किस देश के पास कितने परमाणु हथियार हैं, दुनिया में कुल कितने परमाणु हथियार हैं आदि जानकारियां देने वाली 'सिपरी' की अध्ययन रपट कितनी तथ्यात्मक
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट यानी 'सिपरी' ने हाल में एक अध्ययन रपट प्रकाशित की है। उसके हिसाब से चीन, पाकिस्तान और भारत शायद अपने परमाणु हथियारों का विस्तार कर रहे हैं। हालांकि यह अध्ययन कितना विश्वसनीय है, कितना नहीं, इस बारे में अभी कुछ स्पष्ट नहीं कहा जा सकता। 'सिपरी' का कहना है, जनवरी 2020 तक चीन, पाकिस्तान और भारत के पास क्रमशः 350, 160 और 150 परमाणु हथियार थे। यानी पाकिस्तान के पास भारत से 10 परमाणु हथियार ज्यादा हैं। अध्ययन बताता है कि चीन में हथियारों का जबरदस्त आधुनिकीकरण चल रहा है। वह अपने परमाणु हथियारों को और बढ़ाने में जुटा है। इधर भारत तथा पाकिस्तान भी अपने अपने परमाणु हथियारों में इजाफा कर रहे हैं।
विशेषज्ञ इस बात से हैरान हैं कि 'सिपरी' ने ये 'जानकारी' ली कहां से है। कारण यह कि ज्यादातर देश ऐसे हैं जो कभी भी परमाणु हथियारों की जानकारी किसी से साझा नहीं करते हैं। किसके पास कितने प्रक्षेपास्त्र हैं, यह चीज भले सबकी जानकारी में हो सकती है, क्योंकि प्रक्षेपास्त्रों को छोड़े जाने के समाचार मीडिया के साथ साझा किए जाते हैं, लेकिन परमाणु हथियारों की जानकारी सार्वजनिक नहीं होती।
'सिपरी' के अध्ययन की मानें तो, दुनिया में कुल 9 देशों के पास परमाणु हथियार हैं जिनमें अमेरिका और रूस भी शामिल हैं। इन दोनों के पास ही दुनिया के कुल 13,080 परमाणु हथियारों में से 90 प्रतिशत से ज्यादा हथियार हैं। 'सिपरी' के अनुसार, परमाणु सम्पन्न अन्य प्रमुख राष्टा्ें में हैं यूके, फ्रांस, इज़राएल और उत्तर कोरिया। अध्ययन यह भी कहता है कि दुनिया के कुल 13,080 परमाणु हथियारों में से लगभग 2,000 को 'सतर्कता मोड' में रखा हुआ है।
हालांकि रक्षा विशेषज्ञ इस बात से हैरान हैं कि 'सिपरी' ने ये 'जानकारी' ली कहां से है। कारण यह कि ज्यादातर देश ऐसे हैं जो कभी भी अपने पास मौजूद परमाणु हथियारों की जानकारी किसी से साझा नहीं करते हैं। किसके पास कितने प्रक्षेपास्त्र हैं, यह चीज भले सबकी जानकारी में हो सकती है, क्योंकि प्रक्षेपास्त्रों को छोड़े जाने के समाचार मीडिया के साथ साझा किए जाते हैं, लेकिन परमाणु हथियारों की जानकारी सार्वजनिक नहीं होती। इसलिए 'सिपरी' के अध्ययन की इस रपट पर भरोसा करने वाले बहुत कम हैं। आंकड़े भी कुछ ऐसे हैं जो आसानी से हजम नहीं होते।
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