संजीव कुमार
पिछले दिनों बिहार के बांका में मस्जिद परिसर में बम धमाका हुआ। इसके बाद अररिया में भी हुए बम विस्फोट से डर फैला। यह बात भी दिख रही है कि पिछले छह—सात साल में बिहार में जितने भी बम विस्फोट हुए हैं, उनमें से ज्यादातर के तार किसी मस्जिद या मदरसे से जुड़े हैं।
गत दिनों बांका के नवटोलिया गांव में नूरी इस्लाम मस्जिद परिसर में जबरदस्त बम धमाका हुआ। कहा जा रहा है कि इसमें घातक विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया था। यह बम धमाका इतना तेज था कि मस्जिद परिसर स्थित मदरसा पूरी तरह ध्वस्त हो गया। मदरसा के इमाम अब्दुल मोबिन उर्फ सत्तार की मृत्यु हो गई। इस बम धमाके की गूंज अभी शांत भी नहीं हुई थी कि 10 जून को देर शाम अररिया के बैरगाछी में एक जबरदस्त बम विस्फोट हुआ। इस विस्फोट में मोहम्मद अफरोज नामक एक युवक गंभीर रूप से घायल हुआ है।
अमूमन हिंसक वारदातों में मस्जिदों और मदरसों की संलिप्तता की बात दबी जुबान से कही जाती है, लेकिन बांका में तो बम धमाका मस्जिद परिसर के अंदर ही हुआ। घटना के बाद आश्चर्यजनक ढंग से गांव के मुस्लिम पुरुष गायब हो गए। विशेषज्ञों का कहना है कि मदरसे का मौलाना अब्दुल मोमिन खुद बम तैयार कर रहा था।
इन दोनों बम धमाकों के बाद बिहार में पहले हुए बम धमाकों को जानने की उत्सुकता बढ़ गई है। लोग पूछ रहे हैं कि आखिर इन धमाकों के पीछे कौन लोग या संगठन हैं!
इससे पहले भागलपुर के नाथनगर थानाक्षेत्र में 24 अप्रैल, 2021 को एक तेज बम विस्फोट हुआ था। इसमें मुर्गियाचक निवासी मोहम्मद इकराम बुरी तरह घायल हो गया था। 2020 में 5 जून को दरभंगा के विश्वविद्यालय थानाक्षेत्र अन्तर्गत आजमनगर मुहल्ले में भयंकर विस्फोट हुआ था। मोहम्मद नजीर नदाफ के घर दोपहर के समय यह विस्फोट हुआ। विस्फोट की तीव्रता इतनी अधिक थी कि पूरा इलाका दहल उठा था। तीन किलोमीटर के दायरे में धमाके की आवाज सुनाई दी थी। इस धमाके में न सिर्फ नजीर का मकान ध्वस्त हुआ, बल्कि कई घरों को भी क्षति पहुंची थी। नजीर के तीन बच्चे शमशाद, साहिल और नजराना इस धमाके में गंभीर रूप से घायल हुए थे। इस घटना की विस्तृत जांच अभी बाकी है।
औरंगाबाद के ओबरा थानाक्षेत्र में भी 8 सितंबर, 2020 को एक बम विस्फोट हुआ था। इसमें भरूप गांव की सीता देवी और उनका बेटा गंभीर रूप से घायल हो गए थे। बाद में सीता देवी ने बताया था कि वह घर से कुछ सामान लेने के लिए निकली थी। रास्ते में उसकी नजर चॉकलेट के डिब्बे पर पड़ी। वह उसे घर ले आई और विस्फोट हो गया।
16 जून, 2020 को पटना सिटी के सुल्तानगंज थानाक्षेत्र के दरगाह रोड में भी बम विस्फोट हुआ था। कहा जाता है कि तीन अपराधी किसी घटना को अंजाम देने के लिए बम ले जा रहे थे, तभी वह फट गया। इसमें सुल्तानगंज थाना क्षेत्र के कासिम कॉलोनी निवासी अपराधी नदीम घायल हुआ था।
इससे पहले 2018 में बिहारशरीफ में भी बम विस्फोट हुआ था। रहुई थानान्तर्गत खाजे एतवारसराय गांव में हुए इस विस्फोट से चार बच्चे जख्मी हुए थे। इसमें एक की हालत चिंताजनक थी।
