असम में लंबे समय से हिन्दू धर्म स्थलों, प्रतिष्ठानों, संस्थाओं की जमीनें कब्जाते आ रहे बांग्लादेशी घुसपैठियों व अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ सख्त हुई राज्य सरकार
असम और देश की सुरक्षा की दृष्टि से संतोष की बात है कि असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा राज्य में बांग्लादेशी घुसपैठियों और उनके कारण उपजी समस्याओं को परिचत हैं, और उन्हें दूर करने के लिए कमर कसे हुए हैं। यह कोई छिपी बात नहीं है कि असम के करीब 9 जिले हिन्दूविहीन, घुसपैठिए बहुत हो गए हैं। हिन्दू अपनी जान बचाकर गांव के गांव खाली कर रहे हैं। हालत यह है कि वहां मंदिर और अन्य धर्म स्थल भी सुरक्षित नहीं रहे। वहां वर्षों रहे कांग्रेस के राज में घुसपैठियों को खुलेआम वहां बसाया गया, उन्हें तमाम अधिकार दिए गए। हालत यह हो गई कि रोजगार तक पर बांग्लादेशी मुस्लिमों का कब्जा होने लगा। हिन्दुओं के खेत—खलिहानों, मकानों, दुकानों, प्रतिष्ठानों और धर्मस्थलों की जमीन पर घुसपैठिए चढ़ बैठे। तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने अपने इस वोट बैंक को चिमटी से भी छूना गवारा नहीं किया।
इस सबके विरोध में समय—समय पर वहां घुसपैठिए विरोधी अभियान, आंदोलन चले हैं। आईएमडीटी एक्ट बना है। लेकिन इतने वर्षों बाद भी हालात उतने काबू नहीं आए हैं। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने पद भार संभालते ही हिन्दू अस्मिता को अक्षुण्ण रखने का एक आश्वासन जैसा लोगों के दिलों में पैदा किया है। पिछले महीने बंगाल की चुनावी हिंसा में जिहादियों के अत्याचार से पलायन करके असम पहुंचे हिन्दू परिवारों को राहत पहुंचाने में स्थानीय प्रशासन ने भरपूर मदद की। इसके बाद, अब मुख्यमंत्री के ताजा आदेश से हिन्दू समाज में आश्वस्ति बढ़ी है। उनके इसी आदेश के बाद हिंदू धार्मिक स्थलों व सरकार की भूमि से अतिक्रमण हटाने का अभियान शुरू
हुआ है।
बांग्लादेशी घुसपैठियों द्वारा राज्य में अनेक मंदिरों और वैष्णव मठों या सत्रों जैसे हिंदू धार्मिक स्थलों की जमीन पर सालों से कब्जा करके बैठे जिहादी तत्वों और अन्य से
वह जगह खाली कराई जा रही है। अतिक्रमण हटाने के असम सरकार के इस अभियान की सर्वत्र प्रशंसा हो रही है।
इसी क्रम में गत 6 जून को प्रशासन ने दरांग जिले में सिपाझर के निकट गांव ढालपुर में एक प्राचीन शिव मंदिर की 120 बीघा जीन को बांग्लादेशी घुसपैठियों से मुक्त कराया है। मंदिर की यह जमीन वे वर्षों से कब्जाए बैठे थे और न्याय की बात करने वालों को धमकियां देते थे।
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने विधानसभा चुनावों में प्रचार के दौरान धार्मिक संस्थाओं और सरकारी भूमि से ऐसे सभी अतिक्रमणों को हटाने का वादा किया था। राज्य सरकार ने पहले भी संरक्षित जंगलों सहित तमाम सरकारी भूखंडों से ढेरों अतिक्रमणकारियों को हटाया है। उदाहरण के लिए, कुछ साल पहले काज़ीरंगा नेशनल पार्क में अवैध कब्ज़े करने वालों और गैरकानूनी रूप से वहां आ बसे लोगों को हटाया गया था। राज्य सरकार के सूत्रों की मानें तो सिपाझर में शिव मंदिर की लगभग 180 बीघा जमीन बांग्लादेशी मुसलमानों के अवैध कब्जे में थी। एक जिला अधिकारी ने जानकारी दी है कि फिलहाल 120 बीघा जमीन से घुसपैठियों को हटा दिया गया है, बाकी जमीन भी जल्दी खाली करा ली जाएगी।
