इन दिनों कोरोना के कारण देह व्यापार से जुड़ीं महिलाओं के सामने भुखमरी की समस्या पैदा हो गई है। कुछ कारणवश ये महिलाएं सरकारी मदद नहीं ले पाती हैं। इसलिए कई घरों में चूल्हा तक नहीं जल पाता है। इन महिलाओं की मदद के लिए दिल्ली सेवा भारती के कार्यकर्ता आगे आए हैं।
इस कोरोना काल में दिल्ली, मुम्बई जैसे शहरों में देह व्यापार से जुड़ीं महिलाएं अनेक तरह की समस्याओं का सामना कर रही हैं। सबसे बड़ी समस्या है पैसे की। चूंकि इन दिनों उनके पास न के बराबर ग्राहक आते हैं, इसलिए कई घरों में चूल्हा तक नहीं जल रहा है। ऐसे में गत दिनों दिल्ली सेवा भारती ने रेडलाइट एरिया जीबी रोड पर रहने वाली इन महिलाओं के बीच राहत सामग्री का वितरण किया। सामग्री वितरण करते समय यह भी पता चला कि इन महिलाओं के पास तो गैस भरवाने के लिए भी पैसे नहीं हैं। इसके बाद सेवा भारती के कार्यकर्ता 50 बड़े और 100 छोटे सिलेंडर लेकर वहां पहुंचे और उनके बीच बांटा। मदद के दौरान जब कार्यकर्ताओं ने उन महिलाओं को बहनी जी के नाम से संबोधित किया, तो वे बहुत ही भावुक हो गईं।
समतोल फाउंडेशन की नई पहल
वहीं मुम्बई में देह व्यापार से जुड़ीं महिलाओं के बच्चों को स्वावलंबी बनाने के लिए सामाजिक संगठन 'समतोल फाउंडेशन' ने एक नई परियोजना शुरू की है। इसके अंतर्गत लड़कों को सामान्य भाषा की जानकारी देने के साथ—साथ खेती, प्लंबिंग, सिलाई, नर्सरी, कम्प्यूटर, मुर्गीपालन जैसे व्यावसायिक ज्ञान दिया जा रहा है। 'समतोल फाउंडेशन' के अध्यक्ष विजय जाधव ने बताया कि रेडलाइट एरिया में जो बच्चियां पैदा होती हैं, उन्हें तो वे लोग सहेज कर रखते हैं, ताकि आगे चलकर वे भी देह व्यापार के काम में लग जाएं। पर लड़कों के साथ बहुत ही बुरा व्यवहार होता है। सात—आठ साल के लड़कों को भीख मांगने, कूड़ा बीनने जैसे काम में लगा दिया जाता है। लॉकडाउन के दौरान ये बच्चे इस तरह के कार्य नहीं कर पा रहे थे, इसलिए समतोल फाउंडेशन ने ऐसे 25 बच्चों को व्यावसायिक प्रशिक्षण देने का काम शुरू किया है। उन्होंने यह भी बताया कि कार्यकर्ता ऐसे और बच्चों की पहचान कर रहे हैं। जितने भी बच्चे मिलेंगे, सभी को व्यावसायिक प्रशिक्षण देकर स्वावलंबी बनाने का कार्य किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि 'समतोल फाउंडेशन' गत कई वर्षों से बेसहारा बच्चों को संवारने का काम कर रहा है।
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