सरकार ने कोरोना वैक्सीन की बर्बादी, इसके उपयोग और टीकाकरण के निगरानी की व्यवस्था की है। इलेक्ट्रॉनिक वैक्सीन इंटेलिजेंस नेटवर्क के जरिए यह काम किया जा रहा है।
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कोरोना टीकाकरण अभियान की कमान अपने हाथ में लेने के बाद केंद्र सरकार वैक्सीन के उपयोग, बर्बादी और टीकाकरण पर नजर रख रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि भारत एक डिजिटल प्लेटफॉर्म इलेक्ट्रॉनिक वैक्सीन इंटेलिजेंस नेटवर्क (eVIN) प्रणाली का उपयोग कर रहा है, जो टीकों को ट्रैक करता है। यह वास्तविक समय की सुविधा प्रदान करता है, जिसमें राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर तक 29,000 कोल्ड चेन बिंदुओं पर भंडारण तापमान की निगरानी भी शामिल है।
मंत्रालय द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि इलेक्ट्रॉनिक वैक्सीन इंटेलिजेंस नेटवर्क प्रणाली कोविड-19 वैक्सीन इंटेलिजेंस नेटवर्क (CoVIN) का हिस्सा है। वैक्सीन की बर्बादी में किसी भी तरह की कमी का मतलब है और अधिक लोगों को टीका लगाना और कोरोना के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करना। वैक्सीन की हर खुराक की बचत का मतलब है एक और व्यक्ति का टीकाकरण। इनबिल्ट इलेक्ट्रॉनिक वैक्सीन इंटेलिजेंस नेटवर्क प्रणाली के साथ कोविन के उपयोग से न केवल लाभार्थियों का पंजीकरण किया जाता है, बल्कि टीकों की भी निगरानी होती है। कोरोना महामारी को समाप्त करने के लिए सुरक्षित और प्रभावी टीकों तक समान पहुंच महत्वपूर्ण है। वैक्सीन को विकसित करने में बहुत समय लगता है और कई बार टीकों की मांग आपूर्ति से अधिक हो जाती है। इसलिए निगरानी के साथ यह भी सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि इस बहुमूल्य उपकरण का बेहतर और विवेकपूर्ण उपयोग किया जाए।
मंत्रालय ने कहा कि कोरोना वैक्सीन सार्वजनिक स्वास्थ्य की एक अनिवार्य वस्तु है, इसलिए इसकी बर्बादी कम हो या इसे न्यूनतम रखा जाए। इससे आगे कई लोगों के टीकाकरण में मदद मिलेगी। वर्तमान में इस्तेमाल किए जा रहे टीकों में 'ओपन वायल पॉलिसी' नहीं है, यानी शीशी खोलने के बाद इसे एक निर्धारित समय के भीतर इस्तेमाल करना होता है। इसलिए टीका लगाने वालों को सलाह दी जाती है कि वे प्रत्येक शीशी को खोलने की तारीख और समय को चिह्नित करें और टीके की शीशियों को खोलने के 4 घंटे के भीतर उपयोग करें।
मंत्रालय ने बताया कि कई राज्यों ने इस तरह से टीकाकरण का आयोजन किया है जिससे बर्बादी भी नहीं होती और वे शीशी से अधिक खुराक निकालने में भी सक्षम हैं। इसलिए, यह उम्मीद करना बिल्कुल भी अनुचित नहीं है कि टीके की बर्बादी 1 प्रतिशत या उससे कम होनी चाहिए। यह उचित, वांछनीय और प्राप्त करने योग्य है।
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