भगवान बिरसा मुंडा की पुण्यतिथि (9 जून) पर विशेष: जिन बिरसा ने मिशनरियों को खदेड़ा, उनके परिवार के लोग ही बने ईसाई
July 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

भगवान बिरसा मुंडा की पुण्यतिथि (9 जून) पर विशेष: जिन बिरसा ने मिशनरियों को खदेड़ा, उनके परिवार के लोग ही बने ईसाई

by रितेश कश्यप
Jun 9, 2021, 04:40 pm IST
in भारत, झारखण्‍ड, बिहार
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

इसे विडंबना ही कहेंगे कि जो बिरसा मुंडा आजीवन मिशनरियों के विरुद्ध लड़ते रहे, जिन्होंने अंग्रेजों के विरुद्ध अपने समाज के लोगों को खड़ा किया, आज उनके परिवार के ही कुछ लोग ईसाई बन गए हैं। वे अंग्रेजों की क्रूरता के कारण मात्र 25 वर्ष की उम्र में ही इस दुनिया से चल बसे। उन्होंने धर्म, संस्कृति, समाज, देश के लिए जो कुछ किया, वह किसी चमत्कार से कम नहीं है।

9 जून को बिरसा मुंडा की जन्मभूमि उलिहातू (खूंटी) में उनकी मूर्ति पर माल्यार्पण करते ग्रामीण

नई दिल्ली, 9 जून। आज बिरसा मुंडा की जन्मभूमि उलिहातू (खूंटी) में एक कार्यक्रम आयोजित हुआ। इसमें आसपास के गांवों के लोग शामिल हुए और इन लोगों ने बिरसा मुंडा की मूर्ति पर माल्यार्पण करके उनके कार्यों से प्रेरणा लेने का प्रण लिया। लेकिन इस कार्यक्रम में एक बात जो सभी को खटकी, वह थी उनके परिवार के ज्यादातर लोगों की अनुपस्थिति। उनके परिवार वाले क्यों नहीं आए, यह जानेंगे तो आप दंग रह जाएंगे। बता दें कि उनके परिवार के ज्यादातर लोग ईसाई बन चुके हैं। ईसाई बनते ही उन लोगों ने बिरसा के आदर्शों को छोड़ दिया है। आगे बढ़ने से पहले यह भी बता दें कि बिरसा मुंडा की अपनी कोई संतान नहीं थी। उनके पिता सगुना मुंडा के एक बड़े भाई थे। उन्हीं के बाल—बच्चों को आज बिरसा का परिवार माना जाता है। इस परिवार के एक सदस्य हैं सुखराम मुंडा। ये बिरसा मुंडा के पड़पोते हैं। सुखराम के परिवार के लोगों को छोड़कर शेष सभी ईसाई बन चुके हैं।

यह दुर्भाग्य ही है कि जिन बिरसा ने ईसाई मिशनरियों को धर्म, संस्कृति, समाज और भारत के लिए घातक मानकर उनका विरोध किया, उनसे लड़ाई लड़ी, आज उन्हीें के परिवार के लोग ईसाई बन गए हैं। रांची की सामाजिक कार्यकर्ता प्रिया मुंडा कहती हैं, ''पूरा वनवासी समाज बिरसा मुंडा को भगवान मानता है, इसके बावजूद उनके परिवार के लोग ईसाई बने। यह हम सबकी विफलता है। जब भी उनकी पुण्यतिथि या जयंती आती है, हम सब कुछ कार्यक्रम करके अपने पारंपरिक दायित्व को पूरा कर लेते हैं, लेकिन यह कभी नहींं देखते हैं कि बिरसा के वंशज किस हालात में हैं। वे गरीबी में जी रहे हैं। उनकी इस कमजोरी का फायदा मिशनरियों ने उठाया और उन्हें कन्वर्ट कर लिया।'' प्रिया यह भी कहती हैं, ''रांची हवाई अड्डे का नाम बिरसा मुंडा के नाम पर रखा गया है। उनके नाम पर खूंटी में एक कॉलेज भी है। इसके अलावा बिरसा के नाम पर अनेक योजनाएं चल रही हैं, लेकिन उन योजनाओं का लाभ उनके परिवार के लोगों को भी नहीं मिल रहा है।''