अतिक्रमण करने वालों ने जो गैरकानूनी घर या ढांचे खड़े कर लिए हैं उन्हें भी हटाया जा रहा है। बांग्लादेशी घुसपैठियों को साफ बता दिया गया है कि मंदिरों की जमीन पर दुबारा कब्ज़ा करने की कोशिश की तो और कड़ी कार्रवाई की जाएगी। बताते हैं, जिला अधिकारियों को आदेश दिया गया है कि अगर जमीन कब्जाने वाले फिर से ऐसी हरकत करें तो सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने और दंगा करने के अपराध में गिरफ्तार करें। इसी तरह, 6 जून को मुस्लिम बहुल होजाई जिले में भी एक अतिक्रमण अभियान चलाया गया था।
सरकार के अधिकार वाले रबर के एक बागान की लगभग 275 बीघा जमीन कब्जा करने वालों से खाली करवाई गई थी। लेकिन बांग्लादेशी घुसपैठियों ने वहां फिर से कब्जा करके खेत बना दिए थे। 12 साल पहले बांग्लादेशी घुसपैठियों के करीब 15 परिवार यहां बस गए थे। उन्होंने रबर के पेड़ों को काटकर खेत बना लिए थे। होजाई प्रशासन ने कब्जा करने वालों के अवैध निर्माण पर भारी मशीनों चलाकर उन्हें गिरा दिया।
संतोष की बात यह भी है कि खुद मुख्यमंत्री इन अभियानों पर नज़र रखे हुए हैं। हिंदू धार्मिक संस्थानों, राज्य व केंद्र सरकार के तहत बड़े भूखंडों, भूमि पर तत्कालीन कांग्रेस राज से ही बांग्लादेशी घुसपैठियों ने बेरोकटोक कब्जा किया हुआ है। इतना ही नहीं, ‘लोअर असम’ के कई क्षेत्रों, जैसे बरपेटा, नौगांव आदि में प्राचीन वैष्णव मठों या सत्रों के आसपास की जमीनों पर जिहादी तत्वों ने बड़ी चालाकी से सालों से कब्जा किया हुआ है। वे सत्र की पूजा, आयोजनों में भी व्यवधान डालते हैं, सत्रााधिकारियों को धमकाते हैं। वे डर का माहौल बनाते हैं जिससे हिन्दू श्रद्धालु और सत्र के लोग वहां से चले जाएं और उन्हें मनमानी करने दें।
माजुली द्वीप पर स्थित उत्तर कमलाबाड़ी सत्र के सत्राधिकारी श्री जर्नादन गोस्वामी मुख्यमंत्री के इस कदम को सराहनीय मानते हैं। पांचजन्य से बात करते हुए उन्होंने कहा कि हिन्दू धर्म स्थलों पर सालों से जारी अतिक्रमणों के बारे में मुख्यमंत्री ने कदम उठाया, जो बहुत जरूरी था। उनका कहना है कि हिन्दू समाज को जाग्रत करना होगा, समाज को भी यह सोचना होगा कि कर्म से विमुख न हो। वे कहते हैं कि हिन्दुओं के खेतों पर बांग्लादेशी कब्जा किए हुए हैं, क्योंकि कई जगह तो हिन्दुओं ने खेत खाली ही छोड़ रखे थे। ऐसे में कब्जा करने वाला मौका क्यों चूकता! इसलिए अपने कर्म से मुंह नहीं मोड़ना है। यही वक्त है जब समाज को एक होकर इस दिक्कत को दूर करना है। श्री जनार्दन गोस्वामी का तो यहां कहना है कि सरकार सभी अतिक्रमण करने वालों से कहे कि वे स्वयं सम्मान के साथ अपना कब्जा हटा लें। यह सभी पक्षों के हित में रहेगा। वे कहते हैं, सत्रों और अन्य धर्म स्थलों को अतिक्रमण से मुक्त होना ही चाहिए।
आलोक गोस्वामी
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