सर्वोच्च न्यायालय ने फरीदाबाद के खोरी गांव में अरावली वन क्षेत्र में अवैध रूप से बने 10,000 घरों को तोड़ने का आदेश दिया है। फरीदाबाद नगर निगम और स्थानीय पुलिस को 6 सप्ताह में बेदखली के आदेश पर अमल करने करना होगा।
सर्वोच्च न्यायालय ने हरियाणा के खोरी गांव में अवैध रूप से बने करीब 10,000 घरों को तोड़ने का आदेश दे दिया है। ये घर अरावली वन क्षेत्र में अतिक्रमण कर बनाए गए हैं। साथ ही, फरीदाबाद ने फरीदाबाद नगर निगम और स्थानीय पुलिस (फरीदाबाद) को छह सप्ताह के भीतर बेदखली का आदेश सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 27 जुलाई को होगी।
फरीदाबाद के खोरी गांव में अवैध रूप से निर्मित लगभग 10,000 घरों को तोड़ने पर रोक लगाने की मांग करने वाली एक याचिका पर सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने यह आदेश दिया। हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण पुनर्वास नीति को चुनौती देते हुए संविधान के अनुच्छेद-32 के तहत यह रिट याचिका दायर की गई थी। इसमें दावा किया गया है कि फरीदाबाद नगर निगम ने कथित तौर पर उचित प्रक्रिया और कानून का पालन किए बिना 1700 झुग्गियों को ध्वस्त कर दिया था। इस पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की अध्यक्षता वाली पीठ ने इन अवैध निर्माणों की बेदखली पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा कि भूमि हथियाने वाले कानून के शासन की शरण नहीं ले सकते। न्यायालय ने अपने फैसले में कहा, “हमारी राय में याचिकाकर्ता फरवरी 2020 और अप्रैल 2021 में उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देशों से बंधे हुए हैं। वन भूमि के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता है।”
सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि फरीदाबाद नगर निगम फरवरी 2020 के आदेश के अनुसार आगे बढ़ेगा और राज्य सरकार निगम को बेदखली के आदेश को पूरा करने और वन भूमि पर से अतिक्रमण हटाने के लिए जरूरी सहायता देगी। इसके अलावा, शीर्ष अदालत ने बेदखली प्रक्रिया में निगम अधिकारियों को पुलिस सुरक्षा प्रदान करने की जिम्मेदारी फरीदाबाद के डीसीपी को सौंपी है।
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