ईसाई बेटे डेविड ने हिंदू मां सरोज देवी का नहीं किया अंतिम संस्कार
May 12, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत दिल्ली

ईसाई बेटे डेविड ने हिंदू मां सरोज देवी का नहीं किया अंतिम संस्कार

by WEB DESK
Jun 8, 2021, 11:10 am IST
in दिल्ली
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

डेविड बने धीरेंद्र प्रसाद सिंह ने अपनी मृत मां का अंतिम संस्कार इसलिए नहीं किया कि वह बेटे और बहू से मार खाने के बाद भी ईसाई नहीं बनीं। नातिन श्वेता सुमन ने बोकारो से लगभग 1,100 किलोमीटर की दूरी तय कर ग्वालियर में अपनी नानी का किया अंतिम संस्कार

भारत में कन्वर्जन के धंधे में लगे ईसाई मत प्रचारक अपने संपर्क में आने वाले लोगों की मति इस तरह मार देते हैं कि वे भी अपने सगे-संबंधी को ईसाई बनाने के लिए हर हद पार कर देते हैं। गत दिनों ग्वालियर में एक ऐसा ही मामला सामने आया है। धीरेंद्र प्रसाद सिंह से डेविड बने एक व्यक्ति ने ईसाई न बनने पर अपनी मां के साथ ऐसी क्रूरता की कि वह इस दुनिया से चल बसी। उल्लेखनीय है कि 2 जून को ग्वालियर में सरोज देवी नामक एक महिला का निधन हो गया था। सरोज की नातिन श्वेता सुमन ने आरोप लगाया है कि उनकी नानी की मौत मामा डेविड की प्रताड़ना से हुई है। ईसाई बन जाने के बाद डेविड अपने माता-पिता के साथ महीनों बात भी नहीं करता था और कभी करता भी था तो उनका हाल-चाल लेने के बजाय उन पर ईसाई बनने का दबाव डालता था। इस दबाव के कारण ही डेविड के पिता राजेंद्र प्रसाद सिंह बीमार हुए और 2018 में उनकी मृत्यु हो गई। लेकिन डेविड इतना पक्का ईसाई हो गया था कि वह अपने पिता के अंतिम दर्शन के लिए भी नहीं पुहंचा। यही नहीं, उसने अपनी मां पर ईसाई बनने का दबाव और बढ़ा दिया। इस कारण उसकी मां अपनी बड़ी बेटी वीना प्रसाद के पास बोकारो (झारखंड) में रहने लगी। बरसों से मां से दूर रहने वाला डेविड नवंबर, 2019 में अचानक बोकारो पहुंचा और जिद करके अपनी मां को ग्वालियर ले गया। श्वेता कहती है, ‘‘ग्वालियर ले जाकर मामा ने नानी को एक तरह से घर पर कैद कर दिया। उन्हें किसी से मिलने नहीं दिया जाता था और जब भी मामा और मामी घर से बाहर जाते थे, तो बाहर से ताला बंद कर देते थे। कभी चोरी-छुपे वह फोन कर बताती थीं कि डेविड ईसाई बनने और चर्च जाने की जिद करता है, लेकिन मैं आजीवन हिंदू ही रहना चाहती हूं, मुझे बचा लो। वह मुझे मारता भी है। जब मामा को पता चला कि नानी हम लोगों को फोन करती हैं, तो उन्होंने उन्हें फोन देना ही बंद कर दिया। इस कारण उनसे बहुत दिनों तक बात भी नहीं हो पाती थी।’’

श्वेता ने यह भी बताया, ‘‘2 जून की दोपहर में नानी को एक मोबाइल मिला तो उन्होंने बताया कि डेविड ने आज भी मुझे मारा है। मुझे यहां से बोकरो ले जाओ, लेकिन हम लोग चाह कर भी उन्हें नहीं ला पाए, क्योंकि आज तक मामा ने ग्वालियर का अपना पता नहीं बताया था। नानी का बाहरी दुनिया से कोई संपर्क ही नहीं होने दिया जाता था, इसलिए उन्हें भी घर का पता मालूम नहीं था। फिर तीन जून को सूचना मिली कि नानी नहीं रहीं।’’

