यह बहुत ही आश्चर्य की बात है कि दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद आईएसआईएस आतंकवादी राशिद जफर के पास मोबाइल पहुंच जाता है। उस मोबाइल से वह बाहर बात भी करता है और वीडियो भी बना लेता है। अब उसके एक वीडियो पर तिहाड़ से लेकर अदालत तक हंगामा हो रहा है
ऐसा लगता है कि देश में आतंकवादियों के प्रति सहानुभूति पैदा करने के लिए एक वर्ग सक्रिय हो गया है। शायद इस वर्ग ने दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद संदिग्ध आतंकवादी राशिद जफर को बचाने का ठेका ले लिया है। यह भी कहा जा रहा है कि इस वर्ग की मदद से ही उस आतंकवादी ने जेल के अंदर अपने पर हमले की साजिश रची। उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले ही आतंकवादी जफर का एक वीडियो वायरल हुआ है। इसमें वह कह रहा है कि जेल में दूसरे कैदियों ने उसके साथ मारपीट की और जबरन 'जय श्रीराम' का नारा लगाने को कहा। उसके इस आरोप पर तिहाड़ प्रशासन ने कहा है कि खुद राशिद ने अपने को चोट पहुंचाकर वीडियो बनाया है।
ज्यादातर लोग तिहाड़ प्रशासन की बात पर भरोसा भी कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि इधर कुछ दिनों से ऐसी बहुत सारी घटनाएं हुई हैं, जिनमें आरोप लगाया है कि मारपीट करने वालों ने जबरन जय श्रीराम बोलने को कहा। जब ऐसे मामलों की जांच हुई तो सभी फर्जी निकले। इसलिए लोग सवाल उठा रहे हैं कि जिस आतंकवादी को कुछ कैदी मार रहे हों, वह वीडियो कैसे बना सकता है! यह भी सवाल उठता है कि उसके पास मोबाइल कैसे पहुंचा!
अब उस आतंकवादी के साथ हुई कथित मारपीट का मामला अदालत पहुंच गया है। पटियाला हाउस कोर्ट स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रवीण सिंह की अदालत ने उस आतंकवादी के वकील एम.एस. खान और कौसर खान द्वारा दायर याचिका पर संज्ञान लिया है। न्यायालय ने पहले इस घटना को लेकर जेल प्रशासन की राय जानने की इच्छा व्यक्त की है। इसके बाद ही इस पर आगे की सुनवाई होगी। वकीलों का कहना है कि मारपीट का वीडियो राशिद के अब्बा को मिला। इसके बाद ही यह मामला अदालत पहुंचा है।
आतंकवादी राशिद पर फिदायिन हमला और बम विस्फोट करने के लिए साजिश रचने का आरोप है। वह 2018 से ही जेल में बंद है।
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