केरल की पूर्व स्वास्थ्य मंत्री कामरेड के.के. शैलजा का राहुल-प्रियंका के मंदिर जाने पर तीखा वार। केरल के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को राज्य की ‘सेुकलर छवि’ बनाए रखने को कहा
पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान ऐसे दृश्य खूब देखने में आए थे जब राहुल गांधी और उनकी बहन प्रियंका वाडरा मंदिरों में मत्थे टेकते घूम रहे थे। कांग्रेस के ‘युवराज’ का वह वीडियो भी खूब वायरल हुआ था जिसमें वह धोती में असहज नजर आ रहे थे, बार—बार नीचे खिसकती अपनी धोती को ठीक कर रहे थे, या प्रियंका विंध्यवासिनी मंदिर में लाल ओढ़नी ओढ़ाए जाने पर असहज महसूस कर रही थीं। कांग्रेस कुनबे के इन चुनावी पैंतरों के बावजूद जनता ने उन्हें नकार दिया और बुजुर्ग पार्टी की करार हार हुई, लगभग हर जगह। ‘युवराज’ को तो अपनी ‘परंपरागत’ अमेठी सीट छोड़कर केरल की मुस्लिम बहुल वायनाड सीट से चुनाव लड़ना पड़ा जहां जिहादी तत्व खुलकर हिन्दुत्व का विरोध करते हैं, राहुल के पोस्टर लगाकर, हरे झंडे लेकर सड़क पर गाय काटते हैं, जो उनके अनुसार, ‘प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की अनुमति से’ किया गया कृत्य था।
इन भाई—बहन के पैंतरों पर कल केरल की पूर्व स्वास्थ्य मंत्री शैलजा ने तीखा कटाक्ष किया है। मार्क्सवादी शैलजा ने उसमें कम्युनिस्टों का पसंदीदा सेकुलर तड़का लगाया है। उन्होंने कहा है कि ‘राहुल गांधी और उनका परिवार मंदिरों में जाकर देश को बर्बाद कर रहे हैं। उन्हें यह ‘नौटंकी’ बंद कर देनी चाहिए।’ शैलजा ने कहा कि ‘गांधी एक से दूसरे मंदिर जाते हैं, जबकि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए क्योंकि भारत एक सेक्युलर देश है।’ धुर सेकुलर और हिन्दुत्व विरोधी शैलजा ने मंदिरों में जाने को ‘सेकुलरवाद के विरुद्ध’ मानते हुए केरल प्रदेश कांग्रेस से केरल को सेक्युलर बनाए रखने के लिए यह सब नौटंकी बंद करने की अपील की। हालांकि शैलजा ने उन नेताओं के बारे में कुछ नहीं कहा जो चुनावों के वक्त मस्जिदों और चर्च में जाकर खुद को खुलकर उन मत—पंथों का अनुयायी कहते हैं और उन मत—पंथों के लोगों को आरक्षण देने की वकालत करते हैं।
लेकिन उस केरल में कम्युनिस्टों से क्या उम्मीद की जाए जो खुद को गर्व से नास्तिक बताने वाले कम्युनिस्टों को मंदिरों की व्यवस्था देखने वाले राज्य के पांच देवासम बोर्ड के प्रभारी बनाते हैं, जिन्हें धर्म—आस्था से कोई सरोकार नहीं होता। ऐसे ही लोग सबरीमला जैसे प्रकरणों में हिन्दू विरोधी फैसले लेते हैं।
राज्य की करीब 54 प्रतिशत हिन्दू आबादी से सौतेला व्यवहार किया जाता रहा है, सरकार चाहे एलडीएफ की रही हो या यूडीएफ की। देवासम बोर्ड हिन्दू मंदिरों में दान से प्राप्त होने वाली राशि से मुस्लिमों और ईसाइयों के लिए योजनाएं बनाते हैं, उन्हें सरकार से बात—बेबात अनुदान देते हैं। जबकि दूसरी ओर, मस्जिदों और चर्च से सरकार एक कौड़ी नहीं वसूल कर सकती।
बहरहाल, शैलजा के उक्त बयान के बाद त्रिप्पुनितुरा के कांग्रेसी विधायक के. बाबू ने विधानसभा अध्यक्ष से गुहार लगाई है कि वे बताएं कि क्या मंदिर जाना अपराध है? राहुल गांधी द्वारा मुस्लिम तुष्टीकरण के आरोप से बचने के लिए जो मंदिरों में जाने की शैलजा के शब्दों में, ‘नौटंकी’ की गई, उसे चुनावी पंडितों ने भी नौटंकी ही बताया था।
शैलजा कोरोना की पहली लहर के दौरान प्रदेश की स्वास्थ्य मंत्री थीं। उनके काम को ‘केरल मॉडल’ कहकर सेकुलर मीडिया ने खूब उछाला था। अखबारों ने उनकी शान में कसीदे काढ़े गए थे। लेकिन आज? आज जो केरल में नई वाममोर्चा सरकार बनी है उसमें शैलजा को ठेंगा दिखा दिया गया। उन्हीं की पार्टी को वह स्वास्थ्य मंत्री के पद के लायक नहीं लगीं।
-आलोक गोस्वामी
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