यही कारण है कि सुखराम मुंडा की पोती ज्योनी कुमारी मुंडा खूंटी स्थित बिरसा मुंडा कॉलेज के सामने सब्जी बेचकर गुजारा करती हैं। ज्योनी इसी कॉलेज से मुंडारी भाषा से स्नातक भी कर कर रही हैं। ज्योनी छात्रवृत्ति के लिए कॉलेज के प्राचार्य को तीन बार आवेदन भी दे चुकी हैं, लेकिन उन्हें कभी छात्रवृत्ति नहीं मिली। ज्योनी के दादा सुखराम मुंडा को हर माह 1,000 रु. वृद्धा पेंशन के रूप में मिलते हैं, उसी से उसकी पढ़ाई का खर्च चलता है।

उलिहातू के पास के एक गांव मारंग हदा के निवासी और सामाजिक कार्यकर्ता भोज नाग भी मानते हैं कि समाज ने बिरसा के परिवार वालों का ध्यान नहीं रखा। वे कहते हैं, ''उन दिनों लोग अंग्रेजों के अत्याचारों से परेशान थे। किसी अंग्रेज को देखते ही लोग भाग खड़े होते थे। बिरसा ने ऐसे लोगों को अंग्रेजों के सामने लड़ने के लिए खड़ा कर दिया था। यह उन दिनों की बहुत बड़ी बात थी। इसलिए बिरसा महान हैं और जब तक यह सृष्टि है, तब तक वे महान ही रहेंगे। ऐसे महान व्यक्ति के परिवार वाले अभाव में जी रहे हैं, यह पूरे समाज के लिए शर्म की बात है।''  

''पूरा वनवासी समाज बिरसा मुंडा को भगवान मानता है, इसके बावजूद उनके परिवार के लोग ईसाई बने। यह हम सबकी विफलता है। जब भी उनकी पुण्यतिथि या जयंती आती है, हम सब कुछ कार्यक्रम करके अपने पारंपरिक दायित्व को पूरा कर लेते हैं, लेकिन यह कभी नहींं देखते हैं कि बिरसा के वंशज किस हालात में हैं। वे गरीबी में जी रहे हैं। उनकी इस कमजोरी का फायदा मिशनरियों ने उठाया और उन्हें कन्वर्ट कर लिया।''
 —प्रिया मुंडा,
सामाजिक कार्यकर्ता, रांची

 ''बिरसा देशभक्त के साथ—साथ धर्म, संस्कृति और समाज के रक्षक थे। वे कहते थे कि अंग्रेज हमारी संस्कृति, धर्म, खानपान और स्वाभिमान को खत्म करना चाहते हैं। इसलिए उन्होंने जेल जाने से पहले ही योद्धाओं की एक सेना खड़ी कर दी थी।''
 —डॉ. राजकिशोर हांसदा,
सामाजिक कार्यकर्ता, दुमका

 ''उन दिनों किसी अंग्रेज को देखते ही लोग भाग खड़े होते थे। बिरसा ने ऐसे लोगों को अंग्रेजों के सामने लड़ने के लिए खड़ा कर दिया। यह बहुत बड़ी बात थी। इसलिए बिरसा महान हैं और जब तक यह सृष्टि है, तब तक वे महान ही रहेंगे। ऐसे महान व्यक्ति के परिवार वाले अभाव में जी रहे हैं, यह पूरे समाज के लिए शर्म की बात है।''  
—भोज नाग,
सामाजिक कार्यकर्ता, खूंटी

