ट्विटर, फेसबुक जैसी सोशल मीडिया कंपनी मुगालते और हेकड़ी से बाहर आएं, उन्हें भारतीय कानून के अनुसार ही चलना होगा
July 13, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

ट्विटर, फेसबुक जैसी सोशल मीडिया कंपनी मुगालते और हेकड़ी से बाहर आएं, उन्हें भारतीय कानून के अनुसार ही चलना होगा

by WEB DESK
Jun 8, 2021, 03:34 pm IST
in भारत, दिल्ली
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

ट्विटर जैसी कंपनियों को यह समझना होगा कि आज का भारत उन्हें ईस्ट इंडिया कंपनी बनने की इजाजत नहीं दे सकता। हमारा देश किसी का गुलाम नहीं है, जो अपने आका की बात माने। इंटरनेट मीडिया कंपनियों को इस मुगालते में भी नहीं रहना चाहिए कि वे भारत के साथ दोयम दर्जे के देश की तरह व्यवहार कर लेंगे और सरकार कुछ नहीं कहेगी। सोशल मीडिया कंपनियों को भारतीय कानूनों के अनुरूप ही चलना होगा

भारत में अगर किसी भी विदेशी कंपनी को काम करना है तो, उसे यहां के कायदे-कानूनों को मानना ही होगा। चाहे ट्विटर हो, फेसबुक या व्हाट्सएप या कोई और सोशल मीडिया कंपनी। सभी को भारतीय कानूनों के अनुरूप ही चलना ही होगा। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर कोई भी सोशल मीडिया कंपनी मनमाने कंटेंट नहीं परोस सकती है। भारत को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा, सामाजिक तानेबाने, आर्थिक स्थिरता, व्यक्तिगत विचार आदि की चिंता करने का पूरा अधिकार है। इसलिए सोशल मीडिया को लेकर बनाई गई नई गाइडलाइंस पर ट्विटर के रवैये से भारत सरकार का गुस्सा होना लाजिमी है। ट्विटर, फेसबुक व व्हाट्सएप भारतीय कानूनों से ऊपर नहीं हैं। हमारा देश संविधान से चलता है, किसी मुगलिया सल्लनत का भाव लिए कंपनी की पक्षपाती विचारधारा से नहीं। सरकार ने ट्विटर से ठीक ही कहा है कि ‘दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को न सिखाएं कि क्या करना है। ट्विटर मुद्दा भटकाने के बजाय नियमों का पालन करे।’

भारत में लोकतंत्र और बोलने की आजादी सदियों से रही है। विश्व का पहला लोकतंत्र वैशाली भी भारत में ही था। किसी कैलिफोर्निया की गली या लंदन में नहीं। इसलिए इसकी रक्षा करने की जिम्मेदारी भारत के लोगों व भारत सरकार की है। बोलने की आजादी को लेकर ट्विटर की पारदर्शी नीतियां कभी भी सही नहीं रही हैं। कई लोगों के अकाउंट बिना स्पष्टीकरण के सस्पेंड कर दिए जाते हैं, तो कई की पोस्ट डिलीट कर दी जाती हैं। आक्रामक भाषा व मजहब विशेष का पक्ष लेने वालों के अकाउंट कभी भी सस्पेंड नहीं होते। भारत की नीतियां तय करने में सोशल मीडिया कंपनियों को दखल नहीं देना चाहिए। एक संप्रभु राष्ट्र खुद सोचने-समझने में सक्षम है कि उसे कैसी नीतियां बनानी चाहिए। कानून और नीतियां बनाने का अधिकार किसी देश का विशेष अधिकार है। ट्विटर सिर्फ एक सोशल मीडिया साइट है। ट्विटर या किसी और सोशल मीडिया कंपनी को भारत को बदनाम करने का कतई अधिकार नहीं है। जहां एक तरफ टूलकिट विवाद के बाद से सरकार ट्विटर से भारत की गाइडलान्स का पालन करने को कह रही है। जिसके लिए ट्विटर ने सरकार से 3 महीने की मोहलत मांगी है। ताजा स्पष्टीकरण में उसकी ओर से कहा गया है कि वह नए दिशानिर्देशों के अनुपालन का हर प्रयास कर रहा है और इस मामले में हुई प्रगति को समुचित रूप से साझा किया गया है।