आरोप है कि जब डेविड को लगा कि अब उसकी मां नहीं बचेगी, तो वह उन्हें अस्पताल ले जाने लगा, लेकिन रास्ते में ही उनकी मौत हो गई। अस्पताल में डेविड ने कभी अपना नाम धीरेंद्र, तो कभी डेविड बताया। इससे उस पर शक हुआ और पुलिस को बुला लिया गया। फिर शव का पोस्टमार्टम किया गया। तब तक डेविड ने फोन करके श्वेता को मां की मौत की जानकारी दी और कहा कि शव को जल्दी ही दफना दिया जाएगा। इस पर श्वेता ने विरोध किया और उन्होंने ग्वालियर प्रशासन से संपर्क कर शव को सुरक्षित रखने का आग्रह किया। इसके बाद प्रशासन ने डेविड को शव नहीं दिया। चार जून को श्वेता ग्वालियर पहुंचीं और शव का अंतिम संस्कार करने की बात करने लगीं। इस पर डेविड ने कहा, ‘‘मैं ईसाई बन चुका हूं, इसलिए अपनी मां का अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाज से नहीं करूंगा। सब कुछ ईसाई रीति-रिवाज से होगा।’’ विवाद बढ़ा तो श्वेता ने ग्वालियर के जिलाधिकारी की मदद ली। इसके बाद प्रशासन ने मामले को सुलझाया। फिर डेविड अस्पताल से अपना घर चला गया और श्वेता कुछ समाजसेवियों के सहयोग से नानी के शव को लेकर ग्वालियर स्थित मुक्तिधाम पहुंचीं। वहां उन्होंने शव का अंतिम संस्कार किया। श्वेता ने ही मुखाग्नि दी। श्वेता कहती हैं, ‘‘कन्वर्जन के कारण मेरा पूरा परिवार बिखर गया है या यह भी कह सकते हैं कि नष्ट हो गया है। कन्वर्जन रूपी विषैले सांप ने मेरे परिवार को खत्म कर दिया। इस सांप को कुचलने की जरूरत है।’’
बता दें कि श्वेता की मां वीना प्रसाद का भी चार मई को कोरोना के कारण निधन हो गया है। श्वेता कहती हैं, ‘‘एक महीने के अंदर मां और नानी ने हम लोगों को छोड़ दिया। इसके बावजूद मेरे मामा डेविड का दिल नहीं पिघला। उन्होंने हमें सांत्वना तक नहीं दी। आखिर ये ईसाई किस तरह का इंसान बनाना चाहते हैं?’’
अब श्वेता के अलावा घर में दो ही लोग हैं-एक उनके पिता और दूसरी उनकी छोटी बहन।

धीरेंद्र कैसे बना डेविड
धीरेंद्र के पिता राजेंद्र प्रसाद सिंह बोकारो स्थित भेल कंपनी में कार्यरत थे। वीना, रेखा और ऊषा इन तीन बहनों का एक मात्र भाई धीरेंद्र है। पिता चाहते थे कि धीरेंद्र पढ़-लिखकर बड़ा आदमी बने। इसलिए उन्होंने बोकारो के एक अच्छे स्कूल में धीरेंद्र का दाखिला करा दिया। इसके बाद 2007-08 में एमबीए करने के लिए धीरेंद्र को जोधपुर (राजस्थान) भेजा गया। इसी दौरान वह अपनी सबसे छोटी बहन ऊषा, जो इंदौर में रेलवे में नौकरी करती थी, के पास आने-जाने लगा। उन दिनों ऊषा वहां के कुछ ईसाइयों के संपर्क में आ चुकी थी। इसलिए धीरेंद्र भी उन लोगों के संपर्क में आ गया। कुछ दिन बाद ऊषा की मति ऐसी मारी गई कि उसने नौकरी छोड़ दी और एक दक्षिण भारतीय ईसाई टायटस से विवाह कर लिया। कहा जा रहा है कि ऊषा और टायटस इन दिनों बस्ती (उ.प्र.) में रहकर कन्वर्जन का काम करते हैं। ऊषा ने ही अपने भाई धीरेंद्र को ईसाई बनाया। जब ऊषा ईसाई बनी थी तो उसके माता-पिता बहुत परेशान हुए थे। उन लोगों ने उसकी घरवापसी की पूरी कोशिश की, लेकिन ऊषा ने किसी की बात नहीं मानी। ऊषा के ईसाई बन जाने से पिता राजेंद्र प्रसाद टूट गए और परिणाम यह हुआ कि वे बीमार रहने लगे। इसके कुछ साल बाद ही धीरेंद्र भी ईसाई बन गया तो बीमार राजेंद्र और अस्वस्थ होते गए। बोकारो, बेंगलूरू और कोलकाता में उनका कई वर्ष तक इलाज चला, लेकिन उनकी स्थिति संभली नहीं और 2018 में वे चल बसे।

कन्वर्जन के कारण मेरा पूरा परिवार बिखर गया है या यह भी कह सकते हैं कि नष्ट हो गया है। मेरे मौसा टायटस 2016 से कई बार कह चुके हैं कि 25,00,000 रु. लेकर परिवार के सभी लोग ईसाई बन जाओ। कन्वर्जन रूपी विषैले सांप ने मेरे परिवार को खत्म कर दिया। इस सांप को कुचलने की जरूरत है।
-श्वेता सुमन, बोकारो