ज्योनी के एक भाई कानू मुंडा इन दिनों खूंटी स्थित अनुमंडल कार्यालय में चपरासी हैं। कानू ने मुंडारी भाषा से स्नातकोत्तर की उपाधि ली है, लेकिन उन्हें नौकरी चतुर्थ श्रेणी की मिली है। यह भी एक विडंबना ही है। दुमका में रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. राजकिशोर हांसदा तो बिरसा मुंडा को चमत्कारी
महापुरुष मानते हैं। उन्होंने बताया कि ऐसे महापुरुषों के परिवार वालों पर मिशनरियों की नजरें रहती हैं और जैसे ही उन्हें उनकी कोई कमजोर कड़ी मिलती है, उन पर डोरा डाल देते हैं। यही हुआ है बिरसा मुंडा के परिवार वालों के साथ। उन्होंने यह भी कहा कि मिशनरियों और जिहादियों ने  सिद्धो कान्हू, चांद भैरव आदि महापुरुषों के परिवार वालों के साथ भी ऐसा करने का प्रयास किया है। डॉ. हांसदा यह भी कहते हैं, ''बिरसा देशभक्त के साथ—साथ धर्म, संस्कृति और समाज के रक्षक थे। वे कहते थे कि अंग्रेज हमारी संस्कृति, धर्म, खानपान और स्वाभिमान को खत्म करना चाहते हैं। इसलिए उन्होंने जेल जाने से पहले ही योद्धाओं की एक सेना खड़ी कर दी थी।''

बिरसा भी हो गए थे ईसाई
बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर, 1875 को एक बेहद ही गरीब परिवार में हुआ था। उनके जन्म के बाद उनके पिता सगुना मुंडा ईसाई हो गए थे। इस नाते बिरसा को चाईबासा के लूथर मिशन स्कूल में पढ़ने का मौका मिला। कहा जाता है कि वहां उन्हें एक बार गोमांस खाने को दिया गया, तो इसका उन्होंने विरोध किया। फिर वे वहां से घर लौट आए। यहां उन्हें आनंद पांडे नामक एक सज्जन मिले। उन्होंने उन्हें रामायण, महाभारत आदि ग्रंथों की जानकारी दी। बाद में यही आनंद पांडे उनके गुरु के रूप में प्रसिद्ध हुए। रामायण और महाभारत के प्रसंगों ने उनका मन बदल दिया और वे पुन: सनातन—धर्मी हो गए। बिरसा ने समाज को सुधारने के लिए कुछ नियम बनाए थे, जिसे 'बिरसायत पंथ' कहा जाता है। इसमें उन्होंने समाज से कहा कि दारू और मांस का सेवन न करो, सिंग बोगा यानी सूर्य देवता की पूजा करो, गाय की हत्या मत करो, तुलसी की पूजा करो आदि।

आनंद पांडे झाड़—फूंक के भी अच्छे जानकार थे। इसकी शिक्षा उन्होंने बिरसा को भी दी। इसके बाद बिरसा किसी बीमार आदमी को झाड़—फूंक के जरिए ठीक भी करने लगे। इस कारण वे अपने क्षेत्र में काफी प्रसिद्ध हुए और लोगों में धारणा बनी कि बिरसा जिस बीमार को छू भी देते हैं, वह ठीक हो जाता है। इस कारण समाज ने उन्हें भगवान का दर्जा दिया। अपनी इस प्रसिद्धि के बल पर ही उन्होंने लोगों को अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ने के लिए तैयार किया। एक बार वे अपने गांव के पास डोमारी पहाड़ी पर अपने योद्धाओं के साथ बैठक कर रहे थे। इसी दौरान किसी ने अंग्रेजों को सूचना दे दी। इसके बाद अंग्रेज सिपाहियों ने निहत्थे लोगों पर गोलियों की बरसात कर दी। इसमें सैकड़ों लोगों की जान चली गई थी, लेकिन बिरसा बच गए थे। बाद में उन्हें पकड़ लिया गया और रांची के केंद्रीय कारागार में डाल दिया गया। जेल में उनके साथ बहुत अत्याचार हुए। जेल में ही 9 जून, 1900 को बिरसा ने अंतिम सांस ली। कहा जाता है कि उनके खाने में विष मिला दिया गया था।  
 

रितेश कश्यप
Correspondent at Panchjanya | Website

दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।

 