27 अक्तूबर, 2013 को पटना के गांधी मैदान में हुए श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोटों ने तो बिहार को हिला दिया था। उस दिन भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी गांधी मैदान में हुंकार रैली को संबोधित कर रहे थे। पहला धमाका 10 बजे पटना रेलवे स्टेशन के शौचालय में हुआ। फिर पांच धमाके गांधी मैदान के आस-पास हुए। इन बम धमाकों से छह लोगों की जान गई थी तथा 83 लोग घायल हुए थे। इन बम धमाकों का सरगना था इंडियन मुजाहिद्दीन का मोहम्म्द तहसीन अख्तर।
2013 में ही शांति की नगरी बोधगया में भी कई बम धमाके हुए थे। बोधगया के महाबोधि मंदिर और उसके आस-पास एक के बाद एक नौ विस्फोट हुए थे। आतंकियों ने महाबोधि वृक्ष के नीचे भी दो बम लगाए थे। तेरगर मठ में फटे तीन बम खेल के मैदान में लगाए गए थे, जहां नए भिक्षु फुटबॉल खेलते थे। पांच धमाके महाबोधि मंदिर परिसर के भीतर हुए थे। एक धमाका बुद्ध प्रतिमा के पास और एक धमाका बाईपास के करीब बस स्टैंड पर हुआ था। एनआईए की जांच में यह सामने आया था कि रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ कार्रवाई का बदला लेने के लिए बोधगया में श्रृंखलाबद्ध बम धमाके हुए थे। इंडियन मुजाहिद्दीन के अजहर कुरैशी, इम्तियाज अंसारी, मुजिबुल्ला अंसारी, हैदर अली और उमर सिद्दकी इस मामले में आरोपी थे।
बिहार में अब तक हुए बम विस्फोटों पर नजर मारने से स्पष्ट होता है कि इनके तार किसी न किसी मस्जिद या मदरसे से जुड़े रहे हैं। 2019-20 में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक पंजीयन (एनआरसी) के विरोध में होने वाले प्रदर्शनों में भी मस्जिदों और मदरसों की संलिप्ता पाई गई है।
11 अप्रैल, 2021 को किशनगंज के थाना प्रभारी अश्विनी कुमार जब देर रात ग्वालपाड़ा पहुंचे तो मस्जिद से एलान करके उनकी हत्या के लिए लोगों को उकसाया गया था। 2020 में पटना के अशोक राजपथ पर माता सरस्वती की प्रतिमा विसर्जन करने जा रहे पटना विश्वविद्यालय के छात्रों पर लालबाग मस्जिद से पत्थर फेंके गए थे। गोली और बम भी मस्जिद से चलाए जाने की बात सामने आई थी। इस घटना में कुछ पुलिस वाले भी घायल हुए थे। पटना उच्च न्यायालय ने भी इस पर सख्त टिप्पणी की थी।
पटना के कुर्जी मुहल्ला स्थित मस्जिद से अप्रैल, 2020 में विदेशी तब्लीगी पकड़े गए थे। दिल्ली के मरकज में बिहार से तब्लीगी जमात के 162 लोग गए थे। तब्लीगी जमात से लौटने के बाद कई लोग फुलवारीशरीफ की संगी मस्जिद और पटना सिटी की नूरी मस्जिद में ठहरे थे।
अब बिहार के लोग साफ तौर पर कहने लगे हैं कि जितने भी बम विस्फोट हुए हैं, उनमें से ज्यादातर की जांच अच्छी तरह नहीं की गई है। यही कारण है कि बिहार में बम विस्फोट लगातार हो रहे हैं। सरकार इन सबकी जांच अच्छी तरह कराए, वरना आने वाले समय में बिहार एक बड़े संकट में फंस सकता है।
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