केरल में एक नन से बलात्कार के आरोपी पूर्व बिशप फ्रैंको मुलक्कल के खिलाफ एक प्रदर्शन में भाग लेने के बाद लूसी कलाप्पुरा को चर्च से निकाल दिया गया था। लूसी ने निष्कासन के खिलाफ तीन बार वेटिकन सिटी से अपील की, पर हर बार उसे ठुकरा दिया गया।
बलात्कार के आरोपी बिशप फ्रेंको मुलक्कल के खिलाफ मोर्चा खोलना नन लूसी कलाप्पुरा को भारी पड़ गया। मुलक्कल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के बाद पहले उन्हें ‘अनुशासनात्मक आधार’ पर कॉन्वेंट से निकाला गया और अब वेटिकन की ओर से कॉन्वेंट खाली करने का फरमान जारी किया गया है। नन का कहना है कि उन्हें न्याय से वंचित किया जा रहा है, क्योंकि उन्होंने सच बोलने का साहस किया।
नन ने कहा कि वह चर्च की ‘भ्रष्ट प्रथाओं’ के खिलाफ लड़ाई जारी रखेगी। 55 वर्षीया नन ने आरोप लगाया कि बलात्कार के आरोपी फ्रेंको मुलक्कल की गिरफ्तारी की मांग करने के बाद उसे निशाना बनाया गया। केरल की एक नन ने जालंधर के एक पूर्व बिशप मुलक्कल पर बलात्कार का आरोप लगाया था। यह मामला सामने आने के बाद 2019 में लूसी को फ्रांसिस्कन क्लैरिस्ट कांग्रेगेशन (एफसीसी) से निष्कासित कर दिया गया था। केरल स्थित एफसीसी, जो कि कैथोलिक चर्च का हिस्सा है, के सुपीरियर जनरल के पत्र में यह दावा किया गया है कि निष्कासन नोटिस कैथोलिक चर्च के भीतर कानूनी मंचों द्वारा बर्खास्तगी के खिलाफ सिस्टर लूसी की याचिकाएं खारिज करने के बाद आया है। बता दें कि अपनी आत्मकथा 'कार्थविन्ते नमाथिल' में लूसी ने लिखा है कि कॉन्वेंट और पादरियों की शिक्षा संस्थाओं में यौन शोषण आम बात हैं। उसने यह भी दावा किया कि उसके साथ कम से कम चार बार यौन उत्पीड़न के प्रयास किए गए थे।
ऐसे समझें पूरा प्रकरण
केरल की एक नन ने अप्रैल 2018 में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि बिशप फ्रैंको मुलक्कल ने 2014 से 2016 के बीच 13 बार उसके साथ बलात्कार किया। जालंधर डायोसिस द्वारा कोट्टायम जिले में संचालित कॉन्वेंट में बिशप के दौरे के दौरान पहले एक अतिथि गृह में मुलक्कल ने उसके साथ बलात्कार किया, फिर बाद में कई बार अन्य मौकों पर। नन ने पहले चर्च के अधिकारियों से शिकायत की, लेकिन सुनवाई नहीं हुई तो वह पुलिस के पास गई। इसके बाद आरोपी बिशप फ्रैंको मुलक्कल के खिलाफ कोच्चि में एक विरोध प्रदर्शन हुआ, जिसमें पांच नन शामिल हुईं। कैथोलिक चर्च ने विरोध प्रदर्शन में शामिल होने वाली सभी ननों का तबादला कुराविलंगड़ स्थित मिशनरीज ऑफ जीसस कॉन्वेंट में कर दिया। उनमें एक नन लूसी कलाप्पुरा भी थीं, जिन्हें अगस्त 2019 में चर्च से निष्कासित कर दिया गया। बाद में वायनाड की एक अदालत ने आदेश जारी का नन को कॉन्वेंट से बेदखल करने पर रोक लगा दी थी।
वेटिकन ने नन की अपील नहीं सुनी
लूसी ने कॉन्वेंट से अपने निष्कासन के खिलाफ वेटिकन सिटी से तीन बार अपील की, लेकिन हर बार उनकी अपील को ठुकरा दिया गया। लूसी ने पहली अक्तूबर 2019 में पहली अपील की थी। इसके बाद पिछले साल मार्च में वेटिकन ने पांच महीने से भी कम समय में दूसरी बार उनकी अपील को खारिज कर दिया था। इसके बाद लूसी ने कहा था, "मैं कहीं नहीं जाऊंगी और कांग्रेगेशन में ही रहूंगी। अब फैसला अदालत पर छोड़ दिया है।" इसके बाद उन्होंने तीसरी बार अपील की थी, लेकिन उसे भी खारिज कर दिया गया।
फैसले को चुनौती देने का अधिकार नहीं
एफसीसी के पत्र में लिखा है, "कैथोलिक कानूनी प्रणाली के भीतर अपनी बर्खास्तगी को चुनौती देने के लिए आपके पास कोई और कानूनी उपाय उपलब्ध नहीं है। एफसीसी के सदस्य के रूप में जारी रखने का आपका अधिकार अब निश्चित रूप से और अपरिवर्तनीय रूप से समाप्त हो गया है। अब से किसी भी फ्रांसिस्कन क्लैरिस्ट कॉन्वेंट (एफसीसी) में रहना आपके लिए गैरकानूनी है।" एफसीसी के सुपीरियर जनरल सर एन जोसेफ ने लिखा, "आखिरकार, समय की पूर्णता में पवित्र त्रिमूर्ति की योजना के अनुसार सर्वशक्तिमान ईश्वर ने लूसी कलाप्पुरा से संबंधित दिल तोड़ देने वाले मामले की गांठ खोल दी। लूसी कलाप्पुरा की अपील को अपोस्टोलिका सिग्नेचुरा ने खारिज कर दिया और बर्खास्तगी की पुष्टि हो गई। आइए हम सर्वशक्तिमान के अकथनीय उपहार का खुले हृदय से प्रशंसा करें।"
एफसीसी पर नन के आरोप
लूसी को अगस्त 2019 में "एफसीसी कानूनों के उल्लंघन पर अपनी जीवनशैली को लेकर संतोषजनक स्पष्टीकरण देने में विफल" रहने के आरोप में कॉन्वेंट से निष्कासित किया गया था। एफसीसी कानूनों के उल्लंघन में लूसी का मुलक्कल के खिलाफ प्रदर्शन में भाग लेना, कार खरीदना और चलाना, किताब प्रकाशित करना और पारिश्रमिक अर्जित करना शामिल था। एफसीसी ने कहा था कि उन्हें ‘मतवैधानिक चेतावनी’ जारी की गईं, लेकिन उन्हें इसका पछतावा नहीं था। हालांकि नन ने कहा है कि उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई केवल इसलिए शुरू की गई, क्योंकि उन्होंने मुलक्कल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया था। इससे पहले जब उन्हें कॉन्वेंट से निकाला गया था, तब लूसी ने कहा था, "मुझे बहुत डर लग रहा है… वे मुझे धीरे-धीरे मार रहे हैं। मेरी सारी खुशियां छीनने की कोशिश कर रहे हैं।"
सच बोलने की सजा मिली
लूसी ने मीडिया से कहा, "एक व्यक्ति को इस तरह न्याय से वंचित नहीं किया जा सकता है। न्याय से इनकार किया जा रहा है, क्योंकि मैंने सच कहा है। ये लोग जो न्याय से इनकार कर रहे हैं, वही लोग हैं, जो सिखाते हैं कि सच बोलना चाहिए। लोग मेरे साथ हैं।" नन ने कहा कि निष्कासन को लेकर 12 जून को उन्हें वेटिकन से सूचना मिली। इसके बाद एफसीसी की मदर सुपीरियर ने भी उन्हें एक नोटिस भेजा, जिसमें उनसे कॉन्वेंट का कमरा खाली करने को कहा गया और फिर 13 जून को पत्र जारी किया गया। करीब दो साल पहले केरल उच्च न्यायालय ने सिस्टर लूसी को सुरक्षा मुहैया कराई थी।
लातिन में है निष्कासन का पत्र
लूसी ने कहा कि वेटिकन द्वारा भेजा गया पत्र लातिन भाषा में है, लेकिन कवरिंग लेटर में निर्णय की व्याख्या की गई है। पत्र के अनुवाद के बाद ही पूरा ब्योरा उपलब्ध होगा। साथ ही, कहा, "यह पत्र 2020 का है। चर्च के कानूनों में नाबालिगों के साथ दुर्व्यवहार, कमजोर वयस्कों और धोखाधड़ी को लेकर हालिया संशोधन से हमारी आशा बंधी थी, लेकिन लगता है कि प्रमुख पोप तक स्पष्ट तस्वीर नहीं पहुंच रही है।"
क्या यही ईसाइयत है?
एसोसिएशन और कंसर्नड कैथोलिक्स के सदस्य और वकील ए.एम सोड्डर ने कहा, "यह भारत में कैथोलिक चर्च के लिए एक दुखद दिन है। क्या यही ईसाइयत है? सुपीरियर जनरल सिस्टर लूसी की बर्खास्तगी पर खुशी मना रहे हैं। यदि ऐसे लोग नन न हों तो बेहतर है कि भूल जाएं कि सुपीरियर जनरल भी होते हैं। दूसरा, वेटिकन ने पत्र उस भाषा में क्यों नहीं लिखा है जिसे व्यक्ति समझता है और पत्र भी जारी होने के एक साल बाद क्यों पहुंचा?"
कौन है फ्रैंको मुलक्कल
फ्रैंको मुलक्कल कैथोलिक चर्च से जुड़ा हुआ है। वह जालंधर स्थित रोमन कैथोलिक डायोसीस का पूर्व पादरी है। आरोप है कि उसने 2014 और 2016 के बीच एक नन से 13 बार बलात्कार किया। साथ ही, उस पर गलत तरीके से प्रसव कराने, अप्राकृतिक अपराध और धमकाने के भी आरोप हैं। हालांकि उसने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया है। अप्रैल 2019 में केरल पुलिस की विशेष जांच टीम ने उसके खिलाफ कोट्टायम के पाला में एक मजिस्ट्रेट अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया था। इसके बाद उसे 21 सितंबर 2019 को गिरफ्तार किया गया, लेकिन 15 अक्तूबर को उसे अदालत से सशर्त जमानत मिल गई थी।
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