विदेश/जी7: बौखलाए चीन ने कहा, नहीं चलेगी कुछ देशों की थानेदारी
ब्रिटेन में 13 जून को खत्म हुई जी7 शिखर वार्ता में कोरोना की उत्पत्ति को लेकर एक बार फिर चीन को कठघरे में किया गया खड़ा। शी जिनपिन का चढ़ा पारा
ब्रिटेन में कोर्नवाल में समुद्र किनारे 11 से 13 जून तक चली जी7 देशों की तीन दिन की 47वीं बैठक में चर्चा में आए मुद्दों और समाधान से चीन बौखलाया हुआ है। कारण? एक तो वह इस महत्वपूर्ण समूह का सदस्य नहीं है, लिहाजा उसे इसमें बुलाया नहीं गया, पर उसकी चिढ़ एक तो इसी बात से है कि फिर भारत के प्रधानमंत्री को दो दिन इस बैठक में शामिल क्यों किया गया? बैठक में कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर हुआ मंथन और उसमें चीन का संदर्भ चीन के चिढ़ने की दूसरी बड़ी वजह बताई जा रही है।
मेजबान ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जानसन, अमेरिका के राष्ट्पति बाइडेन, फ्रांस के राष्ट्पति इतानुएल मैक्रां, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन त्रूदो, जर्मनी की चांसलर एंजिला मार्केल, जापान के प्रधानमंत्री सुगा और इटली के प्रधानमंत्री मारियो द्रगी के साथ ही यूरोपीय संघ के दो प्रतिनिधि, भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, आस्टे्लिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मोरिसन, दक्षिण कोरिया के राष्ट्पति मून जे—इन और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्पति सिरिल रामाफोसा के बीच तीन दिन में अनेक मुद्दों पर चर्चा हुई।
बाइडेन ने घेरा चीन को
आज दुनिया जिस महामारी से जूझ रही है उस कोरोना वायरस पर चर्चा में अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने कड़े शब्दों का प्रयोग करते हुए कहा कि चीन को इसकी जिम्मेदारी
लेनी ही होगी। उल्लेखनीय है कि बाइडेन में अपने गुप्तचर तंत्र को इस वायीरस की उत्पत्ति का पता लगाने को 90 दिन का वक्त दिया हुआ है। उनका ही नहीं, दुनिया के ज्यादातर विशेषज्ञ, वैज्ञानिक, चिकित्सक, राजनेता मानते हैं कि बहुत संभव है यह वायरस चीन के कथित जैविक हथियार के परीक्षण के तौर पर वुहान लैब से छोड़ा गया हो। जी7 बैठक में बाइडेन ने चीन को साफ शब्दों में चेतावनी दी है कि वह वुहान लैब से जुड़ी हर जानकारी दे।
पिछले साल चीन से आकर अमेरिका में शरण लेने वाली डॉ. वांग ने एक साक्षात्कार में साफ कहा है कि वुहान लैब में वायरस तैयार करने के संकेत हैं। लेकिन अब दुनिया के सात ताकतवर देश भी एक साथ आकर चीन से स्पष्ट जवाब चाहते हैं। इन देशों ने चीन को उसकी ज़िम्मेदारी याद दिलाई और उसे सच को स्वीकार करने की सलाह दी है।
बैठक में चीन पर उठी उंगलियों के जवाब में लंदन स्थित चीनी दूतावास के प्रवक्ता ने कहा कि वह समय नहीं रहा जब कुछ देशों के छोटे समूह वैश्विक फैसले लिया करते थे। विभिन्न मोर्चों पर अपने को घिरता देखकर चीन बेशक, बौखलाहट में पलटवार करने की कोशिश में है। दूसरा अहम मुद्दा है उइगर। अमेरिका ने लोकतांत्रिक देशों पर बंधुआ मजदूरी प्रथाओं को लेकर चीन के बहिष्कार का दबाव बनाने की योजना तैयार की है।
