पाकिस्तान में इमरान खान की सरकार जो विपक्ष के हमलों के आगे बैकफुट पर आ चुकी ही साथ ही साथ इस महामारी के दौर में महंगाई और बेरोजगारी के चलते पाकिस्तान की जनता अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है, ऐसे में पाकिस्तान की सरकार अपनी छवि को चमकाने के लिए भ्रष्ट तरीकों का सहारा लेने से भी नहीं चूक रही
पाकिस्तान सरकार के आधिकारिक बयान के अनुसार सरकार के कोरोनावायरस टीकाकरण अभियान को एक बड़ा बढ़ावा देने के लिए कोविड -19 वैक्सीन ‘पाकवैक’वैक्सीन को विकसित किया गया है| मंगलवार को आयोजित एक कार्यक्रम में ‘पाकवैक’ को लॉन्च किया गया, जिसमें पाकिस्तान के योजना मंत्री असद उमर जो राष्ट्रीय कमान और संचालन केंद्र (एनसीओसी) के प्रमुख भी है के साथ राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवाओं पर प्रधान मंत्री के विशेष सहायक डॉ फैसल सुल्तान जैसे महत्वपूर्ण लोग उपस्थित थे।
उल्लेखनीय है कि इस समारोह को संबोधित करते हुए, उमर ने कहा कि यह दिन देश के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है, और पूरे देश को उस टीम पर ‘गर्व’ है जिसने ‘वैक्सीन विकसित की’ है। सरकार की और से यह बताया जा रहा है कि, यह वैक्सीन चीन के कैनसिनो बायो की मदद से विकसित की गई है और अब इसे पाकिस्तान में उपयोग के लिए लांच किया गया है|
वैक्सीन की हकीकत!
वास्तविकता में पाकिस्तान सरकार का दावा एकदम मिथ्या है| PakVac को चीन की सरकारी दवा कंपनी ”CanSino Bio” द्वारा विकसित किया है। पाकिस्तान के अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के अनुसार इसे तैयार और सांद्रित रूप में पाकिस्तान लाया गया है , और इस्लामाबाद में स्थित नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ हेल्थ (एनआईएच) में इसकी रिपैकिंग की गई है| और भविष्य में भी इसी पद्धति को अमल में लाया जाना है|
चीन के सरकारी मीडिया पोर्टल सिन्हुआ के अनुसार CanSino के तकनीकी समर्थन के द्वारा पाकिस्तान के एनआईएच ने हाल ही में चीन से खरीदे गए थोक वैक्सीन का उपयोग करते हुए कैनसिनो वैक्सीन की सिंगल डोज की 120,000 से अधिक डोज को भरा और पैक किया है| सिन्हुआ आगे बताता है कि CanSino वैक्सीन को CanSino Biologics Inc. और चीन में सैन्य विज्ञान अकादमी द्वारा विकसित किया गया है । और अभी उपयोग से पहले वैक्सीन के तीसरे चरण का परीक्षण पाकिस्तान में किया गया था और यह ‘दूसरा चीनी COVID-19 वैक्सीन’ है जिसे पाकिस्तान ने देश में आपातकालीन उपयोग के लिए अनुमोदित किया गया है।
अर्थात वास्तविकता में CanSino चीन में विकसित पहला ऐसा चीनी टीका है जिसका क्लिनिकल परीक्षण पाकिस्तान के लोगों पर किया गया, और इस खतरे को झेलने के एवज में पाकिस्तान ने सह विकासकर्ता का तमगा पहन लिया |
पाकिस्तान ने फरवरी में चीन द्वारा दान किए गए सिनोफार्म शॉट्स के साथ कोविड -19 टीकाकरण अभियान शुरू किया। इसके साथ साथ वह चीन में निर्मित सिनोवैक का आयात भी कर रहा है| परन्तु पाकिस्तान के शहरी व प्रबुद्ध वर्ग में चीनी वैक्सीन को संदेह की दृष्टि से देखा जा रहा है, जो उसके वैश्विक रिकॉर्ड को देखते हुए तर्कसंगत ही है| हालांकि पाकिस्तान ने फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन के आयात को भी अनुमति दी है परन्तु पाकिस्तान की खस्ता आर्थिक हालत के चलते यह संभव नहीं दीखता कि वह अपने जन वैक्सीनेशन अभियान में इस व्यय को सहन करने की स्थिति में है|
पाकिस्तान का अपने जनसाधारण के प्रति उपेक्षापूर्ण रुख अमानवीयता की हद तक है| अपने वैक्सीनेशन के आंकड़ों में बढ़ोतरी के लिए उनके स्वास्थ्य से खिलवाड़ उसके लिए साधारण बात है| दुनिया भर में चीनी वैक्सीन की कार्यक्षमता संदेहास्पद मानी जा रही है ऐसे में एक नई और कड़े ट्रायल से गुजरे बगैर किसी वैक्सीन को स्वदेशी उत्पाद के रूप में प्रस्तुत कर जनता को गुमराह करना आपराधिक कृत्य है| विज्ञान और नवीन तकनीक के विकास में पाकिस्तान का रिकॉर्ड हास्यास्पद ही रहा है| चीन और उत्तर कोरिया से आयात की गई मिसाइल्स को गजनी, गौरी और बाबर जैसे अनेकों लेबल चिपका कर वह अपना विकास दिखाने की कोशिश करता आया है| सामूहिक विनाश के हथियारों के बाद अब यही ढर्रा वैक्सीन के साथ देखने में आ रहा है, परन्तु पाकिस्तान को सोचना चाहिए इस बार उसके खुद के नागरिकों का जीवन दांव पर लगा है।
-एस वर्मा
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