इजरायल में इसाक हर्जोग के रूप में नए राष्ट्रपति का चुनाव हो गया है। इसी के साथ लंबे समय से सत्ता में बने रहने वाले बेंजामिन नेतन्याहू की विदाई तय है, क्योंकि उनके खिलाफ विपक्षी दल एकजुट हो गए हैं। विपक्षी दलों के गठबंधन ने नई सरकार के गठन की मंजूरी भी दे दी है। इसके बाद नेफ्ताली बेनेट का प्रधानमंत्री बनना तय माना जा रहा है। नेफ्ताली की अगुवाई वाली यामिना पार्टी के पास 6 सांसद हैं। नेतन्याहू की संभावित विदाई से मुस्लिम देश, खासकर ईरान बहुत खुश है। ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद जरीफ ने सार्वजनिक तौर अपनी खुशी का इजहार किया है।
इजरायल की 120 सदस्यों वाली संसद नेसेट में मंगलवार को हुए गुप्त मदान में लेबर पार्टी के पूर्व मुखिया 60 वर्षीय इसाक हर्जोग को राष्ट्रपति चुना गया। मतदान से पहले ही उनके जीत की संभावना जताई जा रही थी। अनुभवी राजनेता और इजरायल के प्रमुख यहूदी परिवार से संबंध रखने वाले विपक्ष के नेता हर्जोग के खिलाफ शिक्षाविद मिरियम पेरेत्ज मैदान में थीं। वे मौजूदा राष्ट्रपति रुवेन रिवलिन की जगह लेंगे, जिनका कार्यकाल जुलाई में समाप्त होगा। बता दें कि हरजोग 2013 में प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के विरुद्ध संसदीय चुनाव हार गए थे।
विपक्ष का जोड़-तोड़ सफल
बीते दो साल में इजरायल में चार बार आम चुनाव हो चुके हैं, लेकिन किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला है। इस साल मार्च में हुए संसदीय चुनाव में नेतन्याहू की लिकुड पार्टी के पास बहुमत तो नहीं था, लेकिन दूसरी सबसे बड़ी पार्टी होने के कारण राष्ट्रपति रुवेन रिवलिन ने उन्हें सरकार बनाने का न्योता दिया। उन्हें 2 जून तक बहुमत साबित करना था, जिसमें वे असफल रहे। बीते 12 वर्षों से सत्ता पर काबिज नेतन्याहू इन दिनों भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे हैं। उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के कई मामलों की सुनवाई चल रही है। बहुमत साबित करने में असफल रहने के बाद समूचा विपक्ष उन्हें हटाने के लिए एकजुट हो गया है। 8 विपक्षी दलों के गठबंधन में दक्षिणंपथी रुझान वाली यामिना पार्टी, मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करने वाली राम पार्टी और मध्यमार्गी येश एटिड पार्टी शामिल है। लेकिन विपक्ष की जोड़-तोड़ की राजनीति में यामिना पार्टी के मुखिया नेफ्ताली प्रमुख दावेदार के रूप में उभर कर सामने आए और विपक्षी दलों को उन्हें प्रधानमंत्री का पद देना पड़ा।
गठबंधन दलों के विचार अलग-अलग
इजराजयल की आंतरिक और विदेश नीति के लिहाज से इस राजनीतिक बदलाव ठीक नहीं माना जा रहा है। इसका कारण यह है कि विपक्ष के गठबंधन में आठ दल शामिल हैं और सबकी विचारधारा अलग-अलग है। अमेरिका, ईरान, फिलिस्तीन, हमास, लेबनान, हिजबुल्लाह, गजापट्टी जैसे गंभीर मुद्दों पर भी इनके विचार अलग हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि इसमें इजरायली अरब मुसलमानों की अगुवाई करने वाली राम पार्टी भी शामिल है, जो यह मानती है कि इजरायल को यरुशलम पर से दावा छोड़ कर नई कॉलोनी बनाने की कोशिश पर विराम लगा देना चाहिए। साथ ही, यह इस बात की पक्षधर है कि फिलिस्तीनियों को उनका अधिकार मिलना चाहिए।
सबसे ज्यादा खुश है ईरान
इजरायल की सत्ता से नेतन्याहू की संभावित विदाई से ईरान बहुत खुश है। ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद जरीफ ने खुशी जताते हुए ट्वीट किया है। जरीफ ने लिखा है, ‘‘नेतन्याहू अपने ईरान विरोधी सह-साजिशकर्ताओं पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, बोल्टन और पोम्पियो की शर्मनाक यात्रा में शामिल हो गए थे, जिन्हें ‘इतिहास के कूड़ेदान’ में डाल दिया गया। ईरान अब और तन कर खड़ा है। यह नियति कई सहस्राब्दियों से उन सभी लोगों के लिए दोहराई गई है, जो ईरानियों को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं। अब कार्यप्रणाली बदलने का समय है।’’
-web desk
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