पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान खुद को दुनियाभर के मुसलमानों का रहनुमा मानते हैं, लेकिन चीन में उइगरों की स्थिति पर चुप रहते हैं। कहते हैं चीन के साथ पाकिस्तान का ‘आर्थिक और दास्ताना’ संबंध उन्हें बोलने से रोकता है।
दुनिया में कहीं भी मुसलमानों के साथ कोई मामूली हादसा भी हो जाए तो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान उसे इस्लाम पर खतरा बताते हुए मुसलमानों का रहनुमा बन कर बीच में कूद जाते हैं। चाहे भारत हो, कनाडा हो या फ्रांस हो, मुसलमानों को लेकर हर बार उन्होंने इस्लामोफोबिया राग अलापा है। लेकिन चीन अपने यहां उइगर मुसलमानों पर क्या-क्या अत्याचार करता है, इस पर कभी कुछ नहीं कहते, क्योंकि चीन ने न केवल पाकिस्तान के पैरों में आर्थिक बेडि़यां डाल रखी हैं, बल्कि इस देश के नुमाइंदों के मुंह पर ताला भी जड़ रखा है।
चीनी कर्ज के बोझ तले पाकिस्तान इतना दबा हुआ है कि वह चाह कर भी चीन के खिलाफ बोल नहीं सकता। पाकिस्तान डरता है कि चीन कहीं बुरा मान गया तो उसके लिए मुश्किल हो जाएगी। हाल ही में कनाडा में पाकिस्तानी मूल के एक परिवार के चार सदस्यों की हत्या पर इमरान खान ने कहा था कि इस घटना से पता चलता है कि पश्चिमी देशों में इस्लामोफोबिया का माहौल बढ़ता जा रहा है। उन्होंने घटना की कड़ शब्दों में निदा करते हुए ट्वीट किया था, कनाडा के ओंटारियो प्रांत में पाकिस्तानी मूल के एक मुस्लिम परिवार की हत्या से आहत हूं। इस आतंकी घटना से पश्चिमी देशों में बढ़ते इस्लामोफोबिया का पता चलता है, जिसके खिलाफ पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मिलकर लड़ने की जरूरत है।"
दो दिन पहले कनाडा की घटना पर सीबीसी न्यूज से साक्षात्कार में उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान में सभी लोग स्तब्ध हैं, क्योंकि हमने परिवार की तस्वीरें देखी हैं। परिवार के साथ हुए इस तरह के व्यवहार का पाकिस्तान पर गहरा प्रभाव पड़ा है।‘ लेकिन जब उनसे पूछा गया कि आप अन्य मुसलमानों के लिए बोलते हैं, तो उइगुर मुस्लिमों के बारे में कुछ क्यों नहीं कहते? इस पर उन्होंने चीन के साथ पाकिस्तान दोस्ताना और आर्थिक संबंध की दुहाई दी। उन्होंने कहा कि चीन के साथ हम जो भी मुद्दे उठाते हैं, वह हमेशा बंद दरवाजों के पीछे होता है। हम चीनी समाज का सम्मान करते हैं। चीन हमारा पड़ोसी है और उसके साथ हमारे आर्थिक संबंध भी हैं। हमारे सबसे कठिन दौर में उसका व्यवहार बहुत अच्छा रहा है। इसलिए हम इस तथ्य का सम्मान करते हैं।
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