  • रितेश कश्यप
    https://panchjanya.com/author/ritesh-kashyap/
    May 8, 2025, 09:33 pm IST
    घर वापसी का जोर, चर्च कमजोर
  • रितेश कश्यप
    https://panchjanya.com/author/ritesh-kashyap/
    झारखंड के मंत्री हफीजुल हसन, दाईं ओर उपद्रवियों का दुस्साहस
    Apr 15, 2025, 08:09 pm IST
    “जब ‘सरकार’ ही कहेंगे संविधान के ऊपर शरिया, तो दंगाइयों का दुस्साहस बढ़ेगा ही! “
  • रितेश कश्यप
    https://panchjanya.com/author/ritesh-kashyap/
    चम्पाई सोरेन के नेतृत्व में घर वापसी करने को आतुर जनजातीय समाज
    Apr 13, 2025, 01:46 pm IST
    झारखंड में घरवापसी की होड़, चर्च की बढ़ी बेचैनी !
  • रितेश कश्यप
    https://panchjanya.com/author/ritesh-kashyap/
    एएसआई सुजीत सिंह, इन्हें पत्थरबाजों पर कार्रवाई करने की बात कहने पर किया गया दंडित
    Apr 1, 2025, 10:36 am IST
    ‘तुम पत्थरबाजों के विरुद्ध करोगे कार्रवाई, हम तुम्हें करेंगे लाइन हाजिर’
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

गुरु पूर्णिमा पर विशेष : भगवा ध्वज है गुरु हमारा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नामीबिया की आधिकारिक यात्रा के दौरान राष्ट्रपति डॉ. नेटुम्बो नंदी-नदैतवाह ने सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया।

प्रधानमंत्री मोदी को नामीबिया का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, 5 देशों की यात्रा में चौथा पुरस्कार

रिटायरमेंट के बाद प्राकृतिक खेती और वेद-अध्ययन करूंगा : अमित शाह

फैसल का खुलेआम कश्मीर में जिहाद में आगे रहने और खून बहाने की शेखी बघारना भारत के उस दावे को पुख्ता करता है कि कश्मीर में जिन्ना का देश जिहादी भेजकर आतंक मचाता आ रहा है

जिन्ना के देश में एक जिहादी ने ही उजागर किया उस देश का आतंकी चेहरा, कहा-‘हमने बहाया कश्मीर में खून!’

लोन वर्राटू से लाल दहशत खत्म : अब तक 1005 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

यत्र -तत्र- सर्वत्र राम

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

गुरु पूर्णिमा पर विशेष : भगवा ध्वज है गुरु हमारा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नामीबिया की आधिकारिक यात्रा के दौरान राष्ट्रपति डॉ. नेटुम्बो नंदी-नदैतवाह ने सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया।

प्रधानमंत्री मोदी को नामीबिया का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, 5 देशों की यात्रा में चौथा पुरस्कार

रिटायरमेंट के बाद प्राकृतिक खेती और वेद-अध्ययन करूंगा : अमित शाह

फैसल का खुलेआम कश्मीर में जिहाद में आगे रहने और खून बहाने की शेखी बघारना भारत के उस दावे को पुख्ता करता है कि कश्मीर में जिन्ना का देश जिहादी भेजकर आतंक मचाता आ रहा है

जिन्ना के देश में एक जिहादी ने ही उजागर किया उस देश का आतंकी चेहरा, कहा-‘हमने बहाया कश्मीर में खून!’

लोन वर्राटू से लाल दहशत खत्म : अब तक 1005 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

यत्र -तत्र- सर्वत्र राम

NIA filed chargesheet PFI Sajjad

कट्टरपंथ फैलाने वालों 3 आतंकी सहयोगियों को NIA ने किया गिरफ्तार

उत्तराखंड : BKTC ने 2025-26 के लिए 1 अरब 27 करोड़ का बजट पास

लालू प्रसाद यादव

चारा घोटाला: लालू यादव को झारखंड हाईकोर्ट से बड़ा झटका, सजा बढ़ाने की सीबीआई याचिका स्वीकार

कन्वर्जन कराकर इस्लामिक संगठनों में पैठ बना रहा था ‘मौलाना छांगुर’

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies