एक हफ्ते के लिए रोक लगाते हुए अदालत ने उन्हें पुलिस के सामने हाजिर होने का कहा, दूसरे, कांग्रेस नेता नौशाद की विकास कार्यों को रोकने की याचिका खारिज की
वेब डेस्क
लक्षद्वीप में प्रशासक प्रफुल्ल पटेल के विकास कार्यों और कुछ नए नियमों से चिढ़कर 'जैविक हथियार' जैसे आरोप लगाकर विवादों में घिरी फिल्मकार आयशा सुल्ताना को अब पुलिस के सामने हाजिर होने का आदेश दिया गया है। 17 जून को केरल उच्च न्यायालय में आयशा पर लगे 'राजद्रोह' के केस की सुनवाई हुई। आयशा यह मामला उच्च न्यायालय में ली गई हैं। उन्होंने न्यायालय से अंतरिम जमानत देने की अपील की है।
आयशा की अग्रिम जमानत की याचिका के विरुद्ध लक्षद्वीप प्रशासन का कहना था कि आयशा की याचिका विचार करने लायक नहीं है। बहरहाल, अदालत ने दोनों पक्षों की बात सुनी और फिलहाल आयशा की अग्रिम जमानत की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। हालांकि न्यायमूर्ति अशोक मेनन ने आयशा को एक हफ्ते के लिए राजद्रोह मामले में गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दी है, लेकिन साथ ही निर्देश दिया कि वे कवरत्ती के पुलिसथाने में 20 जून को पूछताछ के हाजिर हों। उधर आयशा ने अपनी अपील में यह कहा था कि अगर वह पुलिसथाने गईं तो उनके गिरफ्तार होने का भय है।
इसके अलावा 17 जून को ही केरल उच्च न्यायालय ने कांग्रेस नेता नौशाद अली की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें नौशाद ने आरोप लगाया था कि पीएएसए प्रशासन को एक साल तक, बिना किसी सार्वजनिक स्पष्टीकरण के किसी को भी हिरासत में रखने का अधिकार देता है।
लक्षद्वीप में विकास कार्यों के विरुद्ध दायर नौशाद अली की याचिका को निरस्त करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि सुधार के लिए उठाए जाने वाले कदम अभी सिर्फ मसौदे के रूप में हैं। इससे पहले अदालत इस मामले में केंद्र सरकार से जवाब मांग चुकी है। कांग्रेसी नेता नौशाद अली की याचिका पर सुनवाई की न्यायमूर्ति एस.वी. भाटी और न्यायमूर्ति मुरली पुरुषोत्तम की पीठ ने। उल्लेखनीय है कि नौशाद ने अपनी याचिका में लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण विनियमन—2021 और द्वीपों पर असामाजिक गतिविधि अधिनियम यानी पीएएसए पर रोक लगाने की मांग की थी।
लक्षद्वीप में प्रशासक प्रफुल्ल पटेल के विकास कार्यों और कुछ नए नियमों से चिढ़कर 'जैविक हथियार' जैसे आरोप लगाकर विवादों में घिरी फिल्मकार आयशा सुल्ताना को अब पुलिस के सामने हाजिर होने का आदेश दिया गया है। 17 जून को केरल उच्च न्यायालय में आयशा पर लगे 'राजद्रोह' के केस की सुनवाई हुई। आयशा यह मामला उच्च न्यायालय में ली गई हैं। उन्होंने न्यायालय से अंतरिम जमानत देने की अपील की है।
आयशा की अग्रिम जमानत की याचिका के विरुद्ध लक्षद्वीप प्रशासन का कहना था कि आयशा की याचिका विचार करने लायक नहीं है। बहरहाल, अदालत ने दोनों पक्षों की बात सुनी और फिलहाल आयशा की अग्रिम जमानत की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। हालांकि न्यायमूर्ति अशोक मेनन ने आयशा को एक हफ्ते के लिए राजद्रोह मामले में गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दी है, लेकिन साथ ही निर्देश दिया कि वे कवरत्ती के पुलिसथाने में 20 जून को पूछताछ के हाजिर हों। उधर आयशा ने अपनी अपील में यह कहा था कि अगर वह पुलिसथाने गईं तो उनके गिरफ्तार होने का भय है।
इसके अलावा 17 जून को ही केरल उच्च न्यायालय ने कांग्रेस नेता नौशाद अली की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें नौशाद ने आरोप लगाया था कि पीएएसए प्रशासन को एक साल तक, बिना किसी सार्वजनिक स्पष्टीकरण के किसी को भी हिरासत में रखने का अधिकार देता है।
लक्षद्वीप में विकास कार्यों के विरुद्ध दायर नौशाद अली की याचिका को निरस्त करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि सुधार के लिए उठाए जाने वाले कदम अभी सिर्फ मसौदे के रूप में हैं। इससे पहले अदालत इस मामले में केंद्र सरकार से जवाब मांग चुकी है। कांग्रेसी नेता नौशाद अली की याचिका पर सुनवाई की न्यायमूर्ति एस.वी. भाटी और न्यायमूर्ति मुरली पुरुषोत्तम की पीठ ने। उल्लेखनीय है कि नौशाद ने अपनी याचिका में लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण विनियमन—2021 और द्वीपों पर असामाजिक गतिविधि अधिनियम यानी पीएएसए पर रोक लगाने की मांग की थी।
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