मनोज ठाकुर
किसान आंदोलन की आड़ में कभी एक लड़की से सामूहिक बलात्कार किया जाता है तो कभी एक किसान को ही वहां जिंदा जला दिया जाता। कभी दिल्ली में अराजकता की सीमाएं पार कर पुलिसकर्मियों को पीटा जाता है। लेकिन कथित किसान नेता कहते हैं कि वह आंदोलन कर रहे हैं। क्या आंदोलन ऐसे किया जाता है?
किसानों की आड़ में किस तरह से दरिंदे हैवानियत की सारी हदें पार कर रहे हैं। इसका ताजा उदाहरण देर रात सामने आया, जब आंदोलन स्थल टिकरी बार्डर पर एक किसान को जिंदा जला दिया गया। मृतक की पहचान कसार गांव निवासी मुकेश के रूप में हुई। कल देर शाम मुकेश आंदोलन स्थल पर ही था। इस दौरान किसी बात को लेकर उनमें झगड़ा हो गया, आरोपियों ने मुकेश पर तेल छिड़क कर आग लगा दी।
बताया जा रहा है कि पहले मुकेश के मुंह में शराब डाली गई। जब वह नशे में हो गया तो उस पर पेट्रोल डाल कर आग लगा दी। गंभीर हालत में मुकेश को बहादुरगढ़ के सामान्य अस्पताल लाया गया था। 90 फीसदी झुलसे हुए मुकेश ने करीब 2:30 बजे दम तोड़ दिया।
उधर परिजनों ने मृतक का शव लेने से मना कर दिया है। पीड़ित परिवार ने कहा है कि यहां आंदोलन स्थल पर एक समुदाय विशेष के लोगों ने पहले तो मुकेश को धमकाया। पीड़ित युवक के गांव के लोगों ने बताया कि धरना स्थल पर उसे जबरदस्ती बंधक बना कर रखा गया। जब मुकेश ने बार बार घर जाने की बात कहीं तो उसे डराया गया। इसके बाद उसे धमकाया गया कि उसे शहीद किया जाएगा।
इसी बीच उस पर तेल डाल कर उसे जला दिया गया। पीड़ित परिवार ने बताया कि उन्हें घटना का बाद में पता चला।
मृतक के भाई ने बताया कि मुकेश पहली बार धरने पर गया था। उसने बताया कि उसके भाई का आंदोलन से कोई वास्ता नहीं था। वह बेहद शांत स्वभाव का व्यक्ति था। भाई की हत्या एक षड़यंत्र के तहत की गई है। जिससे प्रदेश का भाईचारा खत्म किया जा सके।
ग्रामीणों की मांग है कि आंदोलन की आड़ में जो लोग टिकरी पर है, उन्हें यहां से हटाया जाए। क्योंकि इस वजह से यहां का माहौल खराब हो रहा है। उनकी मांग है कि आंदोलन की आड़ में यहां शरारती तत्व मंडरा रहे हैं। इससे गांव का माहौल पूरी तरह से खराब हो गया है। उनके गांव की महिलाओं का घर से निकलना मुश्किल हो गया है। गांव के जोहड़ पर पूरा दिन शरारती तत्व मंडराते रहते हैं। इस वजह से उन्हें भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन इसके बाद भी उनकी मांग की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि स्थानीय लोगों द्वारा लंबे समय से यहां से कथित किसानों को हटाने की मांग की जा रही है। इन्हें गांव से कम से कम पांच किलोमीटर दूर किया जाए। जिससे गांव का माहौल शांत रहे।
दूसरी ओर हत्याकांड के बाद बहादुरगढ़ में तनाव का माहौल बना हुआ है। मृतक युवक के परिजनों ने अस्पताल के पास जाम लगा दिया है। उन्होंने बताया कि एक जाति विशेष के लोग ग्रामीणों को डराकर धरने पर आने के लिए मजबूर कर रहे हैं। यदि ऐसा नहीं करते तो उन्हें धमकाया जाता है। मुकेश की हत्या भी इसी का परिणाम है। धरने की आड़ में यह हैवान लोग ग्रामीणों में डर का माहौल बनाना चाह रहे हैं। जिससे वह डराकर लोगों को धरने पर आने के लिए मजबूर कर सकें।
ग्रामीणों ने बताया कि कथित किसानों की आड़ में अब जो आंदोलन कर रहे हैं, यह अपराधी और शरारती तत्व हैं। क्योंकि अब लोगों का इनका सच पता चल गया है, इसलिए अब किसान इनसे दूर हो गए हैं। पोल खुलने के डर से अब यह शरारती और आपराधिक तत्व ग्रामीणों को धरना स्थल पर आने के लिए मजबूर कर रहे हैं।
इधर डीएसपी पवन कुमार ने बताया कि इस संबंध में मामला दर्ज कर लिया गया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। जल्दी ही आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा। कुछ नाम पुलिस को बताए गए हैं, उनकी जांच की जा रही है। डीएसपी ने दावा किया कि इस हत्याकांड को जल्दी ही सुलझा लिया जाएगा। इधर परिवार ने शव को लेने से इंकार कर दिया है। उनका कहना है कि उनके बेटे की तड़पा—तड़पा कर हत्या की गई है। इस मामले का सरकार तुरंत संज्ञान लें और कड़ी कार्रवाई करे। उन्होंने मांग की कि परिवार को मुआवजा दिया जाए और सरकारी नौकरी दी जाए। परिजनों ने आंदोलनकारी किसानों को भी गांव से दूर बसाने की मांग है।
गौरतलब है कि कथित किसान आंदोलन की आड़ में हैवानियत का यह पहला मामला नहीं है, इससे पहले भी टिकरी बार्डर पर पश्चिम बंगाल की युवती का यौन उत्पीड़न का मामला सामने आया चुका था। युवती की बाद में कोविड से मौत हो गई थी। इस मामले को भी दबा लिया गया था। वह तो युवती का पिता सामने आया, इसके बाद मामला दर्ज हुआ। अब एक किसान को जिस तरह से जला कर उसकी हत्या की गई है, इससे साबित हो रहा है कि यहां किसान नहीं बल्कि अपराधिक प्रकृति के लोग जमे बैठे हैं, जो समाज में दहशत फैलाने का काम कर रहे हैं।
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