लेकिन दूसरी तरफ श्रेष्ठता के दंभ में चूर व्हाट्सएप भारत सरकार के नए आईटी नियमों के खिलाफ अदालत पहुंच गया है। यह भारतीय नियम-कानूनों के प्रति अवमानना है। हाल के वक्त में सरकार और सोशल मीडिया कंपनियों के बीच विवाद नए आईटी नियमों की वजह से शुरू हुआ है, जिन्हें भारत सरकार ने 26 मई से लागू कर दिया है। नए नियमों के अनुसार, व्हाट्सएप और फेसबुक जैसी सोशल मीडिया प्लेटफाॅर्म के जरिए भेजे और शेयर किए जाने वाले मैसेजेस के मूल स्रोत को ट्रैक करना जरूरी है। यानी अगर कोई गलत या फेक पोस्ट वायरल हो रही है तो सरकार कंपनी से उसके आरिजनेटर के बारे में पूछ सकती है और सोशल मीडिया कंपनियों को बताना होगा कि उस पोस्ट को सबसे पहले किसने शेयर किया था। नए नियमों के अनुसार, सोशल मीडिया कंपनियों को किसी पोस्ट के लिए शिकायत मिलने पर उसके खिलाफ कार्रवाई भी करनी होगी। अब दिक्कत यह है कि सोशल मीडिया कंपनियां अभिव्यक्ति के नाम पर इसका विरोध कर रही हैं। नए आईटी नियमों पर सरकार ने साफ कर दिया है कि इससें किसी की निजता का हनन नहीं होगा, लेकिन अगर कोई भारत की एकता, अखंडता, राष्ट्रीय सुरक्षा, सामाजिक-धार्मिक समरसता आदि के खिलाफ सोशल मीडिया पर अभियान चलायेगा तो उसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर छोड़ा नहीं जायेगा।

व्हाट्सएप की धूर्तता

इंटरनेट आधारित सूचना-संवाद के प्लेटफाॅर्म किस तरह सरकार की आंखों में धूल झोंकने की कोशिश कर रहे हैं, इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है वाट्सएप की ओर से केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना। फेसबुक के स्वामित्व वाले व्हाट्सएप ने यह दलील दी है कि केंद्र सरकार के दिशानिर्देश मानने से निजता का उल्लंघन होगा। पहली बात तो यह है कि लोगों की निजी जानकारियां लीक करने और बेचने वालों के मुंह से निजता की बातें सुनना अच्छा नहीं लगता और दूसरे, यह शरारत के अलावा और कुछ नहीं कि व्हाट्सएप निजता की आड़ में यौन अपराधों के साथ अन्य गंभीर अपराधों में लिप्त लोगों के बारे में जानकारी देने से इन्कार करे। व्हाट्सएप के इस रवैये से तो यही लगता है कि वह अपराधी और आतंकी तत्वों की निजता की परवाह कर रहा है। यदि ऐसा नहीं है तो फिर वह सरकार के दिशानिर्देशों को मानने से इंकार क्यों कर रहा है। इससे भी बड़ा सवाल यह है कि जब वह और अन्य इंटरनेट मीडिया कंपनियां अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, न्यूजीलैंड, चीन आदि देशों में ऐसे ही दिशानिर्देशों का पालन करने को तैयार हैं तो फिर भारत में उन्हें क्या समस्या है ?

