असम के मुख्यमंत्री ने बताया कि कांग्रेस में चापलूसी इस हद तक है कि कांग्रेस के बड़े नेता तक पिडी की झूठी प्लेट से बिस्किट खाने में शर्म नहीं महसूस करते। राहुल ने राजनीतिक विषयों से ज्यादा अपने कुत्ते से खेलने को महत्व दिया
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा अपनी कर्मठता, स्पष्ट बायनों और बेबाकी के लिए जाने जाते हैं। प्रदेश में उनकी छवि साफ—सुथरी और बातें कम, काम ज्यादा करने वाले नेता की है। उनकी लोकप्रियता लगातार बढ़ती गई है। हाल ही में एक बातचीत में उन्होंने राहुल गांधी की कार्यशैली, कांग्रेस की संस्कृति और कांग्रेसी नेताओं की कुनबे के सामने बोलती बंद रहने की एक घटना सुनाई। यह घटना उनकी पूर्व पार्टी कांग्रेस से उनके बाहर निकलने की वजहों की भी झलक देती है। उल्लेखनीय है कि 2015 में भाजपा में आने से पहले वे असम में कांग्रेस के बड़े नेताओं में गिने जाते थे।
असम के मुख्यमंत्री ने ‘इंडियन एक्सप्रेस’ के ‘एक्सप्रेस अड्डा’ कार्यक्रम में उस बैठक में जो कुछ हुआ उसका विस्तार से खुलासा किया। हालांकि वे कहते हैं कि उस बैठक के बारे में बात करते हुए वे इतने प्रसन्न हैं जितना कोई और नहीं हो सकता। उन्होंने बताया कि वह बैठक अकेले में नहीं, बल्कि गुलाम नबी आज़ाद और मल्लिकार्जुन खड़गे जैसे वरिष्ठ नेता भी चर्चा में शामिल थे। सरमा ने बताया कि बैठक में जब राहुल गांधी की मौजूदगी में कोई मुद्दा उठा रहे थे तो राहुल ने बड़ी बेफिक्री वाले रवैए से कहा—’सो व्हाट’? उनके अनुसार राहुल राज्य में आने वाले चुनावों में कांग्रेस के जीतने की तैयारियों और चुनौतियों के बारे में बेमन से सुनते रहे थे, फिर बाद में बोले—’सो व्हाट’! जब भी हिमंत कुछ कहने की कोशिश करते, जवाब मिलता—’सो व्हाट’। सरमा इसे ‘सामंती संस्कृति’ बताते हैं। यही संस्कृति है देश की सबसे वयोवृद्ध पार्टी में। यानी इससे यह भी समझ आता है कि राहुल में राजनीतिक समझ कितनी है। सरमा की मानें तो वे उनसे सोनिया गांधी की सलाह पर ही मिलने गए थे। उस बैठक में उनके साथ तरुण गोगोेई और राज्य के तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष अंजन दत्ता भी थे।
उस बैठक के बाद ही सरमा को समझ आ गया कि अब वे इस पार्टी में नहीं रह सकते। और वे धन्यवाद देते हैं उस बैठक का, क्योंकि उसके बाद कांग्रेस को छोड़कर वे भाजपा में आए और आज राज्य के मुख्यमंत्री हैं। कांग्रेस को छोड़ने से पहले एक वर्ष तक उनकी पार्टी से खींचतान चलती रही थी, उन्होंने इस्तीफा दिया तो सोनिया गांधी ने ही उन्हें राहुल से मिलने की ‘सलाह’ दी थी। और फिर जो बैठक हुई, उसकी बदौलत, उनके अनुसार वे आज असम के मुख्यमंत्री हैं और राज्य के लोगों की सेवा का उन्हें दायित्व मिला है।
‘सो व्हाट’ के अलावा और क्या हुआ था बैठक में? इसका खुलासा करते हुए हिमंत बिस्व सरमा बताते हैं, जब भी वे राहुल गांधी के सामने कोई मुद्दा उठाते या कोई बात रखते, तो जवाब मिलता—’सो व्हाट’! उन्होंने बताया कि 20 मिनट की उस बैठक में उन्होंने कम से कम 50 बार यही ‘सो व्हाट’ सुना।
उस दौरान असम में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में भाजपा को हराने की रणनीति पर चर्चा होनी थी। हिमंत बैठक में पार्टी के हित की बात कर रहे थे। लेकिन, राहुल को उसमें कोई रुचि ही नहीं थी। वे तो अपने कुत्ते ‘पिडी’ के साथ खेलते रहे। बैठक के दौरान सबके लिए चाय-कॉफी आई। राहुल के कुत्ते ने टेबल पर जाकर प्लेट से एक बिस्किट लिया और खाने लगा। राहुल गांधी ने हिमंत की तरफ देखा और मुस्कुराने लगे। हिमंत सोच में पड़ गए कि वे उन्हें देख कर मुस्कुरा क्यों रहे हैं?
दरअसल, सरमा इंतजार में थे कि कुत्ते की झूठी प्लेट हटाकर दूसरी प्लेट में बिस्किट लाए जाएंगे। उन्होंने पांच मिनट इंतजार किया, लेकिन फिर देखा कि गोगोई और सीपी जोशी जैसे वरिष्ठ नेता उसी प्लेट से बिस्किट उठा कर खा रहे थे। सरमा को लगा, ये शायद यहां आम बात है। लेकिन सरमा को अहसास हो गया कि अब वे उस आदमी यानी राहुल के साथ काम नहीं कर सकते। और पार्टी छोड़ दी उन्होंने।
इसके बाद, 2015 में उनके भाजपा में शामिल होने के बाद पूरे उत्तर-पूर्व की राजनीति में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला। कांग्रेस वहां सभी राज्यों से विदा हो गई। आज असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, नागालैंड, मेघालय, त्रिपुरा, मिजोरम और सिक्किम यानी आठों राज्यों में भाजपा की गठबंधन सरकारें कार्यरत है।
-आलोक गोस्वामी
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