जी7 में कोरोना वायरस पर चीन को घेरा जाएगा, इसका अंदेशा चीन को शायद पहले से था और शायद इसी लिए चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने तीखे तेवर वाले कुछ आलेख प्रकाशित भी किए थे। कारण यह कि इससे पहले भी बाइडेन के शीर्ष चिकित्सा सलाहकार एंथनी फॉसी ने चीन से वुहान की लैब में काम करने वाले तीन लोगों का मेडिकल रिकॉर्ड सार्वजनिक करने को कहा था। अमेरिकी स्वास्थ्य मंत्री जेवियर बेरेका ने तो साफ-साफ कहा था कि चीनी लैब से ही कोरोना लीक हुआ है। उन्होंने मांग की थी कि जांच का पर्यवेक्षक ताइवान को बनाया जाना चाहिए।
बहरहाल, जैसी आशंका थी, ब्रिटेन में हुई जी7 बैठक के बाद बौखलाए चीन ने आक्रामक बयान देने शुरू कर दिए। बैठक में चीन पर उठी उंगलियों के जवाब में लंदन स्थित चीनी दूतावास के प्रवक्ता ने कहा कि वह समय नहीं रहा जब कुछ देशों के छोटे समूह वैश्विक फैसले लिया करते थे। विभिन्न मोर्चों पर अपने को घिरता देखकर चीन बेशक, बौखलाहट में पलटवार करने की कोशिश में है। लेकिन क्या वह इसमें सफल हो पाएगा?
दूसरा अहम मुद्दा है उइगर। 13 जून को अमेरिका ने लोकतांत्रिक देशों पर बंधुआ मजदूरी प्रथाओं को लेकर चीन के बहिष्कार का दबाव बनाने की योजना तैयार की। आज दुनिया जान गई है कि मानवाधिकारों को किस तरह धज्जियां उड़ा रहा है चीन। वह उइगरों की कैसी दुगर्ति कर रहा है। अमेरिका का स्पष्ट कहना है कि जी7 देशों के नेता उइगर मुस्लिमों व अन्य अल्पसंख्यकों से जबरिया मजदूरी कराने के खिलाफ मिलकर आवाज उठाएं। लेकिन एक अड़चन है। कुछ देश चीन से रिश्ते बिगाड़ना नहीं चाहते। और चीन यह बात जानता है।
ब्रिटेन यह भी चाहता है कि दुनिया के लोकतांत्रिक देश आर्थिक शक्ति बनते जा रहे चीन पर निर्भरता कम करें। ब्रिटिश सरकार चाहती है, मूल्यों के समर्थन में एक वैश्विक प्रणाली को आकार दिया जाए। यूरोपीय देश तकनीकी सुरक्षा के बारे में चीन की और जांच के पक्ष में हैं। गत मार्च में यूरोपीय संघ ने सिंक्यांग में मानवाधिकार हनन में शामिल चार चीनी अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाया था।
चीन में सियासी सरगर्मियां बढ़ीं
जी7 में चीन की जवाबदारी पर एक राय बनती देखकर कम्युनिस्ट देश के नेता और अधिकारी अब कोरोना वायरस की नए सिरे से जांच कराए जाने के दबाव की हवा निकालने की जुगत भिड़ाने की कोशिश में हैं। वुहान लैब पर अमेरिका के बढ़ते दबाव के बीच चीन ने, खबर है कि, अपनी संवेदनशील फाइलों और डाटा को छुपा दिया है। डॉ. वांग इस बारे में पहले ही खुलासा कर चुकी हैं। विशेषज्ञों को यह भी मानना है कि चीन एक बार फिर डब्ल्यूएचओ की टीम द्वारा की गई 'कॉस्मेटिक जांच' के लिए राजी हो सकता है। लेकिन ऐसा मानने वाले भी कम नहीं हैं कि उस जांच में भी बहुत कुछ हासिल होने की उम्मीद नहीं है। खुद को आजीवन देश का सर्वोच्च नेता बना चुके राष्ट्पति शी जिनपिन सियासी गोटियां बैठाने में लग चुके हैं। संभव के वे कुछ देशों की लॉबी बनवाकर नई जांच के रास्ते में अड़चनें डलवाएं। लेकिन यह तो पक्का है कि जी7 में चीन को कठघरे में खड़े किए जाने से शी का पारा सातवें आसमान पर है।
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