ट्विटर का दोहरा रवैया
व्हाट्सएप की तरह ट्विटर भी मनमानी पर आमादा है। उसे एकाएक भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता खतरे में दिखने में लगी है। ट्विटर कम आपत्तिजनक ट्वीट करने वालों के खिलाफ तो कार्रवाई करता है लेकिन घोर आपत्तिजनक और घृणा भरे ट्वीट करने वालों को बख्श देता है। ऐसा लगता है कि वह इसे ही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता समझता है और अगर नहीं समझता है तो लंपट और नफरती तत्वों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की परवाह क्यों कर रहा है ? ट्विटर जैसी कंपनियों को यह समझना होगा कि आज का भारत उन्हें ईस्ट इंडिया कंपनी बनने की इजाजत नहीं दे सकता। हमारा देश किसी का गुलाम नहीं है जो अपने आका की बात माने। इंटरनेट मीडिया कंपनियों को इस मुगालते में भी नहीं रहना चाहिए कि वे भारत के साथ दोयम दर्जे के देश की तरह व्यवहार कर लेंगे और सरकार कुछ नहीं कहेगी।

यह साम्राज्यवाद का दौर नहीं
आज हमारे सामने सवाल यह है कि क्या काॅरपोरेट मुख्यालय में बैठे कुछ लोग तय कर सकते हैं कि भारत के लिए अच्छी सामग्री क्या है या दुनिया के लिये क्या सही है। जनवरी 2021 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को हटाने के लिए ट्विटर, फेसबुक साथ आ गए थे। क्या ये कंपनियां एकतरफा फैसले कर सकती हैं कि किसे मंजूरी मिले और किसे नहीं। क्या हम कुछ कंपनियों के कुछ लोगों को दुनिया के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तय करने को मंजूरी दे सकते हैं ? ट्विटर ने तो सामग्री के साथ छेड़छाड़ या ‘मैनुपुलेटेड मीडिया’ का टैग जोड़ना शुरू कर दिया है, पर ऐसे फैसले कैसे लिए जाते हैं, इसमें कोई पारदर्शिता नहीं है।

हमें हमेशा याद रखना चाहिए कि भारत सोशल मीडिया की दिग्गज कंपनियों के लिए सबसे बड़ा खुला बाजार है। चीन ने तो अपने यहां इन कंपनियों को ब्लाॅक कर रखा है और अपनी अलग घरेलू सोशल मीडिया कंपनियां बना रखी हैं। इसलिए अब इन कंपनियों के पास अपने विस्तार के लिए केवल भारत जैसा क्षेत्र है। भारत की आबादी और बाजार का आकार अमेरिका और यूरोप से भी बड़ा है। ये कंपनियां बिना किसी नियम-कानून के इन बाजारों में अपना विस्तार चाहती हैं जबकि सरकार कह रही है कि कानून तो मानने ही होंगे। यही समस्या की जड़ है।

ट्विटर और फेसबुक की डोनाल्ड ट्रंप को हटाने में भूमिका रही है, इससे इंकार नहीं किया जा सकता, लेकिन नए राष्ट्रपति जो बाइडन की सरकार भी इन कंपनियों की लगाम कसने में लगी है। बाइडन प्रशासन को भी पता है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और गोपनीयता तय करने की शक्ति निजी कंपनियों पर नहीं छोड़ी जा सकती। अमेरिका में इस समय इन कंपनियों को छोटे उद्यमों में बांट देने के लिए बड़ा आंदोलन चल रहा है, ताकि वे अपने बड़े आकार का दुरुपयोग न कर सकें। कितनी हैरानी की बात है कि ट्रंप का ट्विटर एकाउंट तो सस्पेंड कर दिया गया पर आतंकी संगठन तालिबान का अभी भी ट्विटर अकाउंट है वो भी ब्लू टिक वाला।

