स्विट्जरलैंड जाने के लिए पैदल ही भारत से निकला तेलंगाना का प्रशांत जा पहुंचा पाकिस्तानी जेल में। उसने बताया, वहां भारत के दूसरे राज्यों के कई कैदी काट रहे हैं वर्षों से सजा
पैसे न होने के कारण पैदल ही स्विट्जरलैंड के लिए रवाना हुआ तेलंगाना का सॉफ्टवेयर इंजीनियर प्रशांत वादिनम स्विट्जरलैंड तो नहीं पहुंचा पर गैरकानूनी तरीके से सीमा पार करते हुए उसे पाकिस्तान रेंजर्स ने पकड़ लिया। वह जा पहुंचा पाकिस्तानी जेल में। मूलत: विशाखापत्तनम के प्रशांत को चार साल पाकिस्तानी जेल में काटने के बाद गत 31 मई को उसे पाकिस्तानी पुलिस ने वाघा सीमा पर भारतीय अधिकारियों को सौंपा। 2 जून को प्रशांत आखिरकार अपने घर पहुंचा और परिवार वालों से मिला।
घटनाक्रम के अनुसार, चार साल पहले 11 अप्रैल 2017 को वह लापता हो गया तो उसके परिवार ने 29 अप्रैल को उसकी गुमशुदगी की मढ़ापुर थाने में रिपोर्ट लिखाई। पुलिस ने बहुत ढूंढा पर उसका कहीं पता नहीं चला। और चार साल बाद पाकिस्तानी जेल से रिहा होने के बाद वह फिर से परिवार से मिल पाया। पता चला है कि, तेलंगाना सरकार के भारत के विदेश और गृह मंत्रालय से समन्वय और प्रयासों के बाद प्रशांत की वापसी संभव हुई है।
प्रशांत की कहानी बस इतनी ही नहीं है। उसके परिजनों को जब पता चला कि वह पाकिस्तान की जेल में बंद है। तो स्वाभाविक ही परिजन हैरान रह गए कि प्रशांत पाकिस्तान पहुंच कैसे गया। बताया गया कि वह गैरकानूनी तरीके से सीमा पार करके पाकिस्तान में दाखिल हुआ था। साइबराबाद पुलिस के अनुसार प्रशांत की किसी निजी कारण से स्विट्जरलैंड जाने की इच्छा थी, लेकिन उसके लायक पैसे नहीं थे उसके पास। पर उसने ठान लिया था कि वहां जाएगा तो वह पैदल ही स्विट्जरलैंड जाने को निकला था। भारत-पाकिस्तान सीमा पर जाकर तारों की बाढ़ फलांगने के बाद वह पाकिस्तान में दाखिल हो गया। और वहां पकड़ लिया गया।
प्रशांत तो चार साल बाद घर लौट आया लेकिन, ऐसे अनेक भारतीय हैं, जो कई सालों से पाकिस्तानी जेलों में बंद हैं और रिहाई का कोई ओर—छोर नहीं दिख रहा है। खुद प्रशांत ने रिहाई के बाद मीडिया से बात करते हुए बताया, ”वहां मैंने अपने जैसे कई लोग देखे, जो दूसरे राज्यों से हैं और कई सालों से कैद हैं। एक बार वहां पहुंचने के बाद लौटना बहुत मुश्किल है। मुझे ही यकीन नहीं था कि मैं कभी लौट पाउंगा।” प्रशांत के इस कथन से पता चलता है कि पाकिस्तानी जेलों में भारतीयों की कैसी दुर्दशा है। उम्मीद है, इस बारे में संबंधित अधिकारी ध्यान देंगे।
-आलोक गोस्वामी
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