आलोक गोस्वामी
कोकराझार में अभयाखूटी गांव में जनजातीय समुदाय की दो नाबालिग बच्चियों से बलात्कार के बाद, हत्या करके पेड़ से लटका दिए थे शव
मुख्यमंत्री के सख्त आदेश के बाद, फौरन हरकत में आते हुए असम पुलिस ने 15 जून को कोकराझार जिले में 12 जून को एक पेड़ से लटके पाए गए दो नाबालिग लड़कियों के शव के रहस्यमयी मामले को सुलझा लिया। दोनों लड़कियां एक ही परिवार की थीं। घटना की जानकारी मिलने के बाद मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा खुद 13 जून को कोकराझार जाकर आहत राभा जनजातीय समुदाय के परिवार से मिले थे और उन्हें दोषियों को जल्द से जल्द पकड़ने का भरोसा दिया था। इसके बाद पुलिस के आला अधिकारियों को आदेश दिया गया था कि दोषियों को फौरन गिरफ्तार किया जाए। पुलिस तेजी से हरकत में आई और तीन प्रमुख अपराधियों, मुजम्मिल शेख, नजीबुल शेख और फारुख रहमान को धर दबोचा। इन अपराधियों ने बलात्कार के बाद उन नाबालिग बच्चियों की हत्या की और डर का माहौल बनाने के लिए उनके शवों को पेड़ से टांग दिया था।
कोकराझार के आरक्षी अधीक्षक विजय कुमार ने कहा, "हमने इस मामले में सात आरोपियों को गिरफ्तार किया है। उनमें से तीन ने नाबालिगों के साथ बलात्कार किया था, और उन्हें मारने के बाद उनके शव पेड़ से लटका दिए थे। आरोपियों ने अपना अपराध कबूल कर लिया है। घटना के बाद विशेष जांच दल का गठन किया गया था। इस मामले को 72 घंटे के भीतर सुलझा लिया गया है।" असम के मुख्यमंत्री ने कहा कि इस घटना के आरोपियों की पहचान होने पर उन्हें संतुष्टि मिली है।
घटनाक्रम के अनुसार शनिवार, 12 जून को असम के कोकराझार जिले के एक दूरदराज गांव में 16 और 14 साल की दो नाबालिग लड़कियों के शव पेड़ से लटके मिले थे। रविवार, 13 जून को मुख्यमंत्री पीड़ित परिवार से मिलने गए थे और परिवार को न्याय दिलाने का आश्वासन दिया था। दोनों नाबालिग लड़कियां एक ही परिवार की थीं।
सरमा खुद 13 जून को कोकराझार जाकर आहत राभा जनजातीय समुदाय के परिवार से मिले थे और उन्हें दोषियों को जल्द से जल्द पकड़ने का भरोसा दिया था। इसके बाद पुलिस के आला अधिकारियों को आदेश दिया गया था कि दोषियों को फौरन गिरफ्तार किया जाए। पुलिस तेजी से हरकत में आई और तीन प्रमुख अपराधियों, मुजम्मिल शेख, नजीबुल शेख और फारुख रहमान को धर दबोचा।
यह बात किसी से छुपी नहीं है कि लोअर असम के कोकराझार, नौगांव और बरपेटा जिलों में बांग्लादेशी मुस्लिम बड़ी तादाद में बसे हुए हैं। राज्य में अनेक आपराधिक गतिविधियों में उनकी संलिप्तता पाई गई है। अन जिलों में उन्होंने बड़े पैमाने पर अवैध अतिक्रमण किया हुआ है। बताते हैं, बरपेटा के वैष्णव सत्र की काफी जमीन इन्हीं बांग्लादेशी घुसपैठियों ने दबाई हुई है। संतोष की बात है कि असम में हाल में मुख्यमंत्री बने हिमंत बिस्व सरमा इन तत्वों की असलियत के बारे में जानते हैं। इसीलिए पिछले दिनों एक बड़ा फैसला लेते हुए उन्होंने अवैध अतिक्रमण हटाने की मुहिम की शुरुआत की है। होजाई और दरांग जिलों में सैकड़ों बीघा जमीन इन घुसपैठियों और अन्य आपराधिक तत्वों के चंगुल से मुक्त कराई जा चुकी है। राज्य में अधिकांश अपराधों में बांग्लादेशी तत्वों का हाथ पाया जाता रहा है। वर्षों से ये स्थानीय मुस्लिम आबादी में घुल—मिल कर रहते आए हैं। असम में पिछले साल सीएए विरोधी प्रदर्शनों में इन तत्वों ने बड़े पैमाने पर हिंसा फैलाई थी।
कोकराझार की ताजा घटना के तीन आरोपियों को जल्द पकड़ने पर असम के लोग पुलिस की प्रशंसा कर रहे हैं। हिमंत बिस्व सरमा के मुख्यमंत्री बनने के बाद, उन्हें असम में एक सकारात्मक बदलाव आने की उम्मीद है।
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