हमारे देश में कुछ आलोचक भारत पर उत्तर कोरिया जैसा बनने या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने का आरोप लगा रहे हैं, जो कि बिल्कुल गलत है। हमारे यहां 2014 के बाद से ही वामपंथी गिरोह और विपक्ष की एक आदत सी हो गई है कि चुनावी पराजय की कुंठा में वे राष्ट्रविरोधी तत्वों के साथ खड़े हो जाते हैं, खड़े ही नहीं होते बल्कि कुतर्को से इनका पक्ष भी लेते हैं। आज जब सैन्य आक्रमण द्वारा भूगोल नहीं बदला जा सकता है तो इंटरनेट उपनिवेश कायम करने की कोशिश जारी है। ट्विटर, गूगूल, फेसबुक चीन द्वारा प्रतिबंधित किये जाने के बावजूद भी उसकी चिरौरी करते हैं, पर हमें अभी भी आंखें दिखाने की कोशिश करते हैं, जैसे हम इनके उपनिवेश हों। इनके इस आत्मविश्वास के पीछे हमारे यहां की अंग्रेज परस्त मीडिया का एक वर्ग और अफसरों-नेताओं का एक सरकार विरोधी गठजोड़ है, जो इन कंपनियों को अपना खुदा मानता है। ट्विटर, फेसबुक ने गंगा में बहती लाशों और जलती चिताओं के 2015, 2018 के चित्र प्रसारित किये, फेक समाचार फैलाया। जिस पर हमारा कथित बौद्धिक वर्ग लहालोट हो गया।

ट्विटर का दोहरापन इन वामपंथियों को अपने अनुकूल बनाता है, वरना क्या कारण है कि इस वर्ग ने तब भी जुबान नहीं खोली जब मलेशिया के पूर्व प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने ट्वीट कर कह डाला कि मुसलमानों को फ्रांस के लाखों लोगों को मारने का अधिकार है।
-अभिषेक कुमार

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

RSS का शताब्दी वर्ष : संघ विकास यात्रा में 5 जनसंपर्क अभियानों की गाथा

Donald Trump

Tariff war: अमेरिका पर ही भारी पड़ सकता है टैरिफ युद्ध

कपिल शर्मा को आतंकी पन्नू की धमकी, कहा- ‘अपना पैसा वापस ले जाओ’

देश और समाज के खिलाफ गहरी साजिश है कन्वर्जन : सीएम योगी

जिन्होंने बसाया उन्हीं के लिए नासूर बने अप्रवासी मुस्लिम : अमेरिका में समलैंगिक काउंसिल वुमन का छलका दर्द

कार्यक्रम में अतिथियों के साथ कहानीकार

‘पारिवारिक संगठन एवं विघटन के परिणाम का दर्शन करवाने वाला ग्रंथ है महाभारत’

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

RSS का शताब्दी वर्ष : संघ विकास यात्रा में 5 जनसंपर्क अभियानों की गाथा

Donald Trump

Tariff war: अमेरिका पर ही भारी पड़ सकता है टैरिफ युद्ध

कपिल शर्मा को आतंकी पन्नू की धमकी, कहा- ‘अपना पैसा वापस ले जाओ’

देश और समाज के खिलाफ गहरी साजिश है कन्वर्जन : सीएम योगी

जिन्होंने बसाया उन्हीं के लिए नासूर बने अप्रवासी मुस्लिम : अमेरिका में समलैंगिक काउंसिल वुमन का छलका दर्द

कार्यक्रम में अतिथियों के साथ कहानीकार

‘पारिवारिक संगठन एवं विघटन के परिणाम का दर्शन करवाने वाला ग्रंथ है महाभारत’

नहीं हुआ कोई बलात्कार : IIM जोका पीड़िता के पिता ने किया रेप के आरोपों से इनकार, कहा- ‘बेटी ठीक, वह आराम कर रही है’

जगदीश टाइटलर (फाइल फोटो)

1984 दंगे : टाइटलर के खिलाफ गवाही दर्ज, गवाह ने कहा- ‘उसके उकसावे पर भीड़ ने गुरुद्वारा जलाया, 3 सिखों को मार डाला’

नेशनल हेराल्ड घोटाले में शिकंजा कस रहा सोनिया-राहुल पर

‘कांग्रेस ने दानदाताओं से की धोखाधड़ी’ : नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी का बड़ा खुलासा

700 साल पहले इब्न बतूता को मिला मुस्लिम जोगी

700 साल पहले ‘मंदिर’ में पहचान छिपाकर रहने वाला ‘मुस्लिम जोगी’ और इब्न बतूता

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies