पाञ्चजन्य ब्यूरो
पंडित माधवराव सप्रे की 150वीं जयंती के अवसर पर देशभर में कार्यक्रमों का प्रारंभ 19 जून से होगा। आयोजक इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र तथा भारतीय जनसंचार संस्थान इस कड़ी में पहला कार्यक्रम उनके जन्मस्थान मध्य प्रदेश के दमोह जिले में करेंगे। इस कड़ी में एक वेबिनार और एक पत्रिका का विमोचन भी किया जाएगा।
नई दिल्ली। प्रखर चिंतक, साहित्यकार, पत्रकार, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और लोकमान्य तिलक के विचारों को हिंदी जगत में व्यापकता देने वाले पंडित माधवराव सप्रे की 150वीं जयंती पर 19 जून से उनकी स्मृति में कार्यक्रमों की एक श्रृंखला आयोजित की जाएगी। इसके अंतर्गत इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र तथा भारतीय जनसंचार संस्थान द्वारा पूरे देश में कई महत्वपूर्ण कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।
इस कड़ी में पहला कार्यक्रम सप्रे जी के जन्म स्थान दमोह (म.प्र.) जिले के पथरिया गांव में 19 जून को आयोजित होगा। समारोह में भारत के संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री प्रहलाद सिंह पटेल तथा सप्रे संग्रहालय, भोपाल के संस्थापक पद्मश्री विजयदत्त श्रीधर विशेष रूप से उपस्थित रहेंगे। इस अवसर पर सप्रे जी के अवदान पर केंद्रित एक प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी।
19 जून को ही ‘‘माधवराव सप्रे और राष्ट्रीय पुनर्जागरण’’ विषय पर एक वेबिनार का आयोजन किया जाएगा। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार एवं इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष श्री पद्मश्री रामबहादुर राय करेंगे। वेबिनार में वरिष्ठ पत्रकार श्री आलोक मेहता, श्री जगदीश उपासने, श्री विश्वनाथ सचदेव, इंदिरा गांधी कला केंद्र के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी, भारतीय जन संचार संस्थान के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी एवं माधवराव सप्रे जी के पौत्र डॉ. अशोक सप्रे भी अपने विचार व्यक्त करेंगे।
इस अवसर पर महत्वपूर्ण वैचारिक पत्रिका ‘‘मीडिया विमर्श’’ के माधवराव सप्रे जी पर केंद्रित विशेषांक का लोकार्पण किया जायेगा। पत्रिका का संपादन डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने किया है। सप्रे जी की 150 जयंती पर रायपुर, भोपाल, वाराणसी, चेन्नई, नागपुर सहित देश के विभिन्न शहरों में कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे। इस श्रृंखला में एक भव्य कार्यक्रम अगले वर्ष 23 अप्रैल को नई दिल्ली में आयोजित होगा।
19 जून,1871 को मध्यप्रदेश के जिले दमोह के पथरिया में जन्मे सप्रे जी एक बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। आज के मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र तीन राज्य उनकी पत्रकारीय और साहित्यिक यात्रा के केंद्र रहे। छत्तीसगढ़ मित्र, हिंदी केसरी के माध्यम से पत्रकारिता में किया गया उनका कार्य अविस्मरणीय है।
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