पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बार-बार झूठ बोलकर केंद्र सरकार को नीचा दिखाने की कोशिश करती हैं। पहले उन्होंने आरोप लगाया था कि कोरोना संकट पर बुलाई गई बैठक में उन्हें बोलने नहीं दिया गया। अब कह रही हैं कि वे तूफान समीक्षा बैठक के लिए समय पर पहुंच गई थीं, लेकिन उन्हें 20 मिनट इंतजार कराया गया।
केंद्र सरकार के साथ टकराव पर आमादा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली समीक्षा बैठक में प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ाईं। फिर विवादों में घिरे मुख्य सचिव अलपन बंद्योपाध्याय को लेकर भी केंद्र सरकार को गुमराह किया।
केंद्रीय अधिकारियों ने बताया कि चक्रवाती तूफान यास से होने वाले नुकसान का जायजा लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को पश्चिम बंगाल के कलईकुंडा गए थे। यहां उन्हें ममता बनर्जी के साथ समीक्षा बैठक करनी थी। ममता आधा घंटा बाद बैठक में पहुंचीं और प्रधानमंत्री से भेंट करने के बाद तुरंत दीघा के लिए निकल गईं। वे समीक्षा बैठक में शामिल भी नहीं हुईं। हालांकि ममता बार-बार कह रही हैं कि जाने से पहले उन्होंने प्रधानमंत्री से अनुमति ली थी, लेकिन केंद्रीय अधिकारियों का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें बैठक छोड़ने की अनुमति नहीं दी थी। सूत्रों ने कहा, ‘‘यह स्पष्ट है कि ममता बनर्जी का इंतजार करने वाला बयान पूरी तरह से झूठा है, बल्कि उन्होंने प्रधानमंत्री को इंतजार कराया। दरअसल, ममता बनर्जी ने राज्य के मुख्य सचिव की सेवानिवृत्ति से पहले उन्हें तीन माह के लिए सेवा विस्तार देने का अनुरोध किया था। लेकिन केंद्र सरकार से इसकी मंजूरी मिलने के कुछ ही घंटे बाद उन्होंने यू-टर्न ले लिया।’’ .
ममता के 20 मिनट इंतजार का दावा झूठा
सूत्रों ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री बैठक में भाग लेने के लिए सहमत हो गई थीं, लेकिन जैसे ही पता चला कि इसमें सुवेंदु अधिकारी भी शामिल होंगे, उन्होंने अपना इरादा बदल दिया। उन्होंने अपने पत्र में भी इसका उल्लेख किया है। प्रधानमंत्री से मिलने के लिए 20 मिनट तक इंतजार करने के मुख्यमंत्री दावे को अधिकारियों ने बेबुनियाद बताया। उन्होंने कहा कि उनसे तो पहले ही पहुंचने की उम्मीद की जा रही थी, जैसा कि सभी करते हैं, जब प्रधानमंत्री को किसी हवाईअड्डे पर आना होता है। अधिकारियों का कहना है कि मुख्यमंत्री ने तो अपने अन्य अधिकारियों को भी बैठक में शामिल होने से रोक दिया और प्रधानमंत्री द्वारा तय समीक्षा बैठक को रद्द कर दिया, क्योंकि उन्हें लगा कि बैठक खत्म होने तक इंतजार करना पड़ेगा। अधिकारियों के मुताबिक, ममता बनर्जी ने समीक्षा बैठक का बहिष्कार इसलिए किया, क्योंकि उसमें प्रतिपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी मौजूद थे। लेकिन केंद्र सरकार ने इस विवाद को तूल नहीं दिया, क्योंकि चक्रवात राहत गतिविधियां जरूरी थीं। इसलिए उन्हें यह सुझाव दिया गया था कि समीक्षा बैठक के तुरंत बाद प्रधानमंत्री उनसे मुलाकात करेंगे। प्रधानमंत्री के राज्य के दौरे का उद्देश्य ही यही था। रही बात सुवेंदु अधिकारी की तो वे भी जनप्रतिनिधि हैं और तूफान प्रभावित क्षेत्र से चुने गए हैं। इससे पूर्व गैर-भाजपा शासित राज्यों में कई बैठकें हो चुकी हैं, जहां दूसरे दलों के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे।
मुख्य सचिव मामले में बैकफुट पर
अलपन बंद्योपाध्याय को प्रतिनियुक्ति पर केंद्र में वापस बुलाने के आदेश को ममता द्वारा ‘ऐतिहासिक और असंवैधानिक’ करार देने पर केंद्रीय अधिकारियों ने कहा कि केंद्र का आदेश पूरी तरह से संवैधानिक है, क्योंकि मुख्य सचिव एक अखिल भारतीय सेवा अधिकारी हैं। उन्होंने अपने संवैधानिक कर्तव्यों की अनदेखी की। इसी के तहत न तो प्रधानमंत्री के समक्ष कोई प्रस्तुति दी गई और न ही राज्य सरकार का कोई अधिकारी समीक्षा बैठक में शामिल हुआ। सूत्रों ने इस बात पर भी जोर दिया कि एक आईएएस अधिकारी से राजनीति का हिस्सा बनने की उम्मीद नहीं की जा सकती है। ममता बनर्जी यह सब जानती हैं और सेवानिवृत्ति उस अधिकारी को बचाने का उनका आखिरी प्रयास है। मुख्य सचिव की सेवानिवृत्ति से पता चलता है कि ममता बनर्जी बैकफुट पर हैं। वह जानती हैं कि इस मामले में तथ्य मुख्य सचिव के खिलाफ हैं। उनका व्यवहार सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई को न्यौता देने वाला था। बंद्योपाध्याय एक आईएएस अधिकारी हैं, जिसका यह कर्तव्य यह सुनिश्चित करना था कि समीक्षा बैठक निर्धारित समय के अनुसार हो।
केंद्र से तनातनी की आदत
इससे पूर्व 10 दिसंबर, 2020 को भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर हमले के मद्देनजर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव और डीजीपी को 14 दिसंबर को तलब किया था। लेकिन ममता बनर्जी ने दोनों अधिकारियों को दिल्ली नहीं जाने दिया। इसके बाद मुख्य सचिव अलपन बंद्योपाध्याय ने केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला को दो पन्नों का पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने लिखा था, ”पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को जेड-श्रेणी की सुरक्षा वाले व्यक्ति के संबंध में घटनाओं समेत राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर चर्चा के लिए 14 दिसंबर को दिन में 12:15 बजे आपके कक्ष में बुलाया गया था। राज्य सरकार इस मुद्दे के समाधान के लिए पूरी गंभीरता से काम कर रही है। इस संबंध में रिपोर्ट मंगाई जा रही है और यह तैयार की जा रही है। ऐसी परिस्थिति में मुझे आपसे यह अनुरोध करने का निर्देश दिया गया है कि राज्य के अधिकारियों की मौजूदगी के बिना बैठक करें।”
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