फ्रांस में हिजाब को लेकर विवाद फिर से बढ़ रहा है। इसे लेकर राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों कट्टरपंथियों और सेकुलरों के निशाने पर हैं।
फ्रांस में हिजाब को लेकर विवाद फिर से बढ़ रहा है। इसे लेकर राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों कट्टरपंथियों और सेकुलरों के निशाने पर हैं। ताजा विवाद स्थानीय निकाय चुनाव से जुड़ा है। सेकुलर और कट्टरपंथी मुस्लिम महिलाओं से सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा समर्थन वापसी के फैसले को मुस्लिम विरोधी करार दे रहे हैं। इसे लेकर सोशल मीडिया पर लोग मैक्रों की आलोचना कर रहे हैं।
फ्रांस में स्थानीय चुनाव होने हैं। मैक्रों की पार्टी ला रिपब्लिक एन मार्च ने बीते माह पार्षद के लिए चुनाव में कुछ मुस्लिम महिलाओं को उम्मीदवार बनाया। लेकिन मुस्लिम महिलाएं हिजाब पहन कर चुनाव प्रचार करने लगीं तो पार्टी ने उनसे समर्थन वापस ले लिया तो उन्होंने हिजाब को मुद्दा बना दिया। मैक्रों की पार्टी ने इन महिलाओं से बीते महीने ही समर्थन वापस लिया था। पार्टी ने इसके पीछे कुछ कारण भी गिनाए थे। सत्तारूढ़ पार्टी का कहना है कि उसने पहले ही कह दिया था कि चुनाव प्रचार के दौरान मजहबी प्रतीकों के प्रयोग की छूट नहीं दी जाएगी। इसके बावजूद जेमाही और तीन अन्य महिलाओं ने हिजाब पहन कर चुनाव प्रचार किया। इसलिए पार्टी ने उनसे समर्थन वापस ले लिया।
कौन है सारा जेमाही?
26 वर्षीया सारा जेमाही एक लैब तकनीशियन है। वह तीन अन्य महिलाओं के साथ उसे फ्रांस के दक्षिणी शहर मॉंटपेलियर से पार्षद चुनाव के लिए प्रत्याशी बनाया गया था, लेकिन सभी निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं। यह शहर मुस्लिम बहुल है। जेमाही का कहना है कि वह अपने अधिकार के लिए लड़ती रहेगी। उसने नारा दिया है, ‘‘अलग, लेकिन आपके लिए एकजुट।’’ उसका कहना है कि वह समान अवसरों को बढावा देने और भेदभाव के खिलाफ लड़ने पर ध्यान केंद्रित करना चाहती है।
2010 से हिजाब पर पाबंदी
फ्रांस के स्कूलों में धार्मिक प्रतीक पहनने पर 2004 से ही प्रतिबंध लागू है। इसमें हिजाब और क्रॉस भी शामिल है। 2010 में सरकार ने सार्वजनिक स्थलों पर हिजाब और बुर्का पहनने पर पाबंदी लगा दी थी। पैगंबर मुहम्मद के कार्टून विवाद के बाद से फ्रांस में मजहबी उन्माद भड़का। एक शिक्षक की निर्मम हत्या के बाद से कट्टरपंथी लगातार हंगामा कर रहे हैं।
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