हांगकांग की तरह, ताइवान को निगलने की मंशा पाले चीन को जापान के प्रधानमंत्री का ताइवान को 'देश' बताना नहीं आया रास
प्रधानमंत्री सुगा बाएं और चीन के राष्ट्पति शी जिनपिन दाएं
दूसरे देशों की सीमाओं को हड़पने की फिराक में रहने वाले विस्तारवादी चीन का दोगलापन एक बार फिर सामने आया है। दुनिया को त्रस्त करने वाले कोरोना वायरस के कथित सर्जक चीन जापानी प्रधानमंत्री द्वारा ताइवान को 'देश' कहने पर बुरी तरह बौखलाया हुआ है। ताइवान को हांगकांग की तीह निगलने की साजिशें रच रहे चीन को उसे एक देश बताना नागवार गुजरा है। उसका कहना है, "जापानी नेता कई बार ताइवान का एक देश के नाते उल्लेख करते रहे हैं। जापान के इस रवैये से चीन बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं है। इस तरह की बात फिर कभी नहीं होनी चाहिए।"
जापानी प्रधानमंत्री योशीहिदे सुगा ने 9 जून को अपने भाषण में ताइवान को एक देश कहकर संबोधित किया था। मीडिया की रपट की मानें तो प्रधानमंत्री सुगा विपक्षी नेताओं के साथ संसदीय बहस में पहली बार मुखातिब हुए थे। उन्होंने अपने वक्तव्य के दौरान न्यूजीलैंड, आस्टे्लिया और ताइवान का नाम लिया। उन्होंने कहा, “ये तीन देश ऐसे हैं जो कोरोना वायरस की महामारी की रोकथाम के लिए निजी अधिकारों पर कड़े प्रतिबंध लगा रहे हैं।”
आमतौर पर जापान में ताइवान को एक 'क्षेत्र' माना और कहा जाता है। उधर चीन ताइवान को अपना ही 'अभिन्न हिस्सा' बताता है। ऐसे में चीन ने ताइवान को एक देश के रूप में बताने पर जापान के सामने कड़ा विरोध दर्ज कराया। एक तरह से चीन ने जापान को चेतावनी भी दी है। उल्लेखनीय है कि चीन की दक्षिण चीन सागर में अमेरिका और जापान से तनातनी चलती आ रही है। वहां वह अपनी थानेदारी दिखाता आ रहा है।
जापानी प्रधानमंत्री योशीहिदे सुगा ने 9 जून को संसद में अपने वक्तव्य में ताइवान को एक देश कहा था। उन्होंने कहा, न्यूजीलैंड, आस्टे्लिया और ताइवान जैसे देश कोरोना वायरस की महामारी की रोकथाम के लिए निजी अधिकारों पर कड़े प्रतिबंध लगा रहे हैं।” आमतौर पर जापान में ताइवान को एक 'क्षेत्र' माना और कहा जाता है। लेकिन चीन ताइवान को अपना ही 'अभिन्न हिस्सा' बताता है। इसीलिए चीन ने ताइवान को 'देश' कहने पर जापान से कड़ा विरोध दर्ज कराया है।
प्राप्त खबरों के अनुसार, 10 जून को बीजिंग में एक पत्रकार वार्ता के दौरान चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन से प्रधानमंत्री सुगा के ताइवान पर उल्लेख से जुड़ा सवाल पूछा गया था। इसके जवाब में वांग का कहना था, “जापान के नेता कई मौकों पर ताइवान को एक देश के रूप में उल्लेख करते हैं।” वांग ने कहा कि जापान ने 'स्व-शासित ताइवान' को एक देश बताकर अपनी वायदा तोड़ा है। वांग का यह भी कहना था कि जापान के इस रवैये से चीन जरा भी संतुष्ट नहीं है। उन्होंने जापान से यह साफ बोलने को कहा है कि 'इस तरह की घटना फिर कभी न हो'। चीन के अधिकारी ने जापान से कहा कि वे अपने वादों का सम्मान करें, अपने बोलने और कामों में सावधान रहें। वे ऐसा कुछ न बोलें जिससे चीन की 'संप्रभुता' आहत हो।
वांग फिर से जताया कि ताइवान चीन क्षेत्र का अभिन्न अंग है। जबकि असलियत यह है कि दोनों देश 70 से ज्यादा साल से अलग-अलग शासन में चलते आ रहे हैं। इसके बाद भी विस्तारवादी चीन ताइवान पर 'संप्रभुता' जताता है। चीन न सिर्फ ताइवान पर, बल्कि् हांगकांग में भी खुलकर दखल दे रहा है। लेकिन हांगकांग के बरअक्स ताइवान की सरकार कहीं ज्यादा स्वाभिमानी और राजनीतिक रूप से ताकतवर है। उसने कई बार चीन की हेकड़ियों के सामने मजबूती दिखाई है।
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