इतना होने के बाद भी धीरेंद्र और ऊषा नहीं माने। उन दोनों ने रेखा को भी ईसाई बनाने की कोशिश की, लेकिन उसके पति ने उन दोनों का जबर्दस्त विरोध किया। इसके बाद इन दोनों ने रेखा और उसके पति के बीच झगड़ा करवा दिया। झगड़े से तंग आकर रेखा को उसके पति ने छोड़ दिया है। तब से रेखा भी अपनी मां के साथ बोकारो में रहती थी। 2019 में मां के साथ रेखा को भी धीरेंद्र ग्वालियर ले गया था। श्वेता के अनुसार डेविड के अत्याचारों से रेखा का मानसिक संतुलन बिगड़ गया है। यह भी जानकारी मिली है कि डेविड ने छह महीने पहले ही एक मुस्लिम लड़की को ईसाई बनाने के बाद उसके साथ विवाह किया है। डेविड की पत्नी अपनी सास और ननद रेखा की पिटाई करती थी। श्वेता के अनुसार जब से मामा ने विवाह किया है, तब से नानी का जीवन नरक के समान हो गया था। जब भी बात होती थी नानी कहती थी कि बहू खाने नहीं देती है और कुछ कहने पर मारती है।
श्वेता ने यह भी बताया कि उसके मौसा टायटस 2016 से कई बार कह चुके हैं कि 25,00,000 रु. लेकर परिवार के सभी लोग ईसाई बन जाओ। उल्लेखनीय है कि श्वेता कुर्मी जाति से आती हैं। झारखंड में चर्च से जुड़े कई ऐसे संगठन हैं, जो पिछले कुछ वर्षों से कुर्मी जाति के लोगों को भड़का रहे हैं कि आप लोग सनातनी नहीं हैं, बल्कि प्रकृति-पूजक हैं। ऐसा इसलिए किया जा रहा है कि उन्हें आसानी से कन्वर्ट किया जा सके। इसका एक उदाहरण श्वेता का परिवार है। इसलिए श्वेता यह भी कहती हैं कि ईसाई संगठनों के पास इतना पैसा कहां से आता है, इसकी भी जांच होनी चाहिए।

-अरुण कुमार सिंह

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

ऑपरेशन सिंदूर के बाद असम में कड़ा एक्शन : अब तक 53 पाकिस्तान समर्थक गिरफ्तार, देशद्रोहियों की पहचान जारी…

jammu kashmir SIA raids in terror funding case

कश्मीर में SIA का एक्शन : पाकिस्तान से जुड़े स्लीपर सेल मॉड्यूल का भंडाफोड़, कई जिलों में छापेमारी

बागेश्वर बाबा (धीरेंद्र शास्त्री)

पाकिस्तान बिगड़ैल औलाद, जिसे सुधारा नहीं जा सकता : पंडित धीरेंद्र शास्त्री

शतरंज खेलना हराम है… : तालिबान ने जारी किया फतवा, अफगानिस्तान में लगा प्रतिबंध

चित्र प्रतीकात्मक नहीं है

पाकिस्तान पर बलूचों का कहर : दौड़ा-दौड़ाकर मारे सैनिक, छीने हथियार, आत्मघाती धमाके में 2 अफसर भी ढेर

प्रतीकात्मक चित्र

पाकिस्तान में बड़ा हमला: पेशावर में आत्मघाती विस्फोट, बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सैनिकों के हथियार छीने

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

ऑपरेशन सिंदूर के बाद असम में कड़ा एक्शन : अब तक 53 पाकिस्तान समर्थक गिरफ्तार, देशद्रोहियों की पहचान जारी…

jammu kashmir SIA raids in terror funding case

कश्मीर में SIA का एक्शन : पाकिस्तान से जुड़े स्लीपर सेल मॉड्यूल का भंडाफोड़, कई जिलों में छापेमारी

बागेश्वर बाबा (धीरेंद्र शास्त्री)

पाकिस्तान बिगड़ैल औलाद, जिसे सुधारा नहीं जा सकता : पंडित धीरेंद्र शास्त्री

शतरंज खेलना हराम है… : तालिबान ने जारी किया फतवा, अफगानिस्तान में लगा प्रतिबंध

चित्र प्रतीकात्मक नहीं है

पाकिस्तान पर बलूचों का कहर : दौड़ा-दौड़ाकर मारे सैनिक, छीने हथियार, आत्मघाती धमाके में 2 अफसर भी ढेर

प्रतीकात्मक चित्र

पाकिस्तान में बड़ा हमला: पेशावर में आत्मघाती विस्फोट, बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सैनिकों के हथियार छीने

स्वामी विवेकानंद

इंदौर में स्वामी विवेकानंद की विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा होगी स्थापित, मुख्यमंत्री मोहन यादव ने किया भूमिपूजन

भारत की सख्त चेतावनी, संघर्ष विराम तोड़ा तो देंगे कड़ा जवाब, ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान के 3 एयर डिफेंस सिस्टम ध्वस्त

Operation sindoor

थल सेनाध्यक्ष ने शीर्ष सैन्य कमांडरों के साथ पश्चिमी सीमाओं की मौजूदा सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की

राष्ट्र हित में प्रसारित हो संवाद : मुकुल कानितकर

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies