प. बंगाल हिंसा: सामूहिक दुष्कर्म की दो पीड़िताओं ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा
बंगाल में मतगणना के बाद से जारी हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। ऐसा कोई दिन नहीं होता जब राज्य के विभिन्न इलाकों से तृणमूल कांग्रेस और जिहादी तत्वों की अराजकता की खबरें न आती हों। इस दौरान अराजक तत्वों ने सैकड़ों महिलाओं पर न केवल अत्याचार ढहाए बल्कि सामूहिक दुष्कर्म जैसी घिनौनी वारदात तक को अंजाम दिया है। ऐसे में अब सामूहिक दुष्कर्म की दो पीड़िताओं ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है
पश्चिम बंगाल में मतगणना के बाद से जारी हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। ऐसा कोई दिन नहीं होता जब राज्य के विभिन्न इलाकों से तृणमूल कांग्रेस और जिहादी तत्वों की अराजकता की खबरें न आती हों। इस दौरान इन अराजक तत्वों ने सैकड़ों महिलाओं पर न केवल अत्याचार ढहाए बल्कि सामूहिक दुष्कर्म जैसी घिनौनी वारदात तक को अंजाम दिया है। ऐसी दर्जनों पीड़िता हैं, जो न्याय के लिए दर—दर भटक रही हैं पर राज्य के प्रशासन से उन्हें न्याय नहीं मिल पा रहा। स्थानीय लोगों की मानें तो एक बड़ी संख्या ऐसी महिलाओं की है, जो गुंडों और जिहादी तत्वों के डर से अपने ऊपर हुए अत्याचार को बताने के लिए तैयार नहीं हैं और जुल्म सहे जा रही हैं। राज्य की मुख्यमंत्री एक महिला होने के बाद भी इन पीड़ित महिलाओं के दुख—दर्द को सुनने के लिए तैयार नहीं हैं, बोलना तो दूर की बात। यही वजह है कि राज्य के अराजक तत्वों के हौसले बुलंद हैं।
ऐसे में कहीं न्याय न मिलता देख सामूहिक दुष्कर्म की दो पीड़िताओं ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इन पीड़िताओं में एक 17 वर्ष की नाबालिग है और दूसरी 60 वर्ष की बुजुर्ग। अपने साथ हुई हैवानियत का ब्योरा देते हुए पीड़िताओं ने न्यायालय से बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा के लंबित मामले में पक्षकार बनाए जाने और उनके मामलों की जांच एसआइटी या किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराने की मांग की है। एक अर्जी में मामले का ट्रायल राज्य से बाहर स्थानांतरित करने की भी मांग है।
पीड़िताओं ने अर्जी में क्या कहा
सामूहिक दुष्कर्म की शिकार 60 वर्षीय महिला ने अर्जी में कहा कि चार-पांच मई, 2021 की रात को सत्ताधारी दल टीएमसी के समर्थकों ने उनके घर पर हमला किया। इस दौरान छह वर्षीय पोते के सामने पांच लोगों ने मेरे साथ दुष्कर्म किया। पुलिस द्वारा मामले में सहयोग नहीं करने का भी आरोप अर्जी में लगाया गया है। दूसरी अर्जी में 17 वर्षीय नाबालिग ने कहा कि वह नौ मई, 2021 को नजदीकी गांव में रहने वाली अपनी दादी से मिलकर सहेली के साथ लौट रही थी। उसे चार लड़कों ने रोक लिया और कहा कि अब इसे भाजपा का समर्थन करने का सबक सिखाएंगे। हमलावरों ने उसे जंगल में ले जाकर सामूहिक दुष्कर्म किया। पीड़िता ने कहा है कि वह अनुसूचित जाति की है। दोनों अर्जियों में पीड़िताओं ने स्वयं और परिवार की सुरक्षा की मांग की है। नाबालिग पीड़िता ने मुकदमे का ट्रायल बंगाल से बाहर स्थानांतरित करने की मांग भी की है।
गौरतलब है कि बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा के मामले की सुप्रीम कोर्ट पहले से ही सुनवाई कर रहा है। बता दें कि मतदान के बाद टीएमसी गुंडों द्वारा हिंसा में मारे गए दो भाजपा कार्यकर्ताओं के परिजनों की सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं लंबित हैं। इन पर कोर्ट पहले ही बंगाल सरकार को नोटिस जारी कर चुका है।
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