अरविंद केजरीवाल सरकार द्वारा खरीदी जाने वाली 1000 बसों में भ्रष्टाचार की शिकायत के बाद खरीद प्रक्रिया पर फिलहाल रोक लगा दी गई है।
अरविंद केजरीवाल सरकार द्वारा खरीदी जाने वाली 1000 बसों में भ्रष्टाचार की शिकायत के बाद खरीद प्रक्रिया पर फिलहाल रोक लगा दी गई है। बीते दिनों ही उपराज्यपाल द्वारा मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की जा चुकी है। ऐसे में जांच पूरी होने के बाद ही बसों की खरीद का मामला आगे बढ़ पाएगा।
दरअसल दिल्ली सरकार की तरफ से 1 हजार बसों की खरीद और इसके रखरखाव के लिए जेबीएम व टाटा मोटर्स लिमिटेड के साथ अनुबंध किया गया है। लेकिन इसमें वित्तीय अनियमितता के आरोप लग रहे हैं। अब भ्रष्टाचार की आशंका के चलते खरीद प्रक्रिया पर फिलहाल रोक लगा दी गई है। दिल्ली सरकार ने जनवरी में दोनों कंपनियों से कुल 890 करोड़ रुपये में एक हजार लो फ्लोर बसें खरीदने का सौदा किया था, जिनमें 700 बसें जेबीएम ऑटो लिमिटेड से खरीदनी थीं और 300 बसें टाटा कंपनी से खरीदने के लिए अनुबंध हुआ था। बसों की आपूर्ति शुरू होती, उससे पहले ही विवाद शुरू हो गया है। आरोप लग रहे हैं कि सौदे के बाद टेंडर की शर्तों में बदलाव करके इन कंपनियों को बसों की आपूर्ति होने पर पहले दिन से ही इनके रखरखाव के लिए भुगतान किए जाने का प्रावधान किया गया है। प्रत्येक वर्ष इन कंपनियों को रखरखाव के नाम पर 350 करोड़ रुपये दिए जाएंगे, जबकि बस खरीद के टेंडर में कंपनी द्वारा तीन साल या 2.10 लाख किलोमीटर चलने तक रखरखाव करने की शर्त शामिल थी।
भाजपा विधायकों ने की थी शिकायत
गौरतलब है कि भाजपा विधायकों ने मार्च में एसीबी से शिकायत की थी। इस दौरान एसीबी ने दिल्ली सरकार के सतर्कता निदेशक को पत्र लिखकर जांच की अनुमति मांगी थी, लेकिन दिल्ली सरकार से अनुमति नहीं मिलने पर भाजपा के विधायक विजेंद्र गुप्ता ने उपराज्यपाल अनिल बैजल को पत्र लिखकर मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की थी। इस मामले पर दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत का कहना है कि भाजपा की शिकायत पर उपराज्यपाल ने जांच बैठा दी है। जब तक जांच कमेटी की रिपोर्ट नहीं आ जाती, हमने बसों की खरीद की प्रक्रिया रोक दी है।
टिप